मुंबई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास एजेंडे पर फिल्म 'मोदी का गांव' का निर्माण करने वाले सुरेश झा ने सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म पर रोक लगाए जाने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से मदद की गुहार लगाई है. फिल्म के निर्माता झा ने शुक्रवार को बताया कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा गुरुवार को फिल्म की रिलीज पर रोक लगाए जाने के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय का दरवाजा खटखटाया है.


उन्होंने कहा, "सेंसर बोर्ड ने फिल्म की रिलीज के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय और निर्वाचन आयोग से अनापत्ति प्रमाणपत्र लाने के लिए कहा है..मेरे खयाल से ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी फिल्म की रिलीज के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय और निर्वाचन आयोग की अनुमति की जरूरत पड़ रही है."


इसके बाद सुरेश झा ने प्रधानमंत्री कार्यालय को चिट्ठी लिखकर अपनी फिल्म के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र मांगा है.


सुरेश झा ने पीएमओ को लिखा है, "अपनी फिल्म के जरिए हमने प्रधानमंत्री मोदी की ईमानादार कार्यशैली और उनके स्वच्छ भारत, स्मार्ट इंडिया और डिजिटल इंडिया के सपने को प्रस्तुत किया है."


झा ने बताया कि उन्होंने पीएमओ के अधिकारियों के लिए फिल्म के विशेष प्रदर्शन की पेशकश भी रखी है और प्रधानमंत्री मोदी से इस संबंध में मुलाकात करने का समय भी मांगा है.


झा ने कहा, "सेंसर बोर्ड ने ऐसी शर्ते रखी हैं, जिनका पालन करना इतना कठिन है कि मुझे अपनी फिल्म को रिलीज करने का खयाल ही छोड़ना पड़ सकता है."


सेंसर ने फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाते हुए कहा है, "फिल्म में प्रधानमंत्री के चित्रण को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय का अनापत्ति प्रमाणपत्र पेश करें..(फिल्म में विकास योजनाओं, पाकिस्तान द्वारा उड़ी में किए गए हमले तथा प्रधानमंत्री से संबंधित खबरों और भाषणों का चित्रण है."


सेंसर बोर्ड ने आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर निर्वाचन आयोग से अनापत्ति हासिल करने के लिए कहा है, क्योंकि फिल्म को राजनीतिक प्रचार सामग्री माना जा सकता है.


सेंसर बोर्ड ने फिल्म में एक अन्य चरित्र 'पप्पू बिहारी' पर भी आपत्ति जताई है और कहा है कि चरित्र के नाम को पूरी फिल्म से और गानों से भी हटाना होगा.


झा की 135 मिनट की यह फिल्म पिछले वर्ष दिसंबर में ही बनकर तैयार हो गई थी. उन्होंने जनवरी में मंजूरी हासिल करने के लिए सेंसर बोर्ड में आवेदन दिया था.