चेन्नई: अभिनेता, फिल्मकार और राजनेता कमल हासन ने कोरोना से निपटने के लिए प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देशभर में 21 दिनों के लिए लॉकडाउन लागू किए जाने की आलोचना करते हुए उन्हें एक खुला पत्र लिखा है और उनके फैसले को गलत बताया है. मक्कल निधि मय्यम पार्टी के संस्थापक कमल ने अपने पत्र में लिखा, "आदरणीय महोदय, मैं इस पत्र को हमारे देश के एक जिम्मेदार लेकिन निराश नागरिक के रूप में लिख रहा हूं. 23 मार्च को आपको लिखे अपने पहले पत्र में मैंने सरकार से आग्रह किया था कि हमारे समाज के अनसुने नायकों, सबसे कमजोर और आश्रित लोगों की दुर्दशा देखकर मुंह नहीं मोड़ें. अगले दिन, राष्ट्र ने एक सख्त और तत्काल लॉकडाउन की घोषणा को सुना, लगभग नोटबंदी की शैली में."


उन्होंने आगे लिखा, "मैं हैरान रह गया, लेकिन मैंने अपने निर्वाचित नेता पर भरोसा करना चुना. मैंने तब भी आप पर भरोसा करना चुना था, जब आपने नोटबंदी की घोषणा की थी, लेकिन समय ने साबित किया कि मैं गलत था. समय ने साबित कर दिया कि माननीय आप भी गलत थे."


उन्होंने कहा, "मेरा सबसे बड़ा डर यह है कि नोटंबदी की तरह ही उसी गलती को बड़े पैमाने पर दोहराया जा रहा है. जहां नोटबंदी से गरीबों की बचत और आजीविका को नुकसान हुआ, वहीं बीमारी को लेकर नियोजित लॉकडाउन हमें जीवन और आजीविका दोनों के नुकसान की ओर ले जा रही है. गरीबों के पास आपकी ओर देखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, एक तरफ आप अधिक विशेषाधिकार प्राप्त लोगों से दीया जलाकर रोशनी का तमाशा करने के लिए कह रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गरीब आदमी की दुर्दशा अपने आप में एक शर्मनाक तमाशा बन रही है. उधर आपकी दुनिया ने अपनी बालकनियों में तेल के दीये जलाए हैं, गरीब अपनी अगली रोटी सेंकने और सब्जी भूनने की खातिर पर्याप्त तेल इकट्ठा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं."


उन्होंने कहा कि मजदूरी करने वाले, घर की मदद करने वाले, सड़क पर गाड़ी चलाने वाले, ऑटो-रिक्शा और टैक्सी चालक और असहाय प्रवासी मजदूर सुरंग के अंत में प्रकाश को देखने के लिए संघर्ष करते हैं, ऐसा लगता है कि हम केवल पहले से ही निर्मित सिर्फ मध्यम वर्ग के किले को सुरक्षित करने में लगे हुए हैं. मैं यह नहीं कह रहा कि हम मध्यम वर्ग या किसी एक वर्ग को नजरअंदाज करें, लेकिन मैं आपको हर किसी के किले को सुरक्षित करने के लिए और अधिक काम करते देखना चाहता हूं."



हासन ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के लिए चीनी सरकार के आधिकारिक बयान के अनुसार, पहला कन्फर्म मामला 8 दिसंबर को रिपोर्ट किया गया था. भले ही आपने इस तथ्य को स्वीकार किया हो कि दुनिया को स्थिति की गंभीरता को समझने में बहुत समय लगा, फरवरी के शुरू में पूरी दुनिया जानती थी कि यह जबरदस्त कहर बरपाने वाला है. भारत का पहला मामला 30 जनवरी को सामने आया था. हमने देखा था कि इटली के साथ क्या हुआ था. फिर भी, हमने आपने सबक जल्दी नहीं सीखे. जब हम आखिरकार अपनी नींद से जाग गए तो आपने 4 घंटे के भीतर 1.4 अरब की आबादी वाले देश में लॉकडाउन लगाने का आदेश दे दिया.


उन्होंने आगे कहा कि लोगों के लिए मात्र 4 घंटे की नोटिस अवधि, जबकि आपके पास 4 महीने की नोटिस अवधि थी. दूरदर्शी नेता वे होते हैं जो समस्या के विकराल रूप लेने से पहले ही उसके समाधान पर काम करना शुरू कर देते हैं.


कमल हासन ने पत्र का समापन यह कहते हुए किया कि भले ही वह नाराज हैं, लेकिन संकट की इस घड़ी में प्रधानमंत्री के पक्ष में हैं.