Durga Khote Birth Anniversary: जब देश में सिनेमा की शुरुआत हुई ,तो बहुत से लोगों ने इसे अच्छे रुप में नहीं देखा. ये वो दौर था जहां लड़कियों का फिल्मों में काम करना खराब माना जाता था. ऐसी मानयता थी कि अच्छे घरों की लड़कियां फिल्मों में काम नहीं करती. लेकिन फिर एक दिन ऐसा आया जब एक स्ट्रॉन्ग महिला ने इस स्टीरियोटाइप को तोड़ा और हिंदी सिनेमा में हमेशा के लिए अमर हो गईं. 


'मुगल-ए-आजम' की इस अभिनेत्री ने दी महिलाओं को फिल्मों में काम करने की हिम्मत
हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड की उस अभिनेत्री के बारे में जो महिलाओं के लिए प्रेरणा बनीं. उन्हें पर्दे पर देखकर कई महिलाओं ने फिल्मों में आने की हिम्मत की. जी हां, ये महान हस्ती  मुगल-ए-आजम में जोधाबाई का किरदार निभाने वाली दुर्गा खोटे है. भले ही अब वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन आज भी लोग उन्हें उनके यादगार भूमिकाओं के लिए याद किया करते हैं. 14 जनवरी को दुर्गा खोटे की बर्थ एनिवर्सरी है. तो चलिए इस खास मौके पर जानते हैं उनसे जुड़े कुछ अनसुने किस्से...



जमाने के बंधन तोड़ जब हीरोइन बनी थी दुर्गा खोटे
हिंदी सिनेमा पर दुर्गा खोटे का बहुत बड़ा योगदान रहा है. उन्होंने तब फिल्मों में काम करने का फैसला लिया, जब पूरा समाज उनके खिलाफ था. दरअसल, 18 साल की उम्र में दुर्गा की शादी हो गई थी. लेकिन दो साल बाद ही उनके पति का निधन हो गया. उस वक्त दुर्गा के दो बेटे थे. वहीं पति के गुजर जाने के बाद दुर्गा को पैसों की तंगी से जूझना पड़ा, जिसके बाद उन्होंने फिल्मों में आने का फैसला लिया. मुंबई में जन्मी दुर्गा एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखती थीं. इस वजह से उनका पूरा परिवार उनके इस फैसले से नाखुश था. लेकिन दुर्गा ने किसी की नहीं सुनी.



आलोचना का करना पड़ा था सामना
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक बोलती फिल्म से की, जहां उनका रोल बस 10 मिनट का था. फिल्म का नाम 'फरेबी जाल' थी, जिसके खराब कंटेंट की वजह से दुर्गा को आलोचना का सामना करना पड़ा था. लेकिन डायरेक्टर वी शांताराम की नजर दुर्गा पर पड़ी और उन्होंने दुर्गा को अपना फिल्म ‘अयोध्येचा राजा’ में लीड रोल के लिए ऑफर दिया. इस फिल्म ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया. इसके बाद दुर्गा ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं और अपनी कड़ी मेहनत से इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई. 



बेटी की मौत से लगा सदमे में चली गई थी अभिनेत्री
वहीं दुर्गा ने पर्दे पर सबसे ज्यादा मां की भूमिका निभाई थी. इस वजह से उन्हें हिंदी सिनेमा की मां का टाइटल मिल गया था. सब ठीक चल रहा था लेकिन फिर एक दिन उनके बेटे की मौत हो गई. पति के बाद बेटे को खोने का उन्हें गहरा सदमा लगा था. वहीं साल 1991 में दुर्गा खोटे ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. 


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