एक मामला जो बीते आधे साल तक खबरों में छाया रहा वो था फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत का मामला. बीते साल 14 जून को सुशांत सिंह राजपूत ने अपने बांद्रा के फ्लैट में पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली थी. लेकिन ये आत्महत्या का कोई सीधा मामला नहीं था. इसके बाद जो हंगामा खडा हुआ उसके चलते मामला अदालतों में गया. पांच अलग अलग जांच एजेंसियां इस मामले में कूद पडीं और मामले पर जमकर राजनीति भी हुई. आज एक साल बाद भी ये साबित नहीं हो सका है कि सुशांत सिंह ने आत्महत्या नहीं की थी, बल्कि उनकी हत्या हुई थी. हालांकि उनकी मौत को हत्या बताकर कई लोगों जमकर बवाल किया.
जब सुशांत सिंह राजपूत ने अपने फ्लैट में आत्महत्या की तो मुंबई पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की एक्सीडेटल डेथ रिपोर्ट दायर करके. आमतौर पर पुलिस के सामने जब भी कोई खुदकुशी का मामला आता है तो सबसे पहले एक्सीडेंटल डेथ रिपोर्ट ही दर्ज की जाती है. इस मामले में भी यही किया गया. कहानी में ट्वीस्ट तब आया जब कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि सुशांत सिंह ने खुदकुशी इसलिए की क्योंकि वो फिल्म इंडस्ट्री में चल रहे नेपॉटिज्म यानी कि भाई-भतीजावाद से परेशान थे.
ये कहा गया कि सुशांत को फिल्म इंडसट्री में हावी कुछ गैंग्स की वजह से काम नहीं मिल पा रहा था. ऐसा आरोप लगाने वालों में अभिनेत्री कंगना रनौत सबसे आगे थीं. नेपॉटिज्म का आरोप लगने के बाद तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बयान दिया कि सुशांत की मौत की जांच उस एंगल से भी की जायेगी. फिर क्या था मुंबई पुलिस ने धडाधड फिल्म इंडस्ट्री के कई नाम-गिरामी लोगों को बुलावा भेज कर पूछताछ के लिए बुलाया, उनके बयान दर्ज किये जाने लगे. हर रोज बांद्रा पुलिस थाने के सामने मीडिया की भीड लगती क्योंकि कोई न कोई फिल्मी हस्ती को पुलिस के सवालों का जवाब देने के हाजिर होना पडता था. ये सिलसिला कई हफ्तों तक चला लेकिन पुलिस की जांच से कहीं ये बात सामने नहीं आई कि सुशांत को खुदकुशी के लिए किसने मजबूर किया.
कहानी में आया एक और ट्वीस्ट
इस बीच कहानी में एक और ट्वीस्ट आया. मुंबई के पश्चिमी उपनगर में रहने वाले कुछ लोगों ने फेसबुक पर फर्जी कहानी बनाकर ये अफवाह उड़ा दी थी कि सुशांत की मौत आत्महत्या नहीं हत्या है. अपनी कहानी को सही साबित करने के लिए उन्होने सुशांत की मौत को उनकी मैनेजर रह चुकी दिशा सालियान की आत्महत्या से जोड दिया. दिशा सालियान ने सुशांत की आत्महत्या से 6 दिन पहले ही आत्महत्या की थी. इन लोगों ने दिशा की आत्महत्या को भी हत्या बताया. इस बीच कहानी में एक राजनीतिक एंगल भी फेसबुकियों की ओर से जोड दिया गया. ये कहा गया कि दिशा की हत्या में महाराष्ट्र सरकार के एक युवा मंत्री और उनके दोस्तों का हाथ है. चूंकि ये बात सुशांत सिंह को पता चल गई इसलिए उनकी भी हत्या कर दी गई और उसको खुदकुशी की शक्ल दी गई. बीजेपी ने तुरंत इस बात को लपक लिया. ठाकरे सरकार को घेरने के लिए उसे एक मजबूत मुद्दा मिल गया. बिहार चुनाव भी हो रहे थे. बीजेपी नेता नारायण राणे ने भी मीडिया के सामने उन्ही आरोपों को दोहराया जो कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर डाल रहे थे.
सुशांत सिंह के पिता केके सिंह ने कराई एफआईआर
इस बीच कहानी में फिर एक ट्विस्ट आया. सुशांत सिंह के पिता केके सिंह ने 25 जुलाई को पटना पुलिस के पास एफआईआर दर्ज कराई. उन्होने ये कहा कि उन्हें पटना पुलिस के पास एफआईआर इसलिए दर्ज करानी पडी क्योंकि मुंबई पुलिस ने सुशांत की मौत के 40 दिनों बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की. अपनी शिकायत में केके सिंह ने अपने बेटे सुशांत की मौत के लिए सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार वालों को जिम्मेदार ठहराया.
