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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Critics Review: जातिवाद पर गहरा प्रहार करती है 'आर्टिकल 15', सोचने पर कर देगी मजबूर
Critics Review: आयुष्मान खुराना की फिल्म 'आर्टिकल 15' आज रिलीज हो रही है. अगर आप ये फिल्म देखने का मन बना रहे हैं तो पहले पढ़ें फिल्म को लेकर क्या है क्रिटिक्स की राय...
आज बड़े पर्दे पर आयुष्मान खुराना की मचअवेटेड फिल्म रिलीज हो गई है. फिल्म को लेकर जहां एक तरफ खूब तालियां सुनाई दे रही हैं तो वहीं फिल्म को लेकर विरोध भी देखने को मिल रहा है. फिल्म की कहानी देश में मौजूद जाति व्यवस्था पर गहरी चोट करती दिखाई देती है.
फिल्म को लेकर क्रिटिक्स की ओर से भी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. फिल्म में आयुष्मान खुराना के साथ सयानी गुप्ता, ईशा तलवार, नामाशी चक्रवर्ती, कुमुद मिश्रा और मनोज पाहवा जैसे कलाकार मुख्य भूमिका में नजर आ रहे हैं. वहीं, इसका निर्देशन अनुभव सिन्हा ने किया है. भारतीय परंपरा और सभ्यता में मौजूद सदियों पुरानी इस जाति व्यवस्था की डरावनी तस्वीर अब भी नहीं बदली है, खासकर ग्रामीण भारत में. अनुभव सिन्हा निर्देशित 'आर्टिकल 15' इसी क्रूरता का अहम सिनेमाई दस्तावेज है.
Indian Express: आर्टिकल 15 देश में मौजूद जातिवाद पर एक स्पष्ट और करारा प्रहार करती है. फिल्म अपना संदेश दे पाने में एक सफल साबित होती दिख रही है. अनुभव सिन्हा और गौरव सोलंकी ने स्क्रीनप्ले बेहतरीन काम किया है और सिन्हा के निर्देशन ने फिल्म को और मजबूत बना दिया है. आयुष्मान खुराना के अभिनय ने इस फिल्म की कहानी और इसके संदेश को दर्शकों तक बेहद गंभीरता से पहुंचाने का काम किया है. फिल्म के कुछ सीन आपकी अंतरआत्मा को झकझोर कर रख देते हैं. खासतौर पर दो नाबालिग बच्चियों के साथ रेप के बाद उन्हें पेड़ से लटका देने का सीन समाज में फैली जातिवाद की इस नफरत के घिनौने रूप को दर्शकों के सामने लाकर खड़ा कर देता है.
Filmfare :अनुभव सिन्हा एक बार फिर समाज में मौजूद पक्षपात की दीमक पर तेज और काफी गरहा प्रहार करते दिख रहे हैं. पिछले साल फिल्म मुल्क में उन्होंने धर्म को लेकर रहे पक्षपात पर प्रहार किया था इस बार उन्होंने समाज में अपनी जड़े मजबूत कर चुके जातिवाद पर कटाक्ष करते दिख रहे हैं. ये फिल्म एक मास्टरपीस है और उन्होंने सिस्टम और समाज में फैली इस दीमक पर गहरा कटाक्ष किया है.
Scroll : 'आर्टिकल 15' के जरिए अनुभव सिन्हा ने एक बार फिर समाज में जातिवाद के विरोध में एक चर्चा शुरू करने का काम कर दिया है. भले ही ये फिल्म समाज में बदलाव न लाए लेकिन इसके जरिए एक बेहद अहम मुद्दे को लेकर बात जरूर शुरू हुई है. फिल्म अनुभव सिन्हा ने फिल्म को बेहद बैलेंस तरीके से दर्शकों के सामने लाया है, जिसमें एक जाति के समर्थन के लिए दूसरी जाति को नीचा नहीं दिखाया गया है. साथ ही संविधान के आर्टिकल 15 की महत्ता और उसकी ताकत दोनों को भी दिखाने की कोशिश की गई है.
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