Cinematography Bill 2021: केंद्र सरकार के प्रस्तावित नए सिनेमेटोग्राफी बिल 2021 पर आज संसदीय समिति चर्चा करेगी. फिल्म इंडस्ट्री की ओर से अभिनेता कमल हासन इस बैठक में शामिल होंगे. फिल्म निर्देशक सुधीर मिश्रा, अनुराग कश्यप और विशाल भारद्वाज समेत फिल्म जगत के तमाम लोग सरकार के इस बिल का विरोध कर रहे हैं. इन सभी ने इस नए सिनेमेटोग्राफी बिल को अभिव्यक्ति की आजादी के लिए खतरा बताया है.
बता दें कि, सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 के तहत भारत में सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) बनाया गया था. केंद्र सरकार ने इस सिनेमैटोग्राफ एक्ट, 1952 में ही संसोधन का प्रस्ताव दिया है. सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने इस बात की घोषणा 18 जून को की थी. नियमों के तहत नए एक्ट से पहले लोगों से सलाह लेना जरूरी होता है. हालांकि इसके लिए 30 दिनों का पब्लिक नोटिफिकेशन देना जरूरी होता है लेकिन सरकार ने पब्लिक कंसल्टेशन के लिए केवल 14 दिनों का ही समय दिया था. जिसके चलते इस बिल पर विवाद और बढ़ गया. आम जनता के सुझावों की मियाद 2 जुलाई को पूरी हो गई है.
सिनेमेटोग्राफी बिल 2021 क्या है
वर्तमान में लागू सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 में पायरेसी को लेकर कोई भी कठोर कानून नहीं है. सिनेमेटोग्राफी बिल 2021 में इसके लिए सेक्शन 6AA जोड़ा गया है. इस नए सेक्शन के तहत बिना अधिकार किसी भी फिल्म की कॉपी करना अपराध माना जाएगा और ऐसा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. पायरेसी के मामलें में आरोपी को तीन महीने से तीन साल तक की जेल और तीन लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान जोड़ा गया है. साथ ही पायरेटेड फिल्म की प्रोडक्शन वैल्यू का 5 प्रतिशत भी जुर्माने में भरना पड़ सकता है. सरकार का दावा है कि इस नए बिल से पायरेसी पर लगाम लगेगी.
हालांकि इसमें एक बड़ी बात भी शामिल है जिस पर विवाद हो रहा है. सिनेमेटोग्राफी बिल 2021 के तहत सरकार को CBFC द्वारा दिए जाने वाले फिल्म सर्टिफिकेट में बदलाव करने का हक होगा. यानी सरकार को अगर लगेगा कि कोई फिल्म उन के मानकों पर खरी नहीं उतर रही है और वो देश का माहौल बिगाड़ सकती है तो सरकार इस पर रोक लगा सकती है. सरकार के पास इतनी अथॉरिटी होगी कि वो उस फिल्म का सर्टिफिकेट रद्द कर सके.
क्या है फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की मांग
फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की मांग है कि सेंसर बोर्ड को एक सर्टीफिकेशन बॉडी के तौर पर ही अधिकार मिलने चाहिए. साथ ही नए बिल के अनुसार यदि केंद्र सरकार को सिनेमैटोग्राफ एक्ट, 1952 के सेक्शन 5B (1) का उल्लंघन होता दिखेगा तो वो किसी भी फिल्म के सर्टिफिकेशन पर एक्शन ले सकती है. फिल्म इंडस्ट्री के लोगों की मांग है की सरकार इस नए अमेंडमेंट को पूरी तरह हटा दे.
साथ ही सरकार ने अप्रैल, 2021 में Film Certification Appellate Tribunal (FCAT) को खत्म करने का फैसला किया था. FCAT के जरिये सेंसर बोर्ड के खिलाफ फिल्म निर्माता अपील कर सकते थे. फिल्ममेकर्स की मांग है कि FCAT को दोबारा बहाल किया जाए.
इस संबंध में फिल्म इंडस्ट्री के 3000 से ज्यादा लोगों ने हस्ताक्षर कर अपनी आपत्ति सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को भेजी है. इनमें विशाल भारद्वाज, मीरा नायर, अनुराग कश्यप, शबाना आजमी, फरहान अख्तर, हंसल मेहता, राकेश ओमप्रकाश मेहरा और कमल हासन जैसे कई बड़े नाम शामिल हैं.
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