नई दिल्ली: पीके की सफलता के 2 साल बाद एक बार फिर बॉलीवुड के मिस्टर परफैक्शनिस्ट आमिर खान ने दंगल के साथ पर्दे पर दमदार वापसी की है. दंगल को फैंस ने हाथों-हाथ लिया है और पहले दो दिन में ही फिल्म ने 64.60 करोड़ की कमाई कर कई बड़े रिकॉर्ड्स धवस्त कर अपना लोहा मनवा दिया है. डायरेक्टर नितेश तिवारी ने अखाड़े के दंगल को इस तरह परदे पर उकेरा है कि हर सीन, हर एक्सप्रेशन, हर डायलॉग सब रियलिस्टिक लगते हैं. दो घंटे 50 मिनट की ये फिल्म आपको हर पल खुद से बांधे रखती है.
लेकिन हरियाणा के बलिष्ठ पहलवान महावीर सिंह फोगट और उनकी बेटियों गीता और बबीता फोगट के जीवन पर आधारित फिल्म दंगल में सिनेमाई पुट डालने की वजह से या फिल्म के क्लाइमैक्स को और ज्यादा दमदार बनाने की कोशिश में मिस्टर परफैक्शनिस्ट फैक्ट्स के साथ एक ऐसा खेल कर गए जिसके बारे में एक खेलप्रेमी होने के नाते हम सबको जानना चाहिए.
2 घंटे 50 मिनट की फिल्म में आखिर के क्लाइमैक्स में कॉमनवैल्थ गेम्स 2010 का दृश्य फिल्माया गया है. जिसमें डायरेक्टर और खुद मिस्टर परफैक्शनिस्ट ने फैक्ट्स के साथ घालमेल कर दिया. कॉमनवेल्थ गेम्स वाले दृश्य में फिल्म में क्वार्टर-फाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल समेत गीता के कुल तीन मुकाबले दिखाए गए हैं लेकिन इन तीनों मुकाबलों में उन्होंने विरोधी टीम के खिलाड़ियों के नाम ही बदल दिए.
क्वार्टर फाइनल में गीता का मुकाबला वेल्स की पहलवान नोन इवान्स के साथ होता है. जबकि फिल्म में वेल्स की इस खिलाड़ी का नाम बदलकर एमिली रखा गया है. वहीं सेमीफाइनल मुकाबले में गीता का मैच नाइजीरिया की स्टार लोवीना एडवर्ड्स के साथ होता है जबकि फिल्म में गीता के इस मैच को नाओमी के साथ दिखाया गया है. वहीं फाइनल में भी फिल्मकार ने कुछ ऐसा ही किया. जहां असल में गीता का मुकाबला ऑस्ट्रेलिया की एमिली बेनस्टेड के साथ हुआ था वहीं फिल्म में इसे एंजलीना नाम के साथ बदल दिया गया है.
महज़ नाम तक बात रहती तो ये फैक्ट नज़रअंदाज़ किया जा सकता था लेकिन फिल्म में दिखाए गए मैच के रोमांच और असल मैच के रोमांच में जमीन-आसमान का अंतर पैदा कर दिया गया है. फिल्म में तीनों मुकाबलों को इस तरह पेश किया गया है जैसे गीता को इसे जीतने में बहुत अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ा हो लेकिन असल में मैच बिल्कुल कठिन ज़रूर थे लेकिन अलग परिस्थितियों में हुए.
जी हां क्वार्टरफाइनल मुकाबले में गीता ने वेल्स की नोन इवान्स को 2-0 के अंतर से 2 सेट के बाद ही हरा दिया था जबकि वो मैच में एक बार भी वेल्स की खिलाड़ी से नहीं पिछड़ी लेकिन फिल्म में दिखाया गया है कि गीता क्वार्टरफाइनल मुकाबले में वेल्स की खिलाड़ी के साथ तीसरे राउंड तक जाती हैं जबकि पहले राउंड में पिछड़ने के बाद दूसरे राउंड में वापसी करती हैं और फिर आखिरी राउंड को वो 6-3 से जीतकर सेमीफाइनल में जगह बना पाती है. फिल्म की ये कहानी असल फैक्ट से बिल्कुल अलग है.
इतना ही नहीं फिल्म में सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबलों के असल स्कोर के साथ भी छेड़छाड़ की गई है. गीता फोगाट ने साल 2010 के कॉमनवेल्थ के सेमीफाइनल में नाइजीरिया की लोवीना एडवर्ड्स को 5-1 से हराकर एक मुश्किल मुकाबला अपने नाम किया था. जिसमें उन्होंने पहला राउंड 1-0 से गंवाने के बाद दूसरे राउंड में 1-0 से वापसी की जबकि आखिरी राउंड को 4-0 के बड़े अंतर से एकतरफा जीत लिया था. लेकिन फिल्म में दिखाया गया है कि नाइजीरियाई पहलवान के खिलाफ गीता पहला राउंड 3-1 से गंवाती है जबकि दूसरे राउंड को 0-3 से जीत लेती है जबकि आखिरी राउंड को जीतकर वो फाइनल में प्रवेश करती है.
हालांकि फिल्म में भी सेमीफाइनल मुकाबले को ही सबसे कड़े मैच के रूप में दिखाया गया है जिसे लेकर कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने के बाद खुद गीता ने सबसे मुश्किल मैच करार दिया था. गीता ने कहा था कि जब उन्होंने नाइजीरिया की इस स्टार प्लेयर को हरा दिया था तब उन्हें लगने लगा था कि अब गोल्ड भारत का है.
क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल के बाद गीता फोगाट का फाइनल मैच ऑस्ट्रेलिया की एमिली बेन्सटेड के साथ होता है लेकिन फिल्म में उनका मैच एंजलीना के साथ दिखाया गया है. फिल्म के फाइनल में गीता पहला राउंड 4-3 से जीत जाती है जबकि दूसरे राउंड में उसे एंजलीना से 6-4 से हार का सामना करना पड़ता है लेकिन आखिरी राउंड में बाकी बचे 22 सेकेंड में गीता 5 पॉइंट हासिल कर मुकाबला अपने नाम कर लेती है.
जबकि असल फाइट में गीता पहला राउंड 3-0 जबकि दूसरा राउंड 8-0 से अपने नाम कर कॉमनवेल्थ में देश की पहली गोल्ड जीतने वाली महिला पहलवान बन जाती हैं. लेकिन फिल्म में दिखाया है कि फाइनल मैच भी तीसरे और आखिरी राउंड तक रोमांचक रूप में पहुंचता है.
फिल्म में दिखाए गए कॉमनवेल्थ गेम्स के तीनों मुकाबलों के स्कोर और खिलाड़ियों के नाम के साथ छेड़छाड़ की गई है जिससे फिल्म के क्लाइमैक्स को और अधिक रोमांचक रूप में दिखाया जा सके.
फिल्में समाज का आईना होती हैं, हकीकत के करीब होती हैं, लेकिन हू-ब-हू हकीकत नहीं. जब आमिर ने मैच में रोमांच पैदा करने के लिए फैक्ट्स से जो ‘खेल’ किया, शायद उनके जेहन में ये नुक्ता भी रहा हो. अकसर सिनेमाई पर्दे पर फिल्मों में ऐसा प्रयोग किया जाता रहा है. दंगल से पहले भी कई फिल्मों में हकीकत के पहलू में फिल्मी अंदाज़ डालने के लिए कुछ बदलाव किए गए हैं. लेकिन ये भी सच है कि दंगल फिल्म को जीवंत कर देने वाले तरीके से भी पर्दे पर पेश किया गया है जिससे हर खेलप्रेमी जुड़ाव महसूस करता है.
देखें गीता के असल फाइनल मुकाबले का वीडियो: