दीपक तिजोरी: सह कलाकार के तौर पर हीरो जितनी ही शोहरत पाने वाला एक अभिनेता
90वें के दशक की कई सुपरहिट फिल्मों का हिस्सा रहे दीपक तिजोरी ने उस दौर के लगभग सभी बड़े नायकों के साथ काम किया.
90 के दशक में कई फिल्मों में अपनी एक्टिंग से दर्शकों का दिल जीतने वाले दिपक तिजोरी का जन्म 28 अगस्त 1961 को हुआ था. उनके जन्मदिन पर एक नजर उनके फिल्मी सफर पर.
दीपक तिजोरी का करियर इस लिहाज से भी खास है कि उन्होंने एक हीरो के तौर पर नहीं बल्कि सह कलाकार के तौर बॉलीवुड पर अपनी छाप छोड़ी. वह 90वें के दशक के सिनेमा का एक चेहरा थे.
1990 में आई “आशिकी” से उन्हें पहचान मिली. महेश भट्ट द्वारा निर्देशित इस फिल्म के हीरो थे राहुल राय और हीरोइन थीं अनु अग्रवाल. दोनों की यह पहली फिल्म थी. “आशिकी” के सुपरहिट होने के बावजूद दोनों का करियर कुछ खास नहीं चल पाया. लेकिन इस फिल्म में हीरो के दोस्त का रोल निभाने वाले दीपक तिजोरी को दर्शकों का इतना प्यार मिला की अगले कुछ सालों में वह कई सुपरहिट फिल्मों का हिस्सा बनें.
फिल्म आशिकी के बाद दीपक तिजोरी ने 'दिल है के मानती नहीं', 'सड़क', 'खिलाड़ी' और 'जो जीता वही सिकंदर' , ‘कभी हां, कभी ना’ जैसी कई शानदार फिल्मों में सह कलाकार के तौर पर काम किया. इन फिल्मों में उन्हें हीरो जीतनी ही तारीफ मिली.
यह सह कलाकार के तौर पर उनकी सफलता ही थी कि साल 1993 में आशुतोष गोवारिकर द्वारा निर्देशित फिल्म 'पहला नशा' में दीपक तिजोरी हीरो बनकर पर्दे पर आए. इस फिल्म में उनके साथ अभिनेत्री पूजा भट्ट और रवीना टंडन थीं, लेकिन यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा सकी लेकिन सह कलाकार के तौर पर उनकी पारी जारी रही.
अभिनय में एक लंबी पारी खेलने के बाद उन्होंने फिल्म डायरेक्ट करने का फैसला किया लेकिन दीपक तिजोरी को जितनी कामयाबी एक अभिनेता के रूप में मिली उतनी उन्हें निर्देशक के तौर पर नहीं मिल पाई. 2003 में आई 'ऊप्स' उनके द्वारा निर्देशित पहली फिल्म बनी. फिल्म कुछ खास नहीं चली. इसके बाद उन्होंने 'टॉम डिक और हैरी', 'फॉक्स' और 'खामोशी- खौफ की एक रात' जैसी फिल्मों का निर्देशन किया लेकिन ये सभी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर टिक नहीं पाई.
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