Punjab 95 First Look: पंजाबी मनोरंजन इंडस्ट्री के मशहूर सिंगर और एक्टर दिलजीत दोसांझ इन दिनों दो बायोपिक फिल्मों पर काम कर रहे हैं. जहां एक फिल्म प्रसिद्ध सिंगर 'अमर सिंह चमकीला' के हत्याकांड पर आधारित है, वहीं दूसरी मानवाधिकार कार्यकर्ता 'जसवंत सिंह खालरा' के जीवन पर बन रही है.
दिलजीत इस समय 'जसवंत सिंह खालरा' की आगामी बायोपिक के चलते सुर्खियों में हैं बता दें कि दिलजीत की अपकमिंग फिल्म पंजाब 95 का फर्स्ट लुक रिवील हो गया है साथ ही एक गुडन्यूज भी मिली है. ये फिल्म इस साल एकमात्र ऐसी फिल्म है जिसका प्रतिष्ठित टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (टीआईएफएफ) में भारत से भव्य प्रीमियर होगा
ये मूवी ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट जसवंत सिंह खालरा पर आधारित है. इस मूवी में बॉलीवुड एक्टर अर्जुन रामपाल और सुविंदर विक्की भी लीड रोल में होंगे. दिलजीत दोसांझ स्टारर 'पंजाब 95' का टीआईएफएफ 2023 में होगा प्रीमियर, ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट जसवन्त सिंह खालरा पर आधारित है बायोपिक
पंजाब 95 के साथ दर्शकों को लुभाने के लिए तैयार हैं दिलजीत
इंडस्ट्री को कई शानदार फिल्में देने के बाद अब रोनी स्क्रूवाला अपनी अगली फिल्म पंजाब 95 के साथ दर्शकों को लुभाने के लिए तैयार है, जो ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट जसवंत सिंह खालरा के जीवन पर आधारित एक अट्रैक्टिव बायोपिक है. बेहद प्रतिभाशाली दिलजीत दोसांझ स्टारर ये फिल्म इस साल एकमात्र ऐसी फिल्म है जिसका प्रतिष्ठित टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (टीआईएफएफ) में भारत से भव्य प्रीमियर होगा.
ऐसे समय में जहां वास्तविक कहानियों ने दर्शकों को प्रभावित किया है, पंजाब '95 आरएसवीपी की ओर से एक और सोच को उड़ान देने वाली मास्टरपीस होने का वादा करती है. दिलजीत दोसांझ, अर्जुन रामपाल और सुरिंदर विक्की स्टारर इस फिल्म में जसवंत सिंह खालरा के जीवन और एक ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट के रूप में उनकी रिमार्केबल जर्नी को इंटरटेंनमेंट तरीके से दिखाए जाने की उम्मीद है.
इस इंट्रेस्टिंग स्टोरी को बड़े पर्दे पर देखने के बेसब्री से हो रहा है इंतजार
ऐसे में टीआईएफएफ 2023 में फिल्म के वर्ल्ड प्रीमियर को लेकर प्रत्याशा साफ नजर आ रही है, क्योंकि दर्शक इस इंट्रेस्टिंग स्टोरी को बड़े पर्दे पर देखने के अवसर का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल सिनेमा के बेहतरीन कामों को प्रदर्शित करने के लिए फेमस है और पंजाब 95 ग्लोबल मूवी लवर्स के बीच अपनी पहचान बनाने के लिए तैयार है. ये फिल्म सीबीएफसी में अटकी हुई है और फिलहाल बॉम्बे हाई कोर्ट में इसकी सुनवाई चल रही है.
1990 के दशक की शुरुआत में पंजाब के अमृतसर में उग्रवाद काल के दौरान जसवंत सिंह खालरा, एक बैंक एम्प्लॉई और ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट, अपनी पत्नी ,एक लाइब्रेरियन और अपने दो छोटे बच्चों के साथ रहते थे. नफरत से दूर रहने वाले जसवंत सिंह एक आम मिडिल क्लास पहचान से ज्यादा कुछ नहीं चाहते थे, लेकिन जब ऐसा जीवन जीने की उनकी उम्मीदें उथल-पुथल में बदल जाती हैं जब उन्हें अपने दिवंगत दोस्त की मां, बीबी गुरपेज के लापता होने के बारे में पता चलता है.और इस तरह उनकी अपनी बूढ़ी आंटी को खोजने की यात्रा शुरू होती है, और फिर उसे जल्द ही एहसास होता है कि वह अपनी खोज में जितनी गहराई तक जाता है, स्थिति उतनी ही संदिग्ध और खतरनाक होती जाती है, उसके साथ-साथ उसके परिवार के लिए भी