The Accidental Prime Minister : डॉक्टर मनमोहन सिंह ने साल 2004 में देश के प्रधानमंत्री के रूप में देश की सत्ता संभाली. जिस वक्त कांग्रेस की ओर से मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री की कुर्सी सौंपी गई उस वक्त सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बल्कि विपक्षी दलों को भी सोनिया गांधी का ये फैसला समझ नहीं आया था और उनके लिए ये हैरानगी भरा था. लेकिन मनमोहन सिंह ने न सिर्फ अपना कार्यकाल पूरा किया बल्कि अगली बार एक बार फिर कांग्रेस को जीत हासिल हुई और वो साल 2009 में एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री बने.


ये वो दौर था जब देश की राजनीति के साथ-साथ कांग्रेस में लगातार राहुल गांधी के सत्ता में आने या आने को लेकर संशय बरकरार था. लेकिन सोनिया गांधी ने एक बार फिर मनमोहन सिंह को ही प्रधानमंत्री पद के लिए चुना. साल 2004 से 2008 के बीच मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू ने उन्हें बेहद करीब से देखा और उन पर एक किताब लिखी. हालांकि साल 2014 में तत्कालीन प्रधानमंत्री कार्यालय ने संजय बारू की किताब 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टरः द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह' की आलोचना की थी.



फिल्म का ट्रेलर हुआ रिलीज

आज इस कॉन्ट्रोवर्शियल किताब पर आधारित फिल्म 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' का ट्रेलर रिलीज कर दिया गया है. फिल्म में अनुपम खेर ने पर्दे पर मनमोहन सिंह की चाल-ढाल से लेकर आवाज तक को हूबहू पर्दे पर उतारने की कोशिश की है. सिल्वर स्क्रीन पर कुछ पल के लिए उन्हें पहचान पाना मुश्किल हो जाता है.

फिल्म में अक्षय खन्ना भी नजर आ रहे हैं. अक्षय खन्ना इस फिल्म में संजय बारू का किरदार निभा रहे हैं जो उस वक्त मनमोहन सिंह के मीडिया एडवाइजर थे. साथ ही फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद ऐसा लग रहा है मानो वो फिल्म में नरेटर भी बने हैं जो पूरी कहानी बता रहे हैं.


अक्षय के अलावा फिल्म में जर्मन एक्ट्रेस सुजैन बर्नेट भी बेहद अहम भूमिका में नजर आ रही हैं. सुजैन फिल्म में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का किरदार निभा रही हैं. सोनिया गांधी के किरदार में सुजैन काफी कन्वेंसिंग लग रही हैं. उन्होंने सोनियां गांधी के हाव-भाव और चाल-ढाल को काफी बारीकी से अपनाया है.

फिल्म के डायलॉग

फिल्म में डायलॉग्स भी काफी दमदार रखे गए हैं, नीचे पढ़ें फिल्म के ट्रेलर में दिए गए कुछ जोरदार डायलॉग्स..

-  मुझे तो डॉक्टर साहब भीष्म पितामह जैसे लगते हैं जिनमें कोई बुराई नहीं है पर फैमिली ड्रामा के विक्टिम लगते हैं.
- महाभारत में दो फैमिली थी इंडिया में तो एक ही है.
- सौ करोड़ की आबादी वाले देश को ये गिने चुने लोग चलाते हैं. ये देश की कहानी लिखते हैं.
- मैं पीएम के लिए काम करता हूं पार्टी के लिए नहीं.
- न्यूक्लियर डील की लड़ाई तो हमारे लिए पानीपत की लड़ाई से भी मुश्किल थी.
- दिल्ली दरबार में एक ही तो चर्चा थी, कि डॉक्टर साहब को पार्टी से हटाएंगे और कब पार्टी राहुल जी का अभिषेक करेंगी.
- आप कश्मीर का हल निकालेंगे तो आने वाले प्राइम मिनिस्टर क्या करेंगे.



कौन हैं संजय बारू

संजय बारू करीब 4 सालों तक 2004 से 2008 के बीच में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे हैं. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस के बीच चल रहे कलह और किस तरह मनमोहन सिंह ने सोनिया गांधी के आगे घुटने टेक दिए थे. बुक में ये भी दावा किया गया है कि उनसे एक बार खुद मनमोहन सिंह ने कहा था कि किसी सरकार में सत्ता के दो केंद्र नहीं हो सकते. लेकिन मुझे मानना पड़ेगा कि पार्टी अध्यक्ष सत्ता का केंद्र हैं और सरकार पार्टी के प्रति जवाबदेह है.



फिल्म को लेकर हो रहा विवाद

फिल्म के रिलीज के वक्त को लेकर विवाद होने की संभावना है. कहा जा रहा है कि फिल्म की रिलीज टाइमिंग काफी अहम है. कुछ ही वक्त में देश में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री को लेकर बनी फिल्म जिसमें कांग्रेस पार्टी के अंदर की है गहमागहमी के बारे में जिक्र किया गया है. इतना ही नहीं कांग्रेस के एक नेता सत्यजीत तांबे ने विरोध व्यक्त किया है. उन्होंने फिल्म की टीम को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने मांग की है कि फिल्म की रिलीज से पहले फिल्म उन्हें दिखाई जाए.




बता दें कि यह फिल्म मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू की पुस्तक पर आधारित है. फिल्म में बारू की भूमिका अक्षय खन्ना और मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरण कौर की भूमिका दिव्या सेठ शाहर निभा रही हैं. बतौर निर्देशक विजय रत्नाकर गुट्टे की यह पहली फिल्म है और हंसल मेहता फिल्म के क्रिएटिव प्रोडयूसर हैं. फिल्म 11 जनवरी को रिलीज होगी.