मुंबईः पिछले साल कोरोना और उसके‌ बाद लगे लॉकडाउन के लंबे चले सिलसिले का बॉलीवुड के तमाम मजदूरों, तकनीशियनों, तमाम जूनियर आर्टिस्ट और चरित्र कलाकारों पर कुछ ऐसा हुआ कि अब भी उन्हें न ढंग से काम मिल रहा है और न काम के पूरे पैसे. ऐसे ही एक चरित्र अभिनेता का नाम है जावेद हैदर का जो बुरे दौर से गुजरने को मजबूर हो हैं.


जावेद हैदर, ये नाम सुनने के बाद आपको फौरन ध्यान में नहीं आएगा कि हम किस एक्टर की बात कर रहे हैं. 80 के दशक में रिलीज हुई फिल्म 'खुदगर्ज' में नन्हे शत्रुघ्न सिन्हा की भूमिका निभानेवाले और फिर और उसके बाद कई फिल्मों में बाल कलाकार के तौर पर काम कर जावेद हैदर बहुत मशहूर हुए.


अब तक 200 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके जावेद हैदर ने हाल ही में 'राधे',  'दबंग 3', 'वेलकम बैक' और इससे पहले 'चांदनी बार' जैसी सैंकड़ों फिल्मों में चरित्र भूमिकाएं निभाईं. इंडस्ट्री में लगभग 35 साल तक काम करते रहने‌ के बाद भी वे मुम्बई में अपने लिए घर नहीं खरीद पाए. पिछले साल आए कोरोना और उससे जुड़े लॉकडाउन ने उन्हें इस तरह से परेशान किया कि उन्हें अपनी 13 (अब 14) साल की बेटी की स्कूल फीस प्रति माह 2400 रुपए भर पाने में मुश्किलें पेश आ रही थीं और उनकी यह मुश्किल अब भी जारी है.


जावेद हैदर ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बताया कि पिछले साल लॉकडाउन के दौरान शूटिंग बंद होने के चलते उनकी हालत इस कदर खस्ता थी कि उन्हें अपनी बेटी की स्कूल फीस भरने‌ में परेशानी का सामना कर‌ना पड़ रहा था. वैसे स्कूल ने पिछले साल तीन महीने‌ के लिए सभी छात्रों की स्कूल माफ कर दी थी जिससे जावेद को भी फौरी राहत मिली थी. मगर छूट के तीन महीने खत्म हो जाने के बाद जल्द ही फिर से  बेटी की फीस भरने‌ को लेकर दबाव बढ़ने लगा तो उनकी परेशानी एक बार फिर से बढ़ गई थी. उनकी बेटी फिलहाल 9वीं क्लास में पढ़ती है.


जावेद कहते हैं, "कोरोना और लॉकडाउन से पैदा हुए हालात को देखते हुए स्कूल की फीस को कम किया जाना चाहिए, अभिभावकों डिस्काउंट मिलना चाहिए और उनसे‌ एक साथ पैसा भरने की मांग करने की बजाय फीस के‌ रूप में थोड़े-थोड़े पैसे लिए जाने चाहिए. अगर मिडिल क्लास से ताल्लुक रखने के बावजूद मुझे अपने बच्चों को पढ़ाने में दिक्कत आ रही है तो समझा जा सकता है कि आम लोगों को किन बातों से गुजरना पड़ रहा होगा." जावेद हैदर का बड़ा बेटा कॉलेज की पढ़ाई कर रहा है जिससे जुड़े खर्च भी उनके लिए परेशानी का सबब बन गया है. घर में मां और बीवी भी साथ रहती हैं मगर कमानेवाले वे अकेले हि हैं जिससे पूरे घर की जिम्मेदारी उनके कंधों पर ही है.


जावेद बताते हैं कि काम को लेकर माहौल इस कदर ठंडा है कि उन्हें ठीक ढंग से पहले की तरह काम नहीं मिल रहा है. वो बताते हैं कि पहले वो हर दूसरे दिन बिजी हुआ करते थे मगर कोरोना और लॉकडाउन के चलते पिछले डेढ़ सालों में उन्हें महज 35 दिनों का ही काम मिल पाया है.


जावेद बताते हैं कि शूटिंग को लेकर माहौल इस कदर खराब है कि उन्हें बेहद कम पैसों में शूटिंग करने‌ के लिए बुलाया जाता है. जावेद कहते हैं, "पिछले 30-35 सालों में मेरे काम की बदौलत मुझे रोजाना शूटिंग के मेहनताने के तौर पर 30,000 से‌ 35,000 रुपये तक मिलने‌ लगे थे मगर कोरोना‌ से पैदा हुए हालातों के चलते उन्हें अब रोज़ाना महज 4,000 से 5,000 रुपये के ऑफर पर शूटिंग के लिए बुलाया जाता है." जावेद कहते हैं कि इतने कम रुपये में काम करने से उनका मार्केट खराब होने का खतरा है और ऐसे में वे इस तरह के ज्यादातर ऑफर्स को ठुकरा देते हैं. वे कहते हैं, "मैंने यह कभी नहीं सोचा था कि मुझे ऐसे दिन भी देखने मिलेंगे कि मुझे अपने घर का किराया देने और बेटी की स्कूल फीस देने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा."


जावेद ने बताया, "इन दिनों मुझे कई एडल्ट और पोनोग्राफिक वीडियोज/सीरीज में काम करने के भी ऑफर मिले मगर मैंने ऐसे सभी ऑफर्स को सिरे से नकार दिया. मैं खुद को इस तरह के वीडियोज में नहीं दे सकता है. मेरे बच्चे भी बड़े हो रहे हैं और‌ ऐसे‌ मैं उनके सामने शर्मिंदा नहीं होना चाहता हूं."