ब्रिटिश आर्मी कैंटीन बनाए सैंडविच, जेल भी गए, फिर इस एक्टर ने 50 सालों तक बॉलीवुड पर किया राज, पहचाना?
Guess Who: बॉलीवुड के इस दिवंगत दिग्गज एक्टर ने एक से बढ़कर एक फिल्में हिंदी सिनेमा को दी. उनकी दमदार अदाकारी लोगों पर जादू कर देती थी. लेकिन ये एक्टर कभी ब्रिटिस कैंटीन में काम करते थे.
Guess Who: अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान से लेकर अक्षय कुमार तक, ऐसे कई अभिनेता हैं जिन्होंने बॉलीवुड में स्टार बनने के लिए अपनी शुरुआती लाइफ में काफी स्ट्रगल कया है. आज हम आपको एक ऐसे अभिनेता के बारे में बताएंगें जो कभी सैंडविच बनाता और बेचता था और बाद में ये सुपरस्टार बन गया.
हम जिस अभिनेता की बात कर रहे हैं उन्होंने अपने करियर की शुरुआत लगातार तीन फ्लॉप फिल्मों से की थी लेकिन बाद में उन्होंने बॉलीवुड पर राज किया. वह फिल्म इंडस्ट्री के सबसे सफल सितारों में से एक रहे थे. ये एक्टर कोई और नहीं बल्कि दिलीप कुमार हैं.
ब्रिटिश आर्मी कैंटीन में सैंडविच बनाते थे दिलीप कुमार
दिलीप कुमार का जन्म ब्रिटिश भारत के उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत के शहर पेशावर के क़िस्सा खवानी बाज़ार इलाके में उनके फैमिली होम में अवान हिंदकोवन मुस्लिम परिवार में हुआ था. वह पेशावर के उसी पड़ोस में पले-बढ़े जहां राज कपूर रहते थे और दोनों बचपन के दोस्त भी थे. फिल्मों से पहले दिलीप कुमार अपने गुजारे के लिए ब्रिटिश आर्मी कैंटीन में काम करते थे. वह यहां सैंडविच बनाते थे और उनके सैंडविच बहुत पसंद किए जाते थे.
जेल में भी रहे थे दिलीप कुमार
ब्रिटिश आर्मी कैंटीन में काम करते हुए दिलीप कुमार ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक भाषण दिया, जिसे सरकार विरोधी माना गया और उन्हें यरवदा जेल में डाल दिया गया.वे कई दिनों तक जेल में रहे और भाषण के कारण लोग उन्हें गांधीवाला कहने लगे. इसके बाद अभिनेता ने 1944 में फिल्म ज्वार भाटा से फिल्म इंडस्ट्र में कदम रखा था.
फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री के बाद बदला था नाम
हालांकि उनका जन्म मुहम्मद खान के रूप में हुआ था, लेकिन उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री करने से पहले अपना नाम बदल लिया और अपनी पहली फिल्म की निर्माता देविका रानी के सुझाव के अनुसार हिंदू नाम अपना लिया. दिलीप कुमार की पहली तीन फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल रहीं, हालांकि, उनकी चौथी फ़िल्म जुगनू थी और इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने शहीद, मेला, अंदाज़, बरसात सहित कई शानदार फिल्में दीं.
1950 के दशक में खूब बजा दिलीप कुमार के नाम का डंका
1950 का दशक कुमार का सबसे सफल और शानदार दशक था, जिसमें उन्होंने जोगन, बाबुल, दीदार, तराना, दाग, आन, उरण खटोला, इंसानियत, देवदास, नया दौर, यहूदी, मधुमती और पैगाम जैसी कई बॉक्स ऑफिस हिट फिल्मों में प्रमुख भूमिकाएं निभाईं थी. उनकी कई फिल्मों ने स्क्रीन पर उनकी इमेज "ट्रेजेडी किंग" के रूप में फेमस कर दी.
50 सालों से ज्यादा बॉलीवुड पर राज किया
दिलीप कुमार ने 50 सालों से अधिक समय तक बॉलीवुड पर राज किया और बाद में 2000 से 2006 तक भारत की संसद के ऊपरी सदन राज्य सभा के सदस्य के रूप भी काम किया. फिल्मों में उनके योगदान के लिए, भारत सरकार ने उन्हें 1991 में पद्म भूषण और 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया. उन्हें 1994 में सिनेमा के क्षेत्र में भारत के सर्वोच्च सम्मान, दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. 1998 में, पाकिस्तान सरकार ने कुमार को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज से सम्मानित किया. जिससे वह यह पुरस्कार पाने वाले एकमात्र भारतीय बन गए थे.
लंबी बीमारी के बाद अभिनेता का 7 जुलाई 2021 को निधन हो गया था.