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'मेंटल है क्या' की दीपिका पादुकोण की संस्था ने भी की आलोचना, रंगोली बोलीं- इसे मत बनाओ 'पद्मावत'
'इंडियन मेडिकल एसोसिएशन' के बाद अब दीपिका पादुकोण की संस्था 'द लिव लव लाफ फाउंडेशन' ने कंगना रनौत और राजकुमार राव अभिनीति फिल्म 'मेंटल है क्या?' के पोस्टर की आलोचना की.
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'इंडियन मेडिकल एसोसिएशन' के बाद अब दीपिका पादुकोण की संस्था 'द लिव लव लाफ फाउंडेशन' ने कंगना रनौत और राजकुमार राव अभिनीति फिल्म 'मेंटल है क्या?' के पोस्टर की आलोचना की.
दीपिका के फाउंडेशन ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'अब हमें दिमागी रूप से बीमार लोगों को लेकर इस प्रकार के शब्दों (मेंटल) का प्रयोग करना बंद कर देना चाहिए. हमारे देश में लाखों लोग दिमागी बीमारी के चलते इस कलंक का शिकार होते हैं. अब हमें इनके प्रति थोड़ा संजीदा होने की जरूरत है.'
आईएमए के साथ इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी (आईपीएस) ने फिल्म निर्माताओं से अपील की है कि फिल्म के शीर्षक को बदले तथा ट्रेलर को वापस लें. आईएमए ने कहा कि टाइटल में जो 'मेंटल' नामक शब्द है और जो कहने का अंदाज है, वह मानसिक रोग की परेशानियां झेल रहे लोगों की हंसी उड़ाता है और उनका अपमान करता है. 'इंडियन मेडिकल एसोसिएशन' का ये है आरोप आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शांतनु सेन का कहना है कि कई शोध बताते हैं कि भारत सहित दुनिया के सारे देश मानसिक रोगों से जुड़े कलंक (स्टिग्मा) से आज भी जूझ रहे हैं. विशेषज्ञ लोगों को लगातार समझा रहे कि दुनिया में कोई मेंटल या पागल नहीं. वे सब किसी न किसी रोग से ग्रस्त हैं और यह न अपराध है न अभिशाप. इन रोगों का इलाज संभव है. कुछ बीमारियां क्रॉनिक होती हैं जो कि नियमित दवाओं और अन्य प्रकार की देखभाल से नियंत्रित रहती हैं. ‘मेंटल है क्या’ विवाद पर बोले निर्माता, खुद को स्वीकार करने को प्रेरित करती है फिल्म इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ.मृगेश वैष्णव का कहना है, "मानव-अधिकारों के प्रति सजगता के इस दौर में मानसिक रूप से परेशान लोगों के अधिकारों की भी रक्षा होनी चाहिए. अब तो हम पूरे व्यक्ति को बीमार बताने वाले टर्म 'मानसिक रोगी' की जगह 'मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्ति' कहने लगे हैं, क्योंकि मनोरोग व्यक्ति को पूरी तरह खारिज नहीं करते. मगर इस फिल्म का टाइटल व्यक्ति को पूरी तरह खारिज करता है- यह अनैतिक और अमानवीय ही नहीं अवैधानिक भी है."It is time we put an end to the use of words, imagery and/or the portrayal of persons with mental illness in a way that reinforces stereotypes. (1/2) https://t.co/sZCeIp8eGw
— TLLLFoundation (@TLLLFoundation) April 20, 2019
वैष्णव ने कहा, "फिल्म निर्माता ने हाल ही में एक पोस्टर रिलीज किया है. उसमें नायक और नायिका आमने-सामने बैठकर अपनी सटी हुई जीभों के ऊपर एक नंगे ब्लेड को संतुलित करते दिखते हैं. कमाल की कल्पना है. मगर क्या यह रचनात्मक भी है? इसकी कौन-सी उपयोगिता है? सच्चाई तो यह है कि यह एक खतरनाक खेल खेलने की प्रवृत्ति का उदाहरण है. आज भारत में उद्दंडता (डिलिंक्वन्सी) और स्वयं को खतरों में नाहक डालने वाले व्यक्तित्व रोगों की वृद्धि हो रही है. नशाखोरी, जानलेवा सेल्फी लेना, तेज ड्राइविंग आदि इसके उदाहरण हैं. ऐसे में कुछ खतरनाक करने को उकसाता यह पोस्टर एक अपराध है. इसे रचनात्मक तो कतई नहीं माना जा सकता." फिल्म की रिलीज डेट का ऐलान करने के लिए 'मेंटल' हुए दो दिग्गज सितारे, देखें VIDEO इंडियन मेडिकल असोसिएशन तथा इंडियन साइकाएट्रिक सोसाइटी ने कहा कि हम सूचना और प्रसारण मंत्रालय से निवेदन करते हैं कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करे. हम सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टीफिकेशन से आग्रह करते हैं कि इस अपमानजनक टाइटल पर रोक लगाए और अगर इस फिल्म में मानसिक स्वास्थ्य के ²ष्टिकोण से कुछ भी आपत्तिजनक है तो उसे हटाने या परिवर्तित करने का आदेश दे.
वहीं, टीएलएलएफ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, "अब मानसिक बीमारी से परेशान लोगों के लिए उनके खिलाफ रूढ़ियों को मजबूत करने वाले अपमानजनक शब्दों, चित्रों के उपयोग को बंद करने का समय आ गया है." फिल्म की टीम की ओर से आई ये सफाई फिल्म की अभिनेत्री कंगना रनौत की बहन रंगोली चंदेल ने इसका जवाब देते हुए कहा, "रनौत को तीन राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं और वो भारत में महिला आन्दोलन को आगे बढ़ाने वाली प्रमुख ताकत है. वे इतनी परिपक्व हैं कि अपनी जिम्मेदारी समझ सके. हम फिल्म की कहानी उजागर नहीं कर सकते, लेकिन हमने फिल्म को प्रदर्शित करने के लिए सभी जरूरी मंजूरियां जुटाई हैं."View this post on InstagramAn other poster by him. I'm really excited to watch dat film. #mentalhaikya.
उन्होंने गुजारिश की कि 'करणी सेना' ना बनें (जिसने दीपिका की फिल्म 'पद्मावत' के खिलाफ प्रदर्शन किया था) और फिल्म को रिलीज होने दें.
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अनिल चमड़ियावरिष्ठ पत्रकार
Opinion: 'आस्था, भावुकता और चेतना शून्य...', आखिर भारत में ही क्यों होती सबसे ज्यादा भगदड़ की घटनाएं
Opinion