Coronavirus Effect: शूटिंग और सिनेमाघरों के बंद होने से कुछ इस तरह प्रभावित होगा सिनेमा व्यवसाय
देशभर में तकरीबन 6500 सिनेमाघर हैं और ऐसे में फिल्मों के रिलीज नहीं होने और तमाम थियटरों के बंद होने की सूरत में सिनेमा मालिकों को हर हफ्ते तकरीबन 125 करोड़ का नुकसान होगा. देश के किसी भी सिनेमाघर में टिकटों के दाम अगर 100 रुपये से अधिक होते हैं, तो उसपर 18 फीसदी जीएसटी लगती है और अगर टिकटों के दाम 100 रुपये से कम होते हैं तो सरकार को प्रति टिकट 12 फीसदी जीएसटी मिलती है.
मुंबई: कोरोना वायरस के कहर के चलते देशभर में थिएटर बंद किये जाने और फिल्मों की शूटिंग थम जाने से महज फिल्म के निर्माताओं को ही नहीं, बल्कि सिनेमा से जुड़े तमाम लोगों को इसका नुकसान झेलना पड़ेगा. इसका सबसे ज्यादा असर एक्जीबीटरों यानी सिनेमा मालिकों पर होगा, जो हर हफ्ते अपने सिनेमाघरों में नई नई फिल्में रिलीज करते हैं.
देशभर में तकरीबन 6500 सिनेमाघर हैं और ऐसे में फिल्मों के रिलीज नहीं होने और तमाम थियटरों के बंद होने की सूरत में सिनेमा मालिकों को हर हफ्ते तकरीबन 125 करोड़ का नुकसान होगा. सिनेमा के व्यवसाय से जुड़ी पत्रिका 'कम्प्लीट सिनेमा' के संपादक अतुल मोहन ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए बताया कि 125 करोड़ रुपये का आंकड़ा महज उन फिल्मों को लेकर है, जो सामान्य दिनों में रिलीज होती हैं. उन्होंने कहा कि अगर त्योहार या लम्बे वीक-एंड पर रिलीज होनेवाली फिल्मों की बात की जाए, तो प्रति सप्ताह यह आंकड़ा तकरीबन 150 करोड़ रुपये बैठता है.
अतुल मोहन ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि निर्माता, वितरकों से होते हुए फिल्म रिलीज के अंतिम पायदान पर थियेटर मालिकों के पास आती हैं और ऐसे में थियेटरों के बंद होने का सबसे ज्यादा नुकसान इन्हें ही उठाना पड़ेगा. थियेटर मालिकों की कमाई टिकटों की बिक्री से मिलने वाले एक हिस्से से ही नहीं होती है. थियेटर मालिकों को तरह तरह के खाद्य और पेय पदार्थों की बिक्री से भी अच्छी खासी कमाई होती है. इसके अलावा किसी भी फिल्म के शुरू होने और इंटरवल के दौरान दिखाए जानेवाले विज्ञापनों से भी अच्छी आय होती है. ऐसे में फिल्मों के प्रदर्शन से आय के यह सभी स्त्रोत बुरी तरह से प्रभावित होंगे.
अतुल मोहन कहते हैं, "देश में पीवीआर जैसे कई सिनेमा चेन हैं, जो पब्लिक लिस्टेड कंपनी हैं. सिनेमा व्यवसाय पर तालाबंदी के चक्कर में ऐसी सभी लिस्टेड कंपनी के शेयरों पर विपरीत असर होगा और इनके दाम नीचे आ सकते हैं."
अतुल मोहन बताते हैं फिल्मों, सीरियल्स, वेब शोज और ऐड फिल्मों से जुड़े डेली वेज वर्करों यानी दिहाड़ी मजदूरों की संख्या हजारों में है और इस विकट परिस्थिति में उन सभी के लिए आजीविका का संकट आ खड़ा हुआ है.
अतुल मोहन ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि पिछले साल यानी 2019 में हिंदी फिल्मों का कुल बॉक्स ऑफ़िस का कारोबार तकरीबन 4400 करोड़ रुपये का था, सभी क्षेत्रीय भाषाओं का कुल कारोबार 2000-2500 करोड़ रुपये के बीच था और हॉलीवुड फिल्मों का कारोबार करीब 1300 करोड़ रुपये था. फिल्मों के कुल कारोबार से होने वाली आय पर भारत सरकार को तकरीबन 1200 करोड़ रुपये की जीएसटी प्राप्त हुई थी.
उल्लेखनीय है कि देश के किसी भी सिनेमाघर में टिकटों के दाम अगर 100 रुपये से अधिक होते हैं, तो उसपर 18 फीसदी जीएसटी लगती है और अगर टिकटों के दाम 100 रुपये से कम होते हैं तो सरकार को प्रति टिकट 12 फीसदी जीएसटी मिलती है. अतुल मोहन ने बताया कि देशभर में टिकटों की बिक्री पर लगने वाली जीएसटी से सरकार को हर हफ्ते 25 से से 26 करोड़ रुपये की आय होती है. सरकार को सिनेमा कारोबार के अन्य तरीकों से भी जीएसटी के रूप में मोटी आय प्राप्त होती है.
स्पष्ट है कि सिनेमाघरों के बंद होने, थियेटरों के बंद होने और फिल्मों के रिलीज नहीं होने से महज सिनेमा जगत को ही नहीं, बल्कि सरकार को भी काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है.
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