नई दिल्ली: चाचा के संग नौकरी की तलाश में सिंगापुर गए दारा सिंह को नहीं मालूम था कि वे विश्व चैंपियन बनेंगे. उन्हें तो बस पहलवानी का शौक था. लेकिन उनके शरीर को देखकर लोगों ने उन्हें दंगल में उतरने की सलाह दी. इसके बाद उन्हें ऐसा शौक लगा कि दुनिया भी हैरान रह गई. वे किसी भी मुकाबले में पराजित नहीं हुए. कल उनका जन्मदिन था.


पहलवानी के साथ दारा सिंह ने फिल्मों में भी अभिनय किया. इस क्षेत्र में भी दारा सिंह सब पर भारी पड़ गए. 80 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित हुए रामायण सीरियल ने उन्हें लोकप्रियता के चरम पर पहुंचा दिया. उन्हें हनुमान की तरह पूजा जाने लगा.


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पहलवानी के दम पर दारा सिंह ने अपना ही नहीं बल्कि देश का नाम भी रोशन किया. एक बार न्यूजीलैंड के पहलवान ने उन्हें चुनौती दी, दारा सिंह ने कुछ ही देर में उसे धूल चटा दी. दारा सिंह के नाम एक रिकार्ड ये भी है कि उन्होंने जितनी कुश्तियां लड़ीं वे सभी उन्होने जीतीं. एक भी मुकाबले में वे हारे नहीं है. इसीलिए उनके नाम पर एक कहावत पूरे देश प्रचलित हो गई,जो आज भी कही जाती है.


दारा सिंह का जन्म 19 नवंबर 1928 को पंजाब में हुआ था. दारा सिंह ने 1959 में पूर्व विश्व चैंपियन जार्ज गारडियान्का को हरा कर कामनवेल्थ की विश्व चैंपियनशिप जीत ली. जिसके बाद उनका नाम सुर्खियों में आ गया. 1968 में दारा सिंह ने अमेरिका के विश्व चैंपियन लाऊथेज को हरा दिया. जिसके बादे वे फ्रीस्टाइल कुश्ती के विश्व चैंपियन बन गए. दारा सिंह ने अपने जीवन में 500 से अधिक कुश्तियां लड़ी. 50 वर्ष की उम्र तक वे पहलवानी करती रहे.1983 तक वे इस क्षेत्र में सक्रिय रहे. इसके बाद उन्होंने कुश्ती से संन्यास ले लिया.


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दारा सिंह ने हिंदी और पंजाबी फिल्मों में भी अभिनय किया. हिंदी में उनकी पहली फिल्म संगदिल थी जो 1952 में रिलीज हुई थी. उन्होने अपने जीवन में 100 से अधिक फिल्मों में काम किया. अभिनेत्री मुमताज के साथ उन्होने कई हिट फिल्में दी, पृथ्वीराज कपूर के साथ उन्होने सिकंदरे आजम फिल्म में काम किया. इस फिल्म में दारा सिंह ने सिकंदर का रोल निभाया था. कुश्ती से संन्यास लेने के बाद दारा सिंह ने भारत में कुश्ती के विकास के लिए देशभर का भ्रमण किया और पहलवानी करने के लिए युवाओं को प्रेरित किया. वे गांव देहातों में होने वाले दंगलों में भी जाते और लोगों को प्रोत्साहित करते थे.



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