Nargis Dutt Unknown Facts: उनकी सादगी की दुनिया आज भी मुरीद है. उनमें इतनी काबिलियत थी कि अकेले दम पर फिल्में हिट करा देती थीं. दरअसल, बात हो रही है नरगिस दत्त की, जो पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित होने वाली पहली बॉलीवुड अभिनेत्री थीं. साल 1981 में आज ही के दिन यानी 3 मई को नरगिस इस दुनिया को अलविदा कह गई थीं. आइए आपको उनके कुछ खास किस्सों से रूबरू कराते हैं.
कर्ज उतारने के लिए फिल्मों में किया काम
सुनील दत्त की पत्नी और संजय दत्त की मां से पहले ही नरगिस की अपनी अलग पहचान थी. यकीन मानिए नरगिस की जिंदगी के तमाम ऐसे किस्से हैं, जिन्हें आपने शायद ही सुना होगा. सबसे पहली बात यह कि एक्ट्रेस का असली नाम नरगिस ही नहीं था. उनका असली नाम फातिमा रशीद था. उन्होंने 1935 के दौरान बेहद कम उम्र में फिल्मों में काम शुरू कर दिया था. दरअसल, नरगिस का मां जद्दनबाई थीं, जिन्होंने कर्ज उतारने के लिए महज छह साल की नरगिस से फिल्मों में काम कराया था. जद्दनबाई ने ही फिल्म क्रेडिट में अपनी बेटी का नाम नरगिस रखा, जो हमेशा के लिए उनके साथ जुड़ गया.
तवायफ से भी था ताल्लुक
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि नरगिस का ताल्लुक एक तवायफ से था. दरअसल, उनकी नानी दलीपाबाई थीं, जो कुछ लोगों के बहकावे में आकर घर से भाग गई थीं. दलीपाबाई को कोठे पर बेच दिया गया था, जिनकी बेटी जद्दनबाई हुईं. जद्दनबाई को अपनी मां से भी बेहतरीन तवायफ होने का दर्जा मिला था, लेकिन संगीत से जुड़ाव होने के बाद कोठे से उनका साथ छूट गया और वह फिल्म जगत से जुड़ गईं.
नरगिस को ऐसे मिली थी मोहब्बत
जब नरगिस महज 28 साल की थीं, तब 'मदर इंडिया' में राधा का किरदार निभाने के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला. इसी फिल्म से नरगिस को उनका जीवनसाथी भी मिला था. दरअसल, फिल्म के सेट पर आग लग गई थी, जिसमें सुनील दत्त ने अपनी जान पर खेलकर नरगिस को बचाया था. इसके बाद दोनों करीब आते चले गए और शादी कर ली. शादी के बाद नरगिस ने फिल्म जगत को अलविदा कह दिया और परिवार पर ध्यान दिया.
कैंसर से छीन ली जिंदगी
नरगिस को अग्नाशय का कैंसर था, जिसका पता चलने पर न्यूयॉर्क में इलाज कराया गया. कुछ समय बाद वह भारत लौटीं तो उनकी तबीयत काफी बिगड़ गई और वह कोमा में चली गईं. 3 मई 1981 को उनका निधन हो गया. इसके कुछ दिन बाद संजय दत्त की डेब्यू फिल्म 'रॉकी' रिलीज हुई, जिसकी एक सीट नरगिस के लिए खाली रखी गई थी.