नई दिल्ली: भारत में हर साल 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. लेकिन इस बार कोरोना काल में इस दिन की अहमियत निश्चित ही पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है. यही वजह है कि आम से लेकर खास तक, सभी ने आज के दिन अपने अपने तरीके से डॉक्टरों का आभार जताया. डॉक्टर का धन्यवाद करने वालों में सलमान खान भी शामिल हैं.


सलमान खान ने ट्वीट के ज़रिए तमाम डॉक्टरों का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने लिखा, "आज डॉक्टर्स डे है, मेरी तरफ से सारे डॉक्टर्स को दिल से शुक्रिया. आपके समर्पण और आपके बलिदान के लिए! इस महामारी में देश में के सबसे मज़बूत पिलर के तौर पर बने रहने के लिए शुक्रिया."



आपको बता दें कि दुनियाभर में कोरोना वायरस महामारी ने लाखों जानें लेली हैं. भारत में भी कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है. देश में पौने छ लाख कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 17 हज़ार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. हालांकि इस जानलेवा बीमारी के दौर में भी भारत समेत दुनिया के तमाम देशों के डॉक्टर्स लोगों के इलाज में जुटे हुए हैं.


कैसे हुई नेशनल डॉक्टर्स डे की शुरुआत?
एक जुलाई को डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय का जन्मदिन और पुण्यतिथि होती है. उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में अहम योगदान दिया है. उन्हें उनके दूरदर्शी नेतृत्व के लिए बंगाल का आर्किटेक्ट भी कहा जाता है. साल 1961 में उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था. उन्हीं की याद में तत्कालीन केंद्र सरकार ने साल 1991 में नेशनल डॉक्टर्स डे मनाने का एलान किया था. तब से हर साल एक जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जा रहा है.


डॉ. बिधान चंद्र रॉय का जन्म 1 जुलाई 1882 को बिहार के पटना शहर में हुआ था. पहले कोलकाता में अपनी मेडिकल पढ़ाई पूरी की. इसके बाद लंदन से एमआरसीपी और एफआरसीएस की उपाधि हासिल की. कहा जाता है कि भारतीय होने की वजह से पहले उन्हें लंदन के सेंट बार्थोलोम्यू अस्पताल में दाखिला नहीं दियाा गया था, करीब डेढ़ महीने तक डीन के पास आवेदन करते रहे, आखिर में डीन ने हार मानकर 30वीं बार में उनका आवेदन स्वीकार कर लिया. रॉय इतने काबिल थे कि सवा दो साल में ही एक साथ फिजिशन और सर्जन की डिग्री हासिल कर ली.


लंदन से पढ़ाई पूरी करने के बाद रॉय भारत आ गए और 1911 में अपने चिकित्सकीय जीवन की शुरुआत की. भारत में चिकित्सा के क्षेत्र में उन्होंने बहुत नाम और सम्मान कमाया. इसके अलावा रॉय राजनीति में भी एक्टिव रहे. कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए. बाद में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री का पद भी संभाला. 80 साल की उम्र में उनके जन्मदिन वाले दिन 1 जुलाई को उनकी मृत्यु हो गई.


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