नई दिल्ली: चांदनी सदमा दे गई. ऐसा सदमा जिससे उबर पाना नामुमकिन होगा. बिजली गिराने वाली वो अदाकारा इस तरह इस दुनिया से हवा हवाई हो जाएगी. ये किसी ने ख्वाब में भी नहीं सोचा होगा. उनके जीवन की कहानियां के जरिए हम आपको दिखाएंगे उनका वो सफर जो किसी करिश्मे से कम नहीं रहा.
करोड़ों दिलों को अपनी अदाओं से धड़काने वाली श्रीदेवी महज 54 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने की वजह से हमें अलविदा कह गईं. श्रीदेवी दुबई में अपने पति बोनी कपूर के भांजे मोहित मारवाह की शादी में शामिल होने गई थीं और ये सफर उनकी जिंदगी का आखिरी सफर साबित हुआ.
श्रीदेवी बॉलीवुड की एक ऐसी अदाकारा रही हैं जिन्होंने हर किरदार को ना सिर्फ निभाया बल्कि जिया है. वो बॉलीवुड में उस मुकाम तक पहुंची जहां तक पहुंचना ज्यादातर हीरोइनों का सपना होता है. लेकिन श्रीदेवी ने इस सपने को सच कर दिया. आइए आपको बताते हैं कि श्रीदेवी ने बॉलीवुड में कामयाबी का ये सफऱ कैसे तय किया.
जन्म, डेब्यू और शुरुआती फिल्में
श्रीदेवी का जन्म 13 अगस्त 1963 को तामिलनाडु के एक तमिल परिवार में हुआ. श्रीदेवी ने महज 4 साल की उम्र से ही बतौर बाल कलाकार एक्टिंग के फील्ड में कदम रख दिया था. श्रीदेवी की पहली तमिल फिल्म थुनाईवन थी. साल 1967 से 1975 तक श्रीदेवी ने बतौर बाल कलाकार तमिल, तेलगु, मल्यालम और कन्नड़ में फिल्मों में काम किया
फिल्म जूली में भी श्रीदेवी बतौर बाल कलाकार नजर आईं. इस फिल्म में श्रीदेवी फिल्म की हीरोइन लक्ष्मी की छोटी बहन के किरदार में नजर आई थीं. 1978 में आई फिल्म सोलवा सावन से श्रीदेवी ने बतौर लीड ऐक्ट्रेस हिंदी फिल्मों में कदम रखा. लेकिन फिर चार सालों तक श्रीदेवी ने कोई फिल्म साइन नहीं की. साल 1983 में श्रीदेवी को फिल्म हिम्मतवाला में साइन किया गया जिसमें जितेन्द्र श्रीदेवी के हीरो थे. फिल्म बॉक्सऑफिस पर हिट रही. यहीं से शुरू हो गया श्रीदेवी का करोड़ों लोगों के रूप की रानी बनने का सफर.
सफलता का दूसरा नाम बन गई श्रीदेवी-जीतेन्द्र की जोड़ी
फिल्मी पर्दे पर जितेन्द्र के साथ श्रीदेवी की जोड़ी को खूब पसंद किया जाने लगा. उस दौर में दक्षिण भारत के फिल्मकारों के निर्देशन में दोनों ने साथ में जानी दोस्त, जस्टिस चौधरी, मवाली और तोहफ़ा जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया. फिल्मों के मसाला में जीतेन्द्र-श्रीदेवी की जोड़ी कामयाबी का दूसरा नाम बन गयी. खासतौर पर तोहफा के गीतों में तो श्रीदेवी का डांस छा गया.
फिल्म सदमा से की सबकी आंखें नम
साल 1983 में जहां हिम्मतवाला और मवाली जैसी मसाला फिल्मों में श्रीदेवी ने धूम मचायी, वहीं इसी साल कमल हासन के साथ फिल्म सदमा में अपने बेहतरीन अभिनय से उन्होंने सबकी आंखें नम कर दीं. फिल्म सदमा में गुलज़ार की लिखे गाने 'सुरमई अखियों में' श्रीदेवी ने क्या खूब अपनी आंखों का जादू बिखेरा.
