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The Accidental Prime Minister : कितनी Real और कितनी फिल्मी है ये कहानी

The Accidental Prime Minister Movie राजनीतिक संपादक राजकिशोर बता रहे हैं कि इस फिल्म के राजनीतिक मायने क्या हैं. उनकी राय इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वह मनमोहन सिंह के कार्यकाल को करीब से देख चुके हैं.

The Accidental Prime Minister: राजनीति के गलियारे में सबसे चर्चित फिल्म 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' रिलीज हो गई है. यह फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उस समय उनके मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू के इर्द-गिर्द रची गई है. फिल्म में मनमोहन सिंह का किरदार अनुपम खेर ने और संजय बारू का किरदार अक्षय खन्ना ने किया है. पहले से ही ये कहा जा रहा है कि ये एक प्रोपगेंडा फिल्म है जो इस साल होने वाले चुनाव को ध्यान में रखकर बनाई गई है. फिल्म समीक्षकों ने भी इसे प्रोपेगेंडा फिल्म बताकर सिरे से नकार दिया है. एबीपी न्यूज़ पर आप फिल्म रिव्यू तो पढ़ चुके हैं यहां आपको हमारे राजनीतिक संपादक राजकिशोर बता रहे हैं कि इस फिल्म के राजनीतिक मायने क्या हैं.  उनकी राय इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वह मनमोहन सिंह के कार्यकाल को करीब से देख चुके हैं. मनमोहन सिंह के साथ राजकिशोर विदेश दौरे पर भी जा चुके हैं. आइए यहां राजकिशोर की जुबानी जानते हैं कि इस फिल्म में कितनी असली बातें हैं और क्या अलग से पेश किया गया है.

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सवाल- 1. फिल्म देखने के बाद आपकी पहली प्रतिक्रिया

राजकिशोर : फिल्म के किरदार काफी दमदार हैं और इसके कारण लगता है कि चीजों को सामने से घटते हुए देख रहे हैं. फिल्म को देखकर लोग बोर नहीं होंगे. हालांकि, मैं ये तो नहीं कह सकता हूं कि फिल्म पूरी तरह से सच है, लेकिन काल्पनिक भी नहीं है. फिल्म रोचक है और देखने वाले निराश नहीं होंगे.

सवाल -फिल्म के मुख्य किरदार में कौन हैं अनुपम खेर या अक्षय खन्ना?

राजकिशोर :  निश्चित तौर पर फिल्म की मुख्य भूमिका में अक्षय खन्ना हैं जो कि संजय बारू का किरदार निभा रहे हैं. यह फिल्म सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं है. इसके मायने कुछ और भी हैं. जिस किताब पर यह फिल्म बनी है वह भी अच्छी है और यह फिल्म भी अच्छी है.

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सवाल- आप पत्रकार रहते हुए फिल्म के असली किरदारों से मिले हुए हैं आपको क्या लगता है ये घटनाएं सच में हुई या नहीं

राजकिशोर :  निश्चित तौर पर ये घटनाएं हुई हैं. हालांकि, असली में मनमोहन सिंह और संजय बारू के बीच की कमेस्ट्री बहुत अच्छी थी. फिल्म में राहुल गांधी, सोनिया गांधी और अहमद पटेल की भूमिका को थोड़ा सा रफ दिखाया गया है.

सवाल-क्या फिल्म में दिखाई गई घटना 70 से 80 प्रतिशत तक सही हैं?

राजकिशोर :  हां.

सवाल-फिल्म में राहुल गांधी और सोनिया गांधी को इटालियन में कुछ बात करते हुए दिखाया गया है. आपकी प्रतिक्रिया?

राजकिशोर : व्यक्ति जब गुस्से में होता है तो वह अपनी भाषा में बात करता है, इसलिए फिल्म में दिखाए गए इस सीन का मतलब समझने में लोगों को दिक्कत नहीं होनी चाहिए.

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सवाल- इस फिल्म में सबसे उभरता किरदार कौन सा है?

राजकिशोर :  मनमोहन सिंह जब विदेश दौरे पर जाते थे तो उनमें गजब का आत्मविश्वास होता था. वो बड़े ही दमदार तरीके से विदेशी राष्ट्राध्यक्षों से बात करते थे. हिन्दुस्तान में वो रहते थे तो उनपर एक दबाव दिखता था. फिल्म में कपिल सिब्बल और अहमद पटेल की मॉकरी थोड़ा ज्यादा की गई है. फिल्म में जिस अंदाज में संजय बारु को अहमद पटेल से बात करते हुए दिखाया गया है वह मैं पूरे दावे के साथ कह सकता हूं कि ऐसी हैसियत उस समय किसी की नहीं थी.

सवाल-  पूरी फिल्म देखने के बाद मनमोहन सिंह के किरदार को मजबूत कहेंगे या मजबूर?

राजकिशोर : कांग्रेस पार्टी की यह सबसे बड़ी गलती है उसने राहुल गांधी को नेता बनाने के चक्कर में मनमोहन सिंह को कमजोर बना दिया. मनमोहन सिंह को कमजोर प्रधानमंत्री साबित करने की विपक्ष की कोशिशें इसलिए सफल हो पाई क्योंकि कांग्रेस पार्टी के कुछ लोग ऐसा चाहते थे. फिल्म में दिग्विजय सिंह का किरदार नहीं दिखाया गया है जो कि खुलकर कहा करते थे कि जनता ने जनादेश कांग्रेस पार्टी के नाम पर दिया है मनमोहन सिंह के नाम पर नहीं. मनमोहन सिंह को कमजोर दिखाने का नुकसान कांग्रेस पार्टी को 2014 के चुनाव में सबसे ज्यादा हुआ जब नरेंद्र मोदी के सामने राहुल गांधी परफॉर्म नहीं कर पाए.

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सवाल-बीजेपी को यह फिल्म 2019 के चुनाव में फायद पहुंचाएगी?

राजकिशोर : निश्चित तौर पर फिल्म से बीजेपी को फायद होगा. फिल्म के किरदार में राहुल का कुछ नहीं बोलना, इटालियन में सोनिया गांधी से बात करना, अहमद पटेल का चिट्ठी से कान करना, राहुल का डरना, इन सबसे एक मैसेज तो जाएगा ही. फिल्म में प्रधानमंत्री दफ्तर और सोनिया गांधी के बीच पॉवर डिवाइड भी दिखाया गया है जिससे बीजेपी को फायदा हो सकता है.

सवाल-अनुपम खेर का किरदार कैसा लगा आपको?

राजकिशोर : न्यूक्लियर डील के समय मनमोहन सिंह ने पूरी पार्टी को मजबूर कर दिया था उस समय उनका किरदार बहुत दमदार है. अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के बीच गजब की कमेस्ट्री थी. जब बीजेपी मनमोहन सिंह को सदन में बोलने नहीं देती थी तो इसके बाद वाजपेयी जी ने सदन में आना छोड़ दिया था. मनमोहन सिंह के किरदार को उभारने में अनुपम खेर बहुत सही साबित हुए हैं, लेकिन किरदार को नंबर देने में मैं सबसे अधिक अक्षय खन्ना को नंबर दूंगा.

सवाल-फिल्म रोक कर रखती है या नहीं

राजकिशोर :  निश्चित तौर पर फिल्म दर्शकों को रोककर रखती है. लेकिन ये बात सच है कि अहमद पटेल और कपिल सिब्बल जैसे कलाकारों के किरदारों पर ज्यादा मेहनत नहीं की गई है और फिल्म पूरी तरह से मनमोहन सिंह और अक्षय खन्ना पर केन्द्रीत है. सोनिया गांधी के किरदार से भी ज्यादा न्याय नहीं किया गया है. असल जीवन में ऐसे कई मैके आए जब सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह के बचाव में आई थीं लेकिन वह इस फिल्म में नहीं दिखाया गया है और इस कारण फिल्म बहुत एकांगी है. फिल्म को किसी खास उद्येश्य से बनाया गया है और जिस भी उद्येश्य की पूर्ति के लिए यह फिल्म बनाया गया है उसे यह पूरा करती है.

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