इस एफआईआर के बाद जो ड्रामा हुआ वो ऐतिहासिक था. देश ने दो राज्यों की बीच की पुलिस का ऐसा टकराव नहीं देखा. पटना पुलिस की चार सदस्यीय टीम मुंबई पहुंची लेकिन मुंबई पुलिस ने उसके साथ कोई सहयोग नहीं किया उलटा एक बार पटना के पुलिस कर्मियों को बदसलूकी झेलनी पडी. बात यहीं खत्म नहीं हुई. निचले रैंक के पुलिस कर्मियों के मुंबई आने के चंद दिनो बाद ही पटना पुलिस के एसपी विनय तिवारी मुंबई पहुंचे...लेकिन मुंबई में कदम रखते ही उनके साथ जो हुआ उसने सबको आश्चर्यचकित कर दिया. तिवारी गोरेगांव के जिस गेस्ट हाऊस में ठहरे हुए थे वहां रातोंरात बीएमसी की एक टीम पहुंची और उसने उसी गेस्ट हाऊस में तिवारी के हाथ पर मुहर लगाकर उन्हें क्वारंटाईन कर दिया. मतलब आये तो थे तिवारीजी जांच करने के लिए लेकिन उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया गया.
बिहार सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी
बीएमसी की इस हरकत ने सुशांत की हत्या की अफवाह को बढावा देने में और मदद की. बीएमसी में शिव सेना की सत्ता है और सुशांत की हत्या करवाने की अफवाह शिव सेना से जुडे एक मंत्री को लेकर ही थी. ऐसे में ये प्रचारित किया गए कि जांच को दबाने के लिए शिवसेना ने एसपी विनय तिवारी के कमरे से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी. अपने एसपी के साथ हुए इस तरह से व्यवहार पर बिहार के तत्कालीन डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे काफी आग बबूला हुए. इसके बाद बिहार सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी. अब मामला पहुंच गया सुप्रीम कोर्ट. महाराष्ट्र सरकार ने मामला सीबीआई को सौपें जाने का विरोध किया और कहा कि बिहार सरकार को इस तरह से सीबीआई से जांच करवाने का कोई अधिकार नहीं है. तगडी जिरह के बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया. फैसला सीबीआई जांच के पक्ष में आया.
अदालती आदेश के बाद हरकत में आई सीबीआई
अदालती आदेश के बाद सीबीआई हरकत में आई. एसपी नुपुर प्रसाद की अगुवाई में सीबीआई अफसरों की एक टीम मुंबई पहुंची.सांताक्रूज इलाके के डीआरडीओ में उसने अपना डेरा जमाया. सीबीआई ने केस से जुडे तमाम लोगों को हाजिर होने को कहा जिसमें रिया चक्रवर्ती, उनके पिता और भाई भी शामिल थे. सुशांत सिंह राजपूत के मैनेजर, रूम मेट, नौकर, दोस्त, अकाउंटेंट वगैरह से भी पूछताछ की गई. सीबीआई की टीम सुशांत के घर में भी गई और वारदात को रिक्रीएट किया गया. फोरेंसिक टीम की भी मदद ली गई. जिन डॉक्टरों ने सुशांत का पोस्टमार्टम किया था उनके बयान दर्ज किया गए. जिस वॉटर स्टोन रिसोर्ट में सुशांत ठहरे थे वहां जाकर भी सीबीआई की टीम ने तहकीकात की. चूंकि कुछ लोगों ने सुशांत की मौत को दिशा सालियान की मौत से जोडने की कोशिश की थी इसलिए सीबीआई ने उस मामले पर भी नजर डाली. इस बीच इस मामले में पैसों के लेन से जुडे एंगल की जांच ईडी ने भी शुरू कर दी. ईडी ने अपनी जांच में जब सुशांत सिंह राजपूत से जुडे लोगों के व्हाट्स एप के चैट खंगाले तो सामने आया ड्र्ग्स का एंगल. ईडी की ओर से इस बात की जानकारी नारोक्टिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी तक पहुंचा दी गई. इसके बाद शुरू हुआ गिरफ्तारियों का सिलसिला.
एनसीबी ने 30 से ज्यादा लोगों को किया गया गिरफ्तार
एनसीबी ने जब अपनी जांच शुरू की तो कुल 30 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर लिया जिनपर ड्र्गस् के सेवन या ड्र्ग्स के कारोबार से जुडे होने का आरोप लगा. गिरफ्तार होने वालों में सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती और रिया के भाई शौविक भी थे. रिया ने एनसीबी के सामने बयान दिया कि सुशांत सिंह राजपूत उनसे मिलने के पहले से ही नशे के आदी थे और उनके परिजन भी ड्रग्स का सेवन करते थे. तो इस तरह से कुल पांच एजेसियां इस पूरे मामले से जुड गईं – मुंबई पुलिस, पटना पुलिस, ईडी, एनसीबी और सीबीआई...लेकिन यहां सबकी नजरें सीबीआई पर ही गडीं हैं.
सीबीआई ने अपनी जांच तो पूरी कर ली है लेकिन एक भी शख्स को आज तक गिरफ्तार नहीं किया और न ही ये नहीं बताया है कि आखिर सुशांत ने आत्महत्या की या उसकी हत्या हुई. यही तो पता करने का काम तो सौंपा गया था सीबीआई को. बीजेपी के वे नेता भी अब खामोश हैं जो ये आरोप लगा रहे थे कि सुशांत की हत्या की गई है. उनकी ओर से ये सवाल बिल्कुल नहीं उठाया जा रहा कि सीबीआई सच का खुलासा क्यों नहीं कर रही.
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