नई दिल्ली: फैज अहमद 'फैज' ऊर्दू अदब के एक बड़े शायर हैं. फैज का बॉलीवुड से भी गहरा नाता है. बॉलीवुड के कई निर्माता निर्देशक और गीतकार फैज अहमद फैज के करीबी दोस्त भी रहे हैं. हिंदी सिनेमा हमेशा से ही फैज की शायरी से प्रभावित रहा है और ये सिलसिला आज भी जारी है.


मल्लिका-ए-तरन्नुम नूरजहां जब छीन कर गयी थी गजल


ब्लैक एडं व्हाइट फिल्मों के दौर की मशहूर अभिनेत्री नूरजहां फैज की शायरी की बहुत बड़ी फैन थीं. पार्टिशन से पहले नूरजहां ने कई हिंदी फिल्मों में काम किया. नूरजहां को मल्लिका-ए-तरन्नुम भी कहा जाता है. मुझ से पहली सी मोहब्बत मेरे मेहबूब न मांग ये फैज की लिखी गजली थी, जिसे छीनकर नूरजहां ने गाया था. उनकी आवाज में यह गजल बहुत मशहूर हुई. 1951 में फैज को गिरफ्तार कर लिया गया. लियाकत अली की सरकार गिराने के आरोप में उनके खिलाफ यह कार्रवाई अमल में लाई गई. उन पर आरोप लगा था कि वे इंकलाबी शायरी लिखते हैं. जिससे पाकिस्तान की हुकूमत को खतरा है.


ख्य्याम ने फैज के कलाम से की करियर की शुरुआत


पद्म भूषण संगीतकार ख्य्याम ने अपने करियर की शुरूआत फैज की गजल को गाकर की थी. इस बात का खुलासा उन्होंने एक इंटरव्यू में करते हुए बताया था कि वे केएल सहगल से प्रेरित होकर हीरो बनना चाहता थे. मुंबई आने पर उनके मेरे गुरु संगीतकार हुस्नलाल-भगतराम ने प्लेबैक सिंगिंग का मौका दे दिया. इस गाने में उनकी को-सिंगर जोहरा थीं और कलाम फैज अहमद फैज का था. इस गाने के लिए उन्हें 200 रुपए मिले थे जो उनकी पहली कमाई थी.


'मजदूर' फिल्म का गाना आज भी लोकप्रिय है


1983 में रवि चौपड़ा निर्देशित फिल्म 'मजदूर' आई. इस फिल्म में दिलीप कुमार ने अभिनय किया था. इस फिल्म में फैज के एक चर्चित कलाम को गाने की शक्ल में पेश किया जा आज भी गाया और सुनाया जाता है. यह गाना था-


हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे,
इक खेत नहीं, इक देश नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे.


शाहिद कपूर पर फिल्माया गया गाना


वर्ष 2014 में विशाल भारद्वाज की फिल्म हैदर में भी फैज की एक नज्म पेश की गई थी. इसे अरिजीत सिंह ने गाया था. इस फिल्म के गीत गुलजार ने लिखे थे. शाहिद कपूर इस फिल्म में हीरो थे. यह फिल्म शेक्सपियर के नाटक ‘हैम्लेट’ पर आधारित थी. इस फिल्म में फैज की इस नज्म को पेश किया गया था-


गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले
चले भी आओ कि गुलशन का करोबार चले