देश प्रेम पर बनी फिल्म: 'तिरंगा', राजकुमार-नाना पाटेकर ने देश बचाने के लिए लगा दी थी जान, आज भी दिलों में बसी है ये फिल्म
हिंदुस्तान में देश प्रेम के इर्द गिर्द कई फिल्में बनाई गई हैं. इन्हीं में से एक है राजकुमार और नाना पाटेकर स्टारर साल 1993 में आई फिल्म तिरंगा, जिसका निर्देशन मेहुल कुमार ने किया था.
Tiranga Movie: देशभक्ति या देश प्रेम ये ऐसे शब्द हैं, जो किसी देश के नागरिकों के लिए बेहद अहम हैं. कई बार इन शब्दों में मौजूद अर्थ को समझाने के लिए फिल्मकार फिल्मों का सहारा लेते हैं. हिंदुस्तान में देश प्रेम के इर्द गिर्द कई फिल्में बनाई गई हैं. इन्हीं में से एक है राजकुमार और नाना पाटेकर स्टारर साल 1993 में आई फिल्म तिरंगा, जिसका निर्देशन मेहुल कुमार ने किया था. इस फिल्म के गाने आज भी लोगों के ज़ुबान पर हैं. आज भी जब टीवी पर यह फिल्म प्रसारित होती है तो इसे बहुत चाव के साथ देखा जाता है.
कहानी
फिल्म 'तिरंगा' एक खतरनाक अपराधी प्रलयनाथ गैंडास्वामी के मंसूबों को नाकाम करने की कहानी है, जिसके लिए ब्रिगेडियर सूर्यदेव सिंह यानी राजकुमार को नियुक्त किया जाता है और इस मिशन में नाना पाटेकर राजकुमार की मदद करते हैं. किस तरह वो प्रलयनाथ से देश को बचाते हैं और इस दौरान उन्हें क्या क्या मुश्किलें आती हैं ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी. लेकिन एक बात तय है कि इस फिल्म को देखने के बाद आपके अंदर भी देश प्रेम का जज़्बा उफान मारने लगेगा. तिरंगे के लिए आपके अंदर भी कुछ कर गुजरने की चाहत पैदा हो जाएगी.
फिल्म के न भूलने वाले द्रश्य और डायलाग्स
इस फिल्म में कुछ ऐसे जबरदस्त डायलॉग्स हैं, जिन्हें भूल पाना संभव नहीं है, जैसे फिल्म में जब राजकुमार की एन्ट्री होती हैं तब वह गैंडास्वामी से कहते हैं कि न तलवार की धार से न गोलियों की बौछार से बंदा डरता है तो बस परवरदिगार से. इसके साथ नाना पाटेकर का भी वह डायलॉग काफी फेमस हुआ जब वह गैंडास्वामी से कहते हैं कि याद है मैने कहा था कि यही 1500 की नौकरी करने वाला एक दिन तुझे 150 का कफन पहनाएगा.
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