Raj Kapoor Death Anniversary: पिता के स्टूडियो में झाडू लगाते थे राज कपूर, उनके लिए इस एक्ट्रेस ने बेच दिए थे अपने गहने
Raj Kapoor: कभी उन्होंने जोकर बनकर दुनिया को हंसाया तो कभी आवारा बनकर अपना अलग ही रूप दिखाया. बात हो रही है बॉलीवुड के शोमैन यानी राज कपूर की, जिनकी आज डेथ एनिवर्सरी है...
Raj Kapoor Unknown Facts: उनके तो नाम में ही राज है... ऐसे में उनका जादू हर किसी के दिल-ओ पर चलना भी लाजिमी ही था... यकीनन हम बॉलीवुड के शोमैन राज कपूर का जिक्र कर रहे हैं, जिनके किरदारों और फिल्मों ने हर किसी के दिल पर राज किया. साल 1988 में आज ही के दिन यानी 2 जून को राज कपूर ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. पृथ्वीराज जैसे पिता होने के बाद भी राज कपूर को अपनी जिंदगी में स्ट्रगल करना पड़ा. यहां तक कि उन्होंने अपने पिता के स्टूडियो में झाड़ू तक लगानी पड़ी. आइए आपको उनकी जिंदगी के चंद किस्सों से रूबरू कराते हैं..
पाकिस्तान में हुआ था जन्म
बॉलीवुड के शोमैन राज कपूर का जन्म 14 दिसंबर 1924 के दिन पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था. जब देश का बंटवारा हुआ तो उनके पिता पृथ्वीराज कपूर भारत आ गए. थिएटर में रुचि के चलते उन्होंने मुंबई का रुख किया और अभिनय जगत में कई ऊंचाइयां हासिल कीं. राज कपूर ने भले ही अपने पिता पृथ्वीराज कपूर की विरासत को आगे बढ़ाया, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पिता को उन पर कतई विश्वास नहीं था.
पापा ने कराए ऐसे-ऐसे काम
दरअसल, पृथ्वीराज कपूर मानते थे कि राज कपूर कुछ खास नहीं कर पाएंगे. ऐसे में उन्हें सहायक या क्लैपर ब्वॉय जैसे छोटे काम सौंपे गए थे. उस दौर के मशहूर निर्देशक केदार शर्मा ने राज कपूर में छिपी अभिनय क्षमता और लगन को पहचाना. उन्होंने राज कपूर को अपनी फिल्म नीलकमल में हीरो की भूमिका दे दी. इसके बाद राज कपूर ने 24 साल की उम्र में फिल्म आग का निर्देशन किया, जिसके बाद वह सबसे युवा फिल्म निर्देशक बनकर सामने आए. साल 1948 में उन्होंने आरके फिल्म्स के नाम से फिल्म स्टूडियो बनाया, जिसकी पहली हिट फिल्म बरसात थी.
सिर्फ एक रुपये मिलती थी सैलरी
फिल्मी दुनिया में अपना करियर बनाने से पहले राज कपूर अपने पिता के स्टूडियो में झाड़ू लगाने का काम करते थे. इसके लिए उन्हें हर महीने एक रुपये मेहनताना मिलता था. आलम यह था कि घर में कई कार होने के बाद भी राज कपूर को बचपन में भीगते हुए स्कूल जाना पड़ता था.
इस एक्ट्रेस ने राज कपूर के लिए बेचे थे गहने
बतौर निर्देशक जब राज कपूर फिल्म बरसात बना रहे थे, उस वक्त नरगिस उनकी मोहब्बत की बारिश में भीगने लगीं. दोनों एक-दूसरे के बेहद करीब आ गए थे, जिसका जिक्र मधु जैन ने अपनी किताब 'फर्स्ट फैमली ऑफ इंडियन सिनेमा - द कपूर्स' में किया. उन्होंने लिखा था कि नरगिस और राज कपूर की मोहब्बत इस कदर परवान चढ़ी कि वह राज कपूर की फिल्मों में पैसा लगाने लगीं. जब आरके स्टूडियो के पास पैसों की कमी हुई तो नरगिस ने अपने गहने भी बेच दिए थे. नरगिस ने भले ही राज कपूर के लिए अपना सबकुछ लुटा दिया हो, लेकिन पहले से शादीशुदा राज अलग-अलग धर्म की वजह से नरगिस को अपना नहीं सके.