Chhello Show को ऑस्कर भेजे जाने के विवाद ने पकड़ा तूल, FWICE ने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को लिखी चिट्ठी
Chhello Show Oscar: गुजराती फिल्म छेल्लो शो भारत की तरफ आधिकारिक तौर पर ऑस्कर में भेजी गई है. अब फिल्म पर विवाद हो गया है.
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Chhello Show Oscar: हाल ही में निर्देशक पैन नलिन की गुजराती फिल्म 'छेल्लो शो' (द लास्ट शो) को विदेशी भाषा की श्रेणी में ऑस्कर अवॉर्ड के नामांकन के लिए भारतीय एंट्री के तौर पर भेजा गया. मगर इस फिल्म के एक विदेशी फिल्म की कॉपी होने से लेकर इसके चयन की प्रक्रिया में गंभीर किस्म की गड़बड़ियों के आरोप लग रहे हैं.
हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री के तहत आनेवाले 31 फ़िल्म संगठनों की मातृ संस्था फ़ेडरेशन ऑफ़ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज़ (FWICE) ने फ़िल्म 'छेल्लो शो' की चयन प्रक्रिया को पूरी तरह से नियमों के खिलाफ बताया है और ऐसे में सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को इससे संबंधित एक चिट्ठी भी लिखी है.
इंडियन फ़िल्म ऐंड टेलीविजन डायरेक्टर एसोसिएशन (IFTDA) के अध्यक्ष व फिल्ममेकर अशोक पंडित ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत करते हुए कहा, "फ़िल्म 'छेल्लो शो' को ऑस्कर के नामांकन के लिए भेजनेवाली जूरी के अध्यक्ष टी. एस. नागाभरणा ने हाल ही में दिये एक इंटरव्यू का जिक्र किया था कि 'छेल्लो शो' पिछले साल भी ऑस्कर के नामांकन के लिए जूरी के पास आई थी, मगर फिल्म की स्क्रिनिंग नहीं होने के चलते जूरी ने फिल्म को रिजेक्ट कर दिया था और अब स्क्रिनिंग हो जाने के बाद अब इस फिल्म को फिर से पात्र मान लिया गया है, जो कि गलत है."
अशोक पंडित सवाल उठाते हुए कहते हैं, "किसी भी फिल्म को ऑस्कर के नामांकन के लिए भेजे जाने के लिए उसकी समयावधि तय होती है यानी सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म को जिस साल सर्टिफ़ाइड किया जाता है तो उसके एक साल बाद तक किसी भी फिल्म के नामांकन की पात्रता बनी रहती हैं. किसी फिल्म को एक बार रिजेक्ट किये जाने के बाद उस फिल्म को दोबारा ऑस्कर नामांकन के लिए पात्र ठहराया जाना पूरी तरह से नियमों के खिलाफ है. ऐसे में फिर तो 10 साल पुरानी फिल्मों को भी ऑस्कर के लिए भेजा चाहिए."
अशोक पंडित ने और भी आरोप लगाते हुए कहा कि 'छ्ल्लो शो' को ऑस्कर में नामांकन के लिए इसलिए भी नहीं भेजा जाना चाहिए था क्योंकि इस फिल्म का निर्माण पूरी तरह से एक विदेशी कंपनी ने किया है और बाद में इस फिल्म को भारतीय निर्माताओं को बेचा गया है. अशोक पंडित पूछते हैं, "एक विदेशी कंपनी द्वारा पूरी तरह से निर्मित की गयी यह फिल्म किस तरह से भारतीय हो गयी? इस फिल्म में इस्तेमाल किये गये ज़्यादातर क्रू भी विदेशी हैं."
1988 में रिलीज हुई इतालवी फिल्म 'सिनेमा पैराडिसो' का पोस्टर और फिल्म 'छेल्लो शो' के पोस्टर में समानता दिखाते हुए अशोक पंडित ने दावा किया कि अन्य आरोपों के अलावा फिल्म एक बेहद चर्चित विदेशी फिल्म की नकल भी है और यह भी एक मुख्य वजह है कि इसे ऑस्कर नामांकन के लिए नहीं भेजा जाना चाहिए था.
अशोक पंडित ने 'छेल्लो शो' को भारतीय एंट्री के तौर पर ऑस्कर नामांकन भेजे जाने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा, "हमने सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को लिखे शिकायती पत्र में मांग की है कि ऑस्कर के लिए नामांकन के लिए भेजी जानेवाली फ़िल्मों की कमान फ़िल्म फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया (FFI) के हाथों में नहीं होनी चाहिए और इसे सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए ताकी आगे फ़िल्मों के चयन के वक्त इस तरह की गड़बड़ियां ना हों."
हमने इस संबंध में 'छेल्लो शो' के मेकर्स से भी संपर्क करने की भी कोशिश की, मगर इस स्टोरी के लिखे जाने तक उनकी ओर से इन आरोपों पर हमें कोई जवाब नहीं मिला.
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