नई दिल्ली: जो फिल्मों का शौक रखते हैं, वो जायरा वसीम से ज़रूर परिचित होंगे. आमिर खान की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'दंगल' से चर्चित हुई एक्ट्रेस जायरा आज किसी और वजह से सुर्खियों में है. जायरा ने फिल्मी दुनिया से तौबा कर ली है, वो भी महज तीन फिल्मों के ही बाद. जायरा वसीम ने बाकायदा फेसबुक पोस्ट लिखकर मजहब के वास्ते फिल्मी करियर पर हमेशा के लिए ब्रेक लगाने का ऐलान किया है. कई लोग आशंका जता रहे हैं कि जायरा के फैसले के पीछे कट्टरपंथियों का दबाव हो सकता है. एक तरफ जायरा है और दूसरी तरफ है बंगाली एक्ट्रेस और सांसद नुसरत जहां जोकि कट्टरपंथियों के सामने अब भी डटी हुई है.


फिल्मी पर्दे की ये धाकड़ लड़की असल जिंदगी और अपने इर्द-गिर्द के सामाजिक दबावों को नहीं झेल पाई. सिल्वर स्क्रीन के दंगल में अपने प्रतिद्वन्दियों को धूल चटा देने वाली इस छोटी उम्र की एक्ट्रेस जायरा वसीम ने उन दबावों के आगे घुटने टेक दिए. जिनके सामने उन्हीं की एक हममजहब अभिनेत्री और सांसद नुसरत जहां डटकर मोर्चा लिए हुए हैं.


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एक्ट्रेस जायरा वसीम ने महज 5 साल के भीतर ही बॉलीवुड की उस चकमती-दमकती दुनिया को अलविदा कहने का फैसला कर लिया जहां से उन्हें ढेर सारी शोहरत मिली, दौलत मिली, नाम मिला. दंगल और सीक्रेट सुपरस्टार जैसी बॉलीवुड की दो बड़ी सुपर-डुपर हिट फिल्में देने वाली इस इस होनहार युवा अभिनेत्री ने फेसबुक पोस्ट में घोषणा करके सबको चौंका दिया कि वो अब फिल्में नहीं करेंगी--इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि इसके लिए जायरा ने मजहब का वास्ता दिया. जायरा ने लिखा, ''लंबे अरसे से मैं ये महसूस कर रही हूं कि मैंने कुछ और बनने के लिए संघर्ष किया है. मैंने ऐसे माहौल में काम करना जारी रखा जिसने लगातार मेरे ईमान में दख़लअंदाज़ी की. मेरे धर्म के साथ मेरा रिश्ता ख़तरे में आ गया.''


लेकिन जायरा की इस बात पर इस्लाम के जानकारों की अलग-अलग राय है-


अभिनेता रजा मुराद ने कहा, ''इस्लाम महिलाओं के काम करने के खिलाफ नहीं है. एक्टिंग करना इस्लाम के खिलाफ है, ये बात सही नहीं है. फारुख शेख साहब के साथ मैंने बहुत सारी फिल्में की हैं. रेगुलर काम करते ते और उसके साथ-साथ अपने मजहब का पालन करते खथे पांच वक्त के नमाजी थे.


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मौलाना आजाद उर्दू नेशनल यूनिवर्सिटी के कुलपति फिरोज बख्त अहमद का कहना है, ''जाहिरा ने जब फिल्म लाइन ज्वाइन की थी तो ये उनको पहले सोचना था कि ये उनके धर्म के आड़े आयेगा कि नहीं. इमानदारी की बात ये है कि हमारा जो धर्म है इस्लाम वो कहीं से कहीं तक फिल्म के आड़े नहीं आता. आप चाहे एक्टिंग करें मुजिक कंपोज कीजिए, आप अपने धर्म से जुड़े रह सकते है पांच वक़्त नमाज़ पढ़ सकते है, रोज रख सकते है जकात खैरात कर सकते है.''


मौलाना यसूब अब्बास का कहना है, ''औरत क्या पहने ये इयस्लाम में 1400 साल पहले है. इंडस्ट्री की सारी औरतों को इस बारे में सोचना चाहिए. अपने अंतरात्मा की आवाज सुननी चाहिए. औरत नुमाइश की वस्तु नहीं.''


लेकिन क्या सब कुछ वैसा ही है, जैसा जायरा वसीम ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा है. क्या वाकई जायरा ने ये फैसला अंतरात्मा की आवाज पर लिया ? कहीं उनके फैसले के पीछे कट्टरपंथी ताकतों का दबाव तो नहीं है? ऐसी आशंका कई लोग जता रहे हैं.


बीजेपी नेता शाजिया इल्मी का कहना है, ''बस ये ना हो कि जायरा ने किसी धमकी की वजह से या जबरदस्ती ऐसा कदम उठाया हैं. क्योंकि पहले उन्हें ऐसी धमकियां मिलती रही हैं.'' महिला एक्टिविस्ट जीनत शौकत अली का कहना है, ''दबाव की वजह से लिया है तो गलत है. लेकिन निजी लिया है तो उसका सभी को सम्मान करना चाहिए.''


मुमकिन है कि जायरा ने कट्टरपंथियों के दबाव के आगे सरेंडर करना ही उचित समझा हो.


जम्मू कश्मीर की रहने वाली जायरा सामाजिक दबावों में तभी से घिरनी लगी थी जब महज 13 साल की उम्र में ही वो आमिर खान की फिल्म दंगल में पहलवान गीता फोगट के बचपन का किरदार निभाकर शोहरत की बुलंदी तक पहुंच गई थी. उसके बाद आमिर खान के साथ ही अगली फिल्म सीक्रेट सुपर स्टार में भी उन्होंने खूब वाहवाही बटोरी. यहां तक कि कुछ समय पहले तक जायरा फिल्मी दुनिया को ही अपनी नियति, अपनी तकदीर बता रही थीं. लेकिन अब लगता है कि उस डेस्टनी, उस नियति का पहिया किसी और ही दिशा में घूम गया है.. जायरा की फेसबुक पोस्ट से इसे समझा जा सकता है. क़ुरान और पैग़ंबर का मार्गदर्शन मेरे फ़ैसले लेने और तर्क करने की वजह बना और इसने ज़िंदगी के प्रति मेरे नज़रिए और ज़िंदगी के मायने को बदल दिया.


इस्लाम के जानकार असद खान फलाही ने कहा, ''अगर ऐसा कुछ होता तो वो बतातीं कि उनके ऊपर फैमिली या किसी और का दबाव आया. जब तक वो कुछ कहें ना किसी ने मजबूर किया तब तक सवाल नहीं उठा सकते.''


वजह जो भी रही हो, जायरा वसीम अपने फैसले से फिल्म इंडस्ट्रीज से जुड़े लोगों को भी चौंका दिया है. फिल्मकार अशोक पंडित का कहना है, ''आपको रिटायर करना है तो करिए लेकिन उसे धर्म के साथ मत जोड़िए. आप रिटायर हो सकते हैं. ऐसा मौका खुशकिस्मत लोगों को मिलता है.''


बहरहाल अब 18 साल की एक्ट्रेस जायरा वसीम के फैसले को 29 साल की एक्ट्रेस नुसरत जहां के हौसले के आईने में देखा जा रहा है तो इसकी वजह भी है. बंगाली फिल्मों की अभिनेत्री और अब तृणमूल कांग्रेस की नवनिर्वाचित सांसद नुसरत जहां सिंदूर लगाने, मेंहदी रचाने, चूड़ा पहनने के बाद जहां कट्टरपंथियों की धमकियों के आगे डटी हुई हैं, वहीं जायरा ने उस दुनिया को ही बाय-बाय कह दिया जिसने उसे सिर आंखों पर बिठाया था.