बस दो चीज़ों को छोड़कर ‘डेडपूल- 2’ हर मायने में अपनी पिछली फिल्म से अलग है. पहला तो कहानी कहने का तरीका और दूसरा, सेंस ऑफ़ ह्यूमर.


इस फिल्म के ट्रेलर में आपने एक डायलॉग सुना होगा जिसमें डेडपूल (रायन रेनॉल्ड्स) केबलमैन (जोश ब्रोलिन) से पूछता है- So dark. You’re sure; you’re not from the DC Universe? ‘डीसी’ और ‘मार्वल’ अमेरिकी कॉमिक्स जगत के दो सबसे बड़े नाम हैं. ‘डीसी’ के बैटमैन और सुपरमैन जैसे किरदारों ने दुनियाभर की छोटी-बड़ी स्क्रीन्स पर राज किया है. वहीं, ‘मार्वल’ के लगभग सभी किरदारों को आप ‘अवेंजर्स: इंफिनिटी वॉर’ में एक स्क्रीन पर देख सकते हैं. इन किरदारों के भी दुनियाभर में फैंस हैं.


डेडपूल ने ‘डीसी’ का नाम लेते हुए जो डायलॉग बोला है वो इसलिए मायने रखता है क्योंकि DC की सुपरहिरो फिल्में उम्दा होती हैं, लेकिन बहुत ज़्यादा तनाव से भरी होती हैं. इनमें ह्यूमर की गुंजाइश नहीं होती. ‘मार्वल’ के आयरन मैन (रॉबर्ट डाउनी जूनियर) जैसे किरदार ने सुपरहीरो फिल्मों के इस तनाव को तोड़ना शुरू किया. वहीं ‘स्पाइडरमैन होमकमिंग’ में स्पाइडमैन बने टॉम हॉलैंड सुपरहीरो फिल्मों की टेंशन को तोड़ने को नेक्स्ट लेवल पर ले गए. ‘डेडपूल- 1’ ने तो सुपरहीरो जॉनर का कायापलट करने का काम किया और वो काम इस फिल्म में भी पूरी शिद्दत से जारी है.


आपने कभी नहीं सोचा होगा कि सुपरमैन, बैटमैन, स्पाइडरमैन और आयरमैन जैसी लीग के किसी हीरो के bums में गोली लग सकती है. 'डेडपूल' में डेडपूल के bums में गोली लगती है और 'डेडपूल-2' में कहां-कहां क्या-क्या लगता है इसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते. इतना कहने के पीछे का सार ये है कि ‘मार्वल’ ने अपनी हालिया फिल्मों में एक बात साफ कर दी है कि अगर आप सुपरहीरो फिल्म देखने जा रहे हैं तो ज़रूर नहीं कि सिरदर्द लेकर लौटें. आप फुल ऑन एंजॉय करते हुए भी थियेटर से बाहर आ सकते हैं.


क्या है खास


‘अवेंजर्स: इंफिनिटी वॉर’ में एक रायता ये है कि ‘Marvel’ ने लगभग अपने सारे सुपर कैरेकटर्स को इसमें उतार दिया है. फिर भी, फिल्म में पॉप कल्चर की बातें सिर्फ स्पाइडरमैन ही करता है जिसके लिए उन्हें आयरनमैन से बार-बार डांट पड़ती है. लेकिन ‘डेडपूल- 2’ में तो सिर्फ डेडपूल ही नहीं बल्कि फिल्म के हर किरदार ने इसमें ह्यूमर भरने के लिए सिर्फ पॉप कल्चर ही नहीं बल्कि अमेरिका की राजनीति तक से जमकर रेफरेंस दिए हैं और इसने फिल्म को बेहद मज़ेदार बना दिया है. एक सीन में तो डेडपूल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दामाद जेरेड कुशनर तक को लपेट लिया है. किसी हिंदी फिल्म में देश के उस समय के पीएम के दामाद के साथ ऐसा करना कल्पना से भी परे है. खैर, अगर अमेरिकी सिनेमा और राजनीति से आपका वास्ता नहीं रहा, तो इस बेहतरीन फिल्म को देखने के बाद आपको गूगल का सहारा लेना पड़ सकता है.


डायरेक्शन



डेडपूल के डायरेक्टर टिम मिलर थे. वहीं, डेडपूल- 2 के डायरेक्टर डेविड लिच हैं. लेकिन फिल्म के उम्दा डायरेक्शन का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि अगर आपने डेडपूल देखी है तो डेडपूल- 2 देखकर आप अंदाज़ा नहीं लगा पाएंगे कि फिल्म दो अलग-अलग लोगों ने डायरेक्ट की है. वहीं, रायन रेनॉल्ड्स ने ना सिर्फ इस सीरीज़ की दूसरी फिल्म में डेडपूल के किरदार को जिया है बल्कि उनके करियर की जो पिछली फिल्में उनकी ख़राब एक्टिंग की वजह से पिटी थीं, ‘पर्दे पर उनकी हत्या भी की है.’ एवेंजर्स में थनोस का अमर किरदार निभाने वाले जोश ब्रोलिन इस फिल्म में केबल बने हैं और उनकी उपस्थिति दो बातें साबित करती है. एक तो ये कि डायरेक्टर के कैनवस पर निभर्र करता है कि वो किरदार को थनोस के रंग में रंगेगा या केबल के और दूसरी ये कि एक्टर चाहे तो डायरेक्टर के साथ मिलकर थनोस जैसे सुपर-विलन के किरादर को भी ज़िंदा कर सकता है और केबल जैसे सेमी-विलेन को भी.


फैंस को मिलेंगे कई सारे सरप्राइज


ज़ाहिर सी बात है कि सुपरहिरो फिल्म है तो इसमें सरप्राइज की भरमार तो होगी ही. लेकिन अगर कोई फैन सुपरहीरो फिल्मों में किसी ‘इंडियन हॉलीवुड सुपरहीरो’ के इंतज़ार में बैठा था तो उसका इंतज़ार इस फिल्म में खत्म हो जाएगा. घबराइए मत, ये कोई स्पॉइलर नहीं है. आपने इसे पढ़कर जो भी गेस किया होगा उसे ये फिल्म ग़लत साबित कर देगी. फिल्म में कई नए सुपहीरोज़ ने जन्म लिया है और क्लाइमेक्स में फिल्म ये कहने से नहीं चूकती कि 'डेडपूल- 3' अभी बाकी है मेरे दोस्त.


क्यों देखें


ये साल फिल्मों के लिहाज़ से 2017 से काफी बेहतर रहा है. सुपरहीरो फिल्मों के मामले में मार्वल ने एक एक महीने में दो धमाकेदार फिल्में (‘अवेंजर्स: इंफिनिटी वॉर’ और डेडपूल- 2) देकर इतिहास रच दिया है. इससे एक बात और साफ होती है कि आने वाले सालों में अच्छी फिल्में तेज़ी से बनेंगी. ऐसे में पहले से नेटफ्लिक्स से लेकर अमेज़न और हॉटस्टार तक की वीडियोज़ में गर्दन तक डूबे सिनेमा के दीवानों लिए तय करना मुश्किल होगा कि कौन सी फिल्म पकड़ें और किसे छोड़ें. लेकिन इस एक फिल्म को आप नहीं छोड़ सकते क्योंकि 120 मिनट की इस फिल्म का हर मिनट आपको जमकर एंटरटेन करने वाला है.