नई दिल्ली: 13 अगस्त 1963 को मद्रास के सिवाकासी में जन्मी नन्ही सी 'श्री' एक दिन लाखों दिलों की धड़कन बन जाएगी शायद ही किसी ने सोचा था. लेकिन उन्होंने हिन्दुस्तान के सिनेमा को चाहने वालों के दिलों में ऐसी जगह बनाई कि वो देश की पहली महिला सुपरस्टार बन गई. लेकिन आज वो हमारे बीच नहीं है. 54 साल की अभिनेत्री श्रीदेवी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है.


लेकिन फिर भी अपनी सदाबहार फिल्मों से वो हमेशा हमारे ज़हन में बनी रहेंगी, बतौर लीड एक्ट्रेस साल 1978 में फिल्म 'सोलवा सावन' से उन्होंने हिंदी फिल्मों में कदम रखा. हिंदी सिनेमा में उन्हें असली पहचान मिली फिल्म हिम्मतवाला से. लेकिन साल 1989 में आई उनकी फिल्म 'चांदनी' ने तमाम रिकॉर्ड्स तोड़ दिए और फिल्म सुपरहीट साबित हुई. जिसके गाने आज भी लोगों के ज़हन में है.

इस फिल्म के बाद श्रीदेवी को चांदनी के नाम से भी पहचाना जाने लगा, इस फिल्म में अपने वक्त के दिग्गज अदाकार रिषी कपूर, विनोद खन्ना, वहिदा रहमान के साथ आकर भी फिल्म श्रीदेवी के नाम से पहचानी जाने लगी.

आइये जानें कैसी थी फिल्म 'चांदनी':

यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी इस फिल्म की शुरूआत होती है रोहित(रिषी कपूर) और चांदनी(श्री देवी) से है. जब दोनों एक शादी समारोह में मिलते हैं. यहां पर रोहित, चांदनी को अपना दिल दे बैठता है. इसके बाद वो उसका पीछा करता है और चांदनी को भी रोहित से प्यार हो जाता है. इसके बाद रोहित और चांदनी एक दूसरे से सगाई कर लेते हैं. लेकिन रोहित और चांदनी के परिवारों के बीच का फर्क बहुत ज्यादा होता है. जो कि रोहित के परिवार को पसंद नहीं होता. हालांकि रोहित को इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता.

इसके बाद एक दिन रोहित चांदनी को अपने घर की छत पर इंतज़ार करने के लिए बोलता है और वो हेलीकॉप्टर से आता है और चांदनी पर फूल बरसाता है. लेकिन तब ही रोहित का हेलीकॉप्टर गायब हो जाता है और चांदनी घबरा जाती है.

कुछ सेकेंड्स के अंदर ही चांदनी के पास फोन आता है कि रोहित का हेलीकॉप्टर क्रेश हो गया और वो अस्पतला में भर्ती है. इसके बाद रोहित के परिवार वाले चांदनी को बुरा-भला कहने लगते हैं और उसे बुरी तरह से फटाकरते हुए कहते हैं कि ये सब उसकी वजह से ही हुआ है. इधर रोहित को शरीर के दाहिने हिस्से में लकवा मार जाता है और रोहित अच्छे से जान जाता है कि अब अगर वो चांदनी से शादी करेगा तो वो उस पर बोझ बन जाएगा. इसके बाद रोहित चांदनी के साथ बुरा बर्ताव करता है और अपने परिवार वालों के व्यवहार और खुद को उस पर बोझ बनने से बचाने के लिए वहां से भेज देता है.

रोहित से दूर होने के लिए चांदनी मुंबई चली जाती है, जहां पर वो ललित(विनोद खन्ना) की ट्रेवल एजेंसी में काम करने लगती है. विनोद खन्ना शादीशुदा पुरूष है लेकिन उनकी पत्नी इस दुनिया में नहीं है. ललित को चांदनी का कैअरिंग नेचर पसंद आता हो और वो चांदनी से मोहब्बत करने लगता है और उससे शादी के लिए पूछता है. चांदनी भी ललित से शादी के लिए तैयार हो जाती है और ललित और उसकी मां(वहिदा रहमान) को इसके लिए हां कर देती हैं.

इसके बाद ललित एक बिज़नेस ट्रिप पर स्विटज़रलैंड जाता है जहां पर उनसे रोहित की मुलाकात होती है जो कि वहां अपना इलाज करवाने आता है. अब रोहित भी पूरी तरह से ठीक हो चुका है और उसे चलने के लिए व्हीलचेयर की ज़रूरत नहीं है. ललित और रोहित इतने अच्छे दोस्त बन जाते हैं और एक-दूसरे को अपनी-अपनी मोहब्बत की कहानी सुनाते हैं.

इसके बाद रोहित ठीक होकर वापस इंडिया आता है और चांदनी के घर जाकर उसका दरवाज़ा खटखटाता है. इसके बाद चांदनी और रोहित एक दूसरे को देखकर इमोशनल हो जाते हैं. लेकिन इसके बाद चांदनी को तुरंत याद आता है और वो रोहित को बताती हैं कि अब वो किसी और के सात रिश्ते में हैं. जिसके बाद रोहित गुस्सा हो जाता है और चांदनी उसे वहां से चले जाने के लिए कह देती हैं औैर वो निराश होकर वहां से चला जाता है.

इसके बाद ललित, रोहित को अपनी शादी के लिए बुलाता है और ललित, चांदनी को भी अपने नए दोस्त से मिलवाने के लिए बुलाता है. इस मुलाकात के बाद वो दोनों एक-दूसरे से अंजान होने का नाटक करते हैं. इसके बाद शादी के दौरान ही ललित को चांदनी औऱ रोहित के इश्क की भनक लग जाती है और वो समझ जाते हैं कि ये एक-दूसरे से बेइंतहा इश्क करते हैं.

इसके बाद ललित पीछे हट जाते हैं और रोहित और चांदनी एक बार फिर से मिल जाते हैं और शादी कर लेते हैं.

इस फिल्म को मिले पुरस्कार:
# 37वें नेशनल फिल्म अवार्ड्स में होलसम एंटरटेनमेंट के लिए इस फिल्म को पॉपुलर फिल्म का अवार्ड मिला. (यश चोपड़ा और टी. सुब्रामी रेड्डी)

# इस फिल्म में बेस्ट सिनेमेटोग्राफी के लिए मनमोहन सिंह को पुरस्कार मिला.

इस फिल्म के गानों भी हुए लोकप्रीय:

चांदनी फिल्म का म्यूज़िक शिव कुमार शर्मा और हरिप्रसाद चौरसिया(शिवा-हरि) ने कमपोज़ किया. जबकि बोल थे आनंद बक्शी के. इस फिल्म के संगीत को बहुत अधिक पसंद किया गया. इतना ही नहीं उस दौरे में जब ट्रांज़िस्टर बहुत अधिक लोकप्रिय था, तब उस पर फिल्म चांदनी के गाने ही सुनाई देते थे. लोगों फिल्म को लेकर इतना जुनून था कि इसके गानें टेप रिकॉर्डर पर भी कैसेज के जरिए सुने जाते थे. इस फिल्म में कुल 11 गानें थे, जो आज भी लोगों की ज़ुबां पर चढ़े हुए हैं.

इनमें सबसे लोकप्रिय गाने रहे. 'मेरे हाथों में नौ-नौ चूड़िया, चांदनी ओर मेरी चांदनी, लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है, तेरे मेरे होठों पे मिलन के ये गीत मितवा.'