लगातार सफलता की सीढियाँ चढ़ती चली गईं श्रीदेवी
सदमा में उनके हीरो रहे कमल हासन ने उनके साथ कई तमिल फिल्मों में भी काम कर चुके हैं. श्रीदेवी कामयाबी की सीढियां चढ़ती गयीं और फिर उनका नंबर आया उस ज़माने के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन की हीरोइऩ बनने का. फिल्म इंक़लाब में पहली बार श्रीदेवी ने अमिताभ जैसे ज़बरदस्त अभिनेता के साथ काम किया और अपने अभिनय से छाप सबपर छोड़ी.
श्रीदेवी अब तक बड़े-बड़े सितारों के साथ काम कर चुकी थी. लेकिन अभी वो धमाका होना बाकी था जिसने श्रीदेवी को टॉप के सितारों की जमात में शामिल करने वाला था और इसके बाद तो श्रीदेवी सुपरस्टाडरम की सीढ़ियां चढ़ती चली जाने वाली थीं.
करियर के शुरुआती सालों में श्रीदेवी जीतेन्द्र और राजेश खन्ना के साथ लगातार पारिवारिक फिल्में ही कर रही थीं. अभी ऐसी फिल्म का आना बाक़ी थी जो श्रीदेवी के नाम का डंका बजा दे और आखिरकार 1986 में ये फिल्म आयी.
फिल्म नागिन से हुआ बड़ा धमाका
1986 में निर्देशक हरमेश मल्होत्रा की फिल्म नगीना ने बॉक्स ऑफिस पर तूफ़ान मचा दिया और साल की सबसे बड़ी ब्लॉकस्टर साबित हुई. ऋषि कपूर के हीरो होने के बावजूद फिल्म की कामयाबी श्रीदेवी के नाम रही.
फिल्म नगीना में श्रीदेवी ने एक इच्छाधारी नागिन की भूमिका निभायी थी और उनपर फिल्माया गया गीत 'मैं तेरी दुश्मन' सुपरहिट साबित हुए. नगीना की सफलता का ये आलम था कि फिल्म का सीक्वल निगाहें नगीना पार्ट टू के नाम से बनाना पड़ा. हालांकि ये फिल्म नगीना की तरह बड़ी हिट नहीं हो पायी.
नहीं आती थी हिंदी
हिंदी श्रीदेवी की मातृभाषा नहीं थी. शुरुआत से ही उनको हिंदी बोलने में दिक्कत होती थी. उन्होंने एक बार कहा था कि वे किसी तोते की तरह अपने डायलॉग रटती थीं. हिंदी पूरी तरह ना आने की वजह से कई सालों तक श्रीदेवी की फिल्मों में उनके डायलॉग किसी दूसरे की आवाज़ में डब किए जाते रहे. दर्जनों फिल्मों में पुरानी अभिनेत्री नाज़ ने उन्हें अपनी आवाज़ दी. अमिताभ के साथ फिल्म आखिरी रास्ता में तो अभिनेत्री रेखा ने उन्हें अपनी आवाज़ दी थी.
एक्सपोज़ करने से किया मना
जब अभिनेता और निर्देशक फिरोज़ ख़ान अपनी फिल्म जांबाज़ के लिए श्रीदेवी को साइन करने पहुंचे तो श्रीदेवी ने कहा कि वो उनकी फिल्म में काम नहीं कर सकतीं क्योंकि उनकी फिल्मों में तो हीरोइऩ को बहुत एक्सपोज़ करना पड़ता है. श्रीदेवी की बात सुनकर फिरोज़ ख़ान मुस्कुरा दिए. वो बोले कि उन्हें उनकी फिल्म के लिए सिर्फ श्रीदेवी का चेहरा चाहिए. वादे पर क़ायम रहते हुए फिरोज़ ने श्रीदेवी के साथ बेहद खूबसूरत गीत 'हर किसी को नहीं मिलता' फिल्माया जिसकी इतनी धूम मची कि फिल्म की असली हीरोइऩ डिंपल कपाड़िया से कहीं ज़्यादा चर्चा श्रीदेवी की हुई.
श्रीदेवी ने शुरू किया था मम्मी कल्चर
श्रीदेवी ने फिल्मों में मम्मी कल्चर की शुरुआत की थी. श्रीदेवी अपने शर्तों पर काम करने वाली हीरोइन रही हैं. फिल्मों में किसिंग सीन और रेप जैसे सीन से दूर रहने का ऐलान श्रीदेवी ने 80 के दशक में ही कर दिया था. श्रीदेवी के साथ हमेशा सेट पर उनकी मम्मी या बहन जाया करती थीं और श्रीदेवी ने ही सेट पर मम्मी को ले जाने कल्चर शुरू किया था. कहते हैं कि प्रोड्यूसर को हर छोटी बड़ी-बात के लिए श्रीदेवी की मम्मी से ही परमिशन लेनी पड़ती थी.
किसिंग सीन ना देने के ऐलान के बावजूद फिल्म गुरू के वक्त वो मुसीबत में फंस गई. फिल्म गुरू में मिथुन चक्रवर्ती के साथ किसिंग सीन में डॉयरेक्टर उमेश मेहरा ने श्रीदेवी की बॉडी डबल का इस्तेमाल कर लिया और इसपर श्रीदेवी बेहद नाराज हुईं. विवाद और तब बढ़ा जब डायरेक्टर ने मैग्जीन में ये बयान दिया कि किसींग सीन खुद श्रीदेवी ने दिया है. उस विवाद के बाद श्रीदेवी की शर्तें और सख्त होती गईं.
जुरासिक पार्क के डायरेक्टर को कहा था ना
श्रीदेवी अपने उसूलों की इतनी पक्की थीं कि उन्होंने हॉलीवुड के जाने-माने डॉयरेक्टर स्टीवन स्पीलबर्ग की भी फिल्म ठुकरा दी. स्पीलबर्ग अपनी फिल्म जुरासिक पार्क में श्रीदेवी को बतौर हीरोइन साइन करना चाहते थे लेकिन श्रीदेवी ने ना कहकर सबको चौंका दिया.
लंबे समय तक चली जया प्रदा से कोल्ड वॉर
उस दौर की हीरोइन जया प्रदा से श्रीदेवी के कोल्ड वॉर की ख़बरें भी खूब सूर्खियों में रहीं. तब ऐसा कहा गया कि जया प्रदा और श्रीदेवी दोनों ही बॉलीवुड में कामयाबी का परचम लहरा रही है और नंबर वन की रेस की वजह से दोनों के बीच एक कोल्ड वॉर शुरू हो गई. इन दोनों ने तोहफा और मकसद में एक साथ काम किया लेकिन कहते हैं दोनों ने सेट पर एक बार भी एक दूसरे से बात नहीं की थी.
मकसद की शूटिंग के दौरान फिल्म के हीरो राजेश खन्ना और जीतेंद्र ने दोनों को एक ही मेकअप रूप में बंद कर दिया था और जब एक घंटे बाद इनका दरवाजा खोला गया तो दोनों अलग-अलग कोनों पर एक दूसरे से मुंह फेरकर बैठी हुई थी. हालांकि अपनी ये कड़वाहट भुलाकर 2015 में दोनों नेता अमर सिंह की पार्टी में एक साथ नजर आई थीं,
जब सबने कहा- 'मिस्टर इंडिया' नहीं 'मिस इंडिया' होना चाहिए था
श्रीदेवी और अनिल कपूर की फिल्म मिस्टर इंडिया 1987 में आयी. फिल्म की रिलीज़ के वक्त फिल्म की सबसे बड़ी स्टार श्रीदेवी ही थीं. उनपर फिल्माया गाना 'हवा हवाई' उनकी पहचान बन गया और इसके बाद सालों तक उन्हें मिस हवा हवाई के नाम से ही पुकारा जाता रहा.
मिस्टर इंडिया में श्रीदेवी की अदाएं और उनका अभिनय यादगार था. उनपर फिल्माया गाना 'काटे नहीं कटते' हिंदी सिनेमा के सबसे रोमैंटिक गीतों में से एक माना जाता है. मिस्टर इंडिया जबरदस्त कामयाब रही और उस दौर की मीडिया में कई जगह ये लिखा गया कि फिल्म का नाम मिस्टर इंडिया नहीं बल्कि मिस इंडिया होना चाहिए था.
जब श्रीदेवी ने बिखेरी चांदनी
निर्देशक यश चोपड़ा की कई फिल्में फ्लॉप रही थीं और तब उन्होंने अपनी फिल्म चांदनी में श्रीदेवी को बतौर हीरोइन साइन किया. यश चोपड़ा के रचे किरदार को श्रीदेवी ने पर्दे पर ज़िंदा कर दिया. इस फिल्म के बाद श्रीदेवी हमेशा हमेशा के लिए मानो चांदनी ही बन गयीं.
साल 1989 में फिल्म चांदनी सबसे बड़ी हिट साबित हुई. जो श्रीदेवी अबतक अपनी फिल्मों में अपनी आवाज़ में डायलॉग तक नहीं बोलती थीं, उन्होंने चांदनी में गाना 'चांदनी मैं तेरी चांदनी' भी गाया. इस गाने ने कामयाबी के रिकॉर्ड बना दिए.
देश में उस दौर में शायद ही संगीत का कोई ऐसा समारोह रहा हो जो श्रीदेवी के गाने 'मेरे हाथों में नौ नौ चूड़ियां हैं' पर डांस के बिना पूरा होता हो. अगर कहा जाए कि ये उस दशक का सबसे हिट गीत था तो शायद सही होगा.
चांदनी में डिज़ायनर लीना दारू के डियाज़न किए सूट, साड़िया और लहरिया दुपट्टों ने धूम मचा दी. पूरे देश में लड़कियां बस चांदनी सूट ही पहनना चाहती थीं. फिल्म ने श्रीदेवी को सुपरस्टार बना दिया.
जब श्रीदेवी ने बॉलीवुड में कदम रखा था तब उनके भारी शरीर की वजह से उनकी काफी आलोचना होती थी. श्रीदेवी के लिए थंडरसाइज जैसे जुमले का इस्तेमाल भी होता था. लेकिन उनकी फिटनेस, ड्रेसिंग स्टाइल और एक्टिंग के आगे ये जुमले कब पीछे रह गए पता ही नहीं चला.
चालबाज में फीके पड़े सनी देओल और रजनीकांत
श्रीदेवी के करियर को तो अभी और ऊंची उड़ान भरनी थी और फिल्म चालबाज से श्रीदेवी ने ये उड़ना भरी. चांदनी के बाद श्रीदेवी के स्टारडम का जलवा पूरी तरह फैन्स पर बिखरा. जुड़वा बहनों के डबल रोल में श्रीदेवी ने वो अदाएं दिखायीं कि हीरो सनी देओल और रजनीकांत पर किसी का ध्यान नहीं गया. याद रहीं तो बस श्रीदेवी.
चालबाज के बाद की दो और डबल रोल वाली फिल्में
यश चोपड़ा ने चांदनी वाले जादू को दोहराने के लिए एक बोल्ड सब्जेक्ट पर फिल्म बनाने का पैसला किया. फिल्म थी लम्हे जिसमें श्रीदेवी के डबल रोल थे. श्रीदेवी के सुपरहिट डांस और अभिनय के बावजूद लम्हे का बोल्ड सब्जेक्ट दर्शकों को पसंद नही आया और फिल्म फ्लॉप हो गयी.
इसके बाद श्रीदेवी अमिताभ बच्चन की बड़ी फिल्म खुदा गवाह में एक बार फिर से डबल रोल में नज़र आयीं. खास बात ये थी कि अमिताभ की फिल्म होते हुए भी श्रीदेवी का स्क्रीन टाइम अमिताभ के बराबर था और इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि श्रीदेवी का स्टारडम कैसा रहा है.
बदलनी बड़ी बाजीगर की पूरी कहानी
पहले श्रीदेवी को फिल्म बाजीगर में डबल रोल ऑफर हुआ था जिसमें उन्हें मरना था. लेकिन फिल्म बाजीगर के निर्माता गणेश जैन ने तो डर के मारे बाजीगर की पूरी कास्ट ही बदल दी. वजह थी कि कोई भी उस जमाने में श्रीदेवी को पर्दे पर मरते नहीं देख सकता था और ना ही प्रोडयूसर्स इसका जोखिम उठा सकते थे.
रूप की रानी चोरों का राजा से ढलने लगा करियर
मगर इसके बाद उस समय की सबसे महंगी फिल्म रूप की रानी चोरों का राजा रिलीज़ हुई. फिल्म में श्रीदेवी के कॉस्ट्यूम, उनके गीत बहुत चर्चा में रहे लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धराशायी हो गयी और इसी के साथ श्रीदेवी का करियर ढलान पर आने लगा.
तब बॉलीवुड में माधुरी दीक्षित का दौर शुरू हो चुका था. वो अपनी हिट फिल्मों के बल पर श्रीदेवी को पीछे छोड़ती हुई इंडस्ट्री की टॉप एक्ट्रेस बन चुकी थीं. श्रीदेवी की नाकाबंदी, बंजारन, चंद्रमुखी जैसी एक के बाद एक कई फिल्में पिटती चली गईं.
जब श्रीदेवी संग काम करके सच हुआ शाहरुख का सपना
इस दौर में उन्होंने आर्मी नाम की एक एक्शन फिल्म में भी काम किया जिसमें शाहरुख खान ने गेल्ट अपियरेंस दी थी. तब शाहरुख ने कहा था कि श्रीदेवी के साथ काम करना सपने के सच होने जैसा था. 1990 के शुरुआती सालों में श्रीदेवी ने बॉलीवुड पर राज किया.
उतार-चढ़ाव भरा रहा निजी जीवन
श्रीदेवी की निजी जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव रहा. आपको याद होगा कि मिथुन चक्रवर्ती के साथ लंबे अरसे उनके रिश्ता सुर्खियों में रहा था. श्रीदेवी और मिथुन की पहली मुलाकात फिल्म ‘जाग उठा इंसान’ के सेट पर हुई. कहते हैं दोनों सितारे पहली मुलाकात में ही एक-दूसरे से प्यार कर बैठे. श्रीदेवी जब मिथुन की जिंदगी में आईं उस वक्त मिथुन शादीशुदा थे और उनकी पत्नी गीता बाली बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस रह चुकी थीं.
अक्टूबर, 1983 को मुंबई के सेठ स्टूडियो में फिल्म जाग उठा इंसान की शूटिंग के पहले दिन पहली बार मिथुन और श्रीदेवी की मुलाकात हुई. दिसंबर 1983 में इसी फिल्म की आउटडोर शूटिंग के लिए पूरी टीम आंध्र प्रदेश के गुंटूर पहुंची और यही वो वक्त था जब मिथुन और श्रीदेवी को साथ वक्त बिताने का भरपूर मौका मिला.
मिथुन पहले से शादीशुदा थे. मिथुन ने योगीता के साथ चार साल पहले यानि साल 1979 में लव मैरिज की थी. यही नहीं योगीता से शादी करने से पहले मिथुन की एक और शादी हो चुकी थी. उनकी पहली पत्नी मॉडल हेलेना ल्यूक थीं, जिन्होंने कुछ फिल्मों में भी छोटे-मोटे रोल किए थे.
मिथुन दो-दो शादियां कर चुके थे. पहली, हेलेना से और फिर उनसे तलाक के बाद योगीता से. लेकिन परेशानी ये थी कि अब दिल में तीसरा प्यार यानि श्रीदेवी बस चुकी थीं. अब घर में पत्नी योगीता थीं और बाहर श्रीदेवी. ख़बरें तो यहां तक भी आईं कि फिल्मों में साथ साइन करने लिए दोनों प्रेमी प्रोड्यूसरों पर दवाब भी डालने लगे.
मिथुन-श्रीदेवी के अफेयर की खबरें आखिरकार मिथुन की पत्नी योगीता तक भी पहुंचीं. लेकिन जैसे तैसे मिथुन ने मामले को सुलझाया. साल 1985 में इन दोनों ने साथ में वतन के रखवाले और वक्त की आवाज़ जैसी फिल्में साइन कर लीं ताकि शूटिंग के बहाने मुलाकातों का सिलसिला चलता रहे.
मिथुन को यकीन दिलाने के लिए बोनी कपूर को बांधी राखी
शूटिंग के साथ-साथ मिथुन और श्रीदेवी की मुलाकातें