मुंबई : 1970 व 1980 के दशक की जानी-मानी अभिनेत्री व समानांतर सिनेमा का नामी चेहरा रहीं दीप्ति नवल को 17 मई की देर रात सीने में तेज दर्द (एजाइना अटैक) के बाद चंडीगढ़ के फोर्टिस अस्पताल में दाखिल कराना पड़ा. यहां उनकी एंजियोप्लास्टी की गयी.
चंडीगढ़ के फोर्टिस अस्पताल से एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत करते हुए खुद दीप्ति नवल ने बताया, "मुझे 17 अक्टूबर की देर रात को हिमाचल प्रदेश के मनाली में एनजाइना अटैक आया था, मगर मनाली व आसपास आधुनिक सुविधा वाला कोई अस्पताल नहीं होने के चलते मुझे चंडीगढ़ के अस्पताल में दाखिल कराया गया. यहां पर मेरी सर्जरी हुई और अब मैं दोबारा से अपने पैरों पर खड़ी हो गयी हूं. अस्पताल में मेरी अच्छी देखभाल की गयी, जिसके लिए मैं मेरा इलाज करनेवाले डॉ. जसवाल का तहे-दिल से शुक्रिया अदा करना चाहूंगी."
दीप्ति ने अपनी बीमारी और इलाज के बारे में और विस्तार से बात करने से इनकार करते हुए कहा कि इस मौके पर वो इससे ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहूंगी.
अस्पताल से डिस्चार्ज किये जाने संबंधी सवाल पूछे जाने पर दीप्ति ने एबीपी न्यूज़ को आगे बताया, "मुझे आज अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी. फिलहाल मैं आपसे बात करते हुए डिस्चार्ज लेने की प्रक्रिया में ही जुटी हुईं हूं. डिस्चार्ज लेने के बाद मैं तीन-चार दिन चंडीगढ़ में रुकूंगी और फिर बाद मैं वापस मनाली लौट जाऊंगी."
गौरतरलब है कि श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित और 1978 में रिलीज हुई फिल्म 'जुनून' से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करनेवाले दीप्ति नवल ने आगे चलकर 'एक बार फिर', 'कमला', 'अनकही', 'चश्मे बद्दूर', 'साथ साथ', 'किसी से न कहना', 'कथा', 'रंग बिरंगी', 'फासले' जैसी कई फिल्मों में काम करके एक संजीदा किस्म की अभिनेत्री के तौर पर अपनी पहचान बनाई.