फिल्म ‘पद्मावत’ की रिलीज के मौके पर हम आपको फिल्म कुछ उन खास सीन्स के बारे में बता रहे हैं जिन्हें आप फिल्म देखके हुए बिल्कुल भी मिस न करें. साथ ही आने वाले कुछ सालों में फिल्म के इन सीन्स की मिसाल दी जाएगी.
'शरीर पाने की लालसा रखने वाले दुश्मन को अपनी परछाई भी न छूने दे वो है रानी पद्मावती'
क्षत्रानियों संग पद्मावती का जौहर
फिल्म 'पद्मावत' की जान है ये सीन या यूं कहें ये कहानी यादगार ही इसलिए है कि अपनी इज्जत और आत्मसम्मान को बचाने के लिए रानी अंगारों में भी कूदने को भी तैयार थी. फिल्म में ये सीन करीब 12 से 13 मिनट तक फिल्माया गया है. इस सीन में संजय लीला भंसाली ने अपनी पूरी जान लगा दी है. इस सीन में जहां एक तरफ राजा रतन सिंह रण में धोखे से मारे जाते हैं वहीं दूसरी ओर रानी पद्मावती जौहर की ओर कदम बढ़ा रही होती है.
मूवी रिव्यू: भव्य है 'पद्मावत', ना कोई ड्रीम सीक्वेंस है ना ही कोई विवादित सीन
रानी अपनी सभी क्षत्राणियों के साथ जौहर की आग को गले लगाने जा रही हैं, दूसरी ओर खिलजी अपनी सेना के साथ किले के अंदर प्रवेश करता है. वो रानी की एक झलक पाने के लिए तड़पता रहता है और पद्मावती की क्षत्राणियां किसी भी कीमत पर खिलजी को रानी की झलक तक नहीं दिखने देती.
चित्तौड़ पर खिलजी की सेना का पहला वार
खिलजी का अजीज मलिक काफूर
फिल्म की शुरुआत में एक सीन आता है जिसमें रजा मुराद जो कि फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी के चाचा जलालुद्दीन खिलजी का किरदार निभा रहे हैं, खिलजी से मिलने पहुंचते हैं. दोनों के बीच संवाद शुरू होता है तो जलालुद्दीन खिलजी , अलाउद्दीन के गले से एक किमती रत्न तोड़ लेते हैं. इस जलालत से अलाउद्दीन गुस्से की आग में जल रहा होता है, तभी जलालुद्दीन उसे मलिक काफूर नाम का तोहफा सौंपता है और कहता है कि वो अलाउद्दीन के लिए कुछ भी कर गुजरेगा. ये सुनकर गुस्से की आग में जल रहा खिलजी काफूर से कहता है कि वो जलालुद्दीन के दोनों खास लोगों को मार दे जो इस वक्त यहां मौजूद हैं. जलालुद्दीन इसे एक मजाक के तौर पर लेता है और पलक झपकते है काफूर उसके दोनों खासम-खास लोगों का कत्ल कर देता है. इसी तुरंत बाद अलाउद्दीन अपने चाचा जलालुद्दीन का कत्ल कर देता है.