प्रतिभाशाली अभिनेता चंदन रॉय सान्याल याद करते हैं कि उन्होंने मुंबई में एक फिल्म के सेट से अपने संघर्ष की शुरूआत की, और अक्सर पैसे की कमी के कारण भोजन करना छोड़ दिया था.


20 साल पहले मुंबई में अपने शुरूआती दिनों को याद करते हुए चंदन ने कहा, '' जब मैं पहली बार मुंबई आया था, मैं वास्तव में गरीब था और कभी-कभी खाना छोड़ना पड़ता था क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं होते थे. जब मैंने कमाई करना शुरू किया, तो बहुत सारे लोग मेरे यहाँ रिहर्सल के लिए आते थे. मैंने यह सुनिश्चित किया कि जो कोई भी मेरे घर आया, वह अच्छी तरह से खाना खा कर वापस आ जाए.''


चंदन को खाना बनाना बहुत पसंद है लेकिन वह खुद को फैंसी कुक नहीं कहते. खाना पकाने के अपने प्यार के बारे में बात करते हुए, अभिनेता ने कहा, '' मैं हर समय खाना बनाता हूं. मैं वास्तव में कुछ समय से खाना बना रहा हूं. मैं फैंसी सलाद और पास्ता, केक और वह सब बनाने वाला फैंसी रसोइया नहीं हूं. मैं रोजमर्रा का खाना बहुत बनाता हूं, बुनियादी . मैं सालों से ऐसा कर रहा हूं.''


उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि ''मैं ज्यादातर बंगाली और उत्तर भारतीय व्यंजन बनाता हूं. मैं डोसा बनाता हूं, तो वह खिचड़ी बन जाता है.''


वर्कफ्रंट की बात करें तो चंदन को आश्रम सीरीज से पॉपुलैरिटी मिली जिसमें बॉबी देओल मुख्य भूमिका में हैं. हाल ही में डिजिटल रूप से रिलीज हुई एंथोलॉजी फिल्म 'रे' के 'स्पॉटलाइट' में अभिनय किया, जो कि मास्टर कहानीकार सत्यजीत रे की कुछ छोटी कहानियों से प्रेरित है.




बंगाली होने के नाते क्या चंदन रे की किताबें पढ़कर और उनकी फिल्में देखते हुए बड़े हुए हैं?


इसका जवाब देते हुअ चंदन कहते है कि '' मुझे लगता है कि सत्यजीत रे हर बंगाली के करीब हैं. हम उनकी फिल्में देखते हैं और सीखते हैं. मैंने फेलुदा या उनकी अन्य कहानियों को ज्यादा नहीं पढ़ा है, लेकिन मैंने उनके प्रत्येक काम को देखा है. उनके एक संकलन का हिस्सा बनना एक सम्मान की बात है.''


चल रहे कोविड महामारी ने हमारे अधिकांश मानसिक स्वास्थ्य पर भारी असर डाला है. क्या अभिनेता भी कई बार निराश महसूस करता है? उन्होंने कहा कि '' हां, मैं कभी-कभी उदास महसूस करता हूं लेकिन फिर मुझे लगता है कि बहुत सारे लोग हैं जो मुझसे कम विशेषाधिकार प्राप्त हैं. मेरे पास अपना घर है, और अभी भी मेरी थाली में खाना और बाकी सब कुछ है - इंटरनेट , भोजन, गर्मी, आराम. जबकि सड़कों पर बहुत सारे लोग हैं जो बिना नौकरी, भोजन के हैं, जो स्वास्थ्य के मुद्दों, बेरोजगारी के कारण मर रहे हैं. मुझे लगता है कि मेरा दर्द उनकी तुलना में कुछ भी नहीं है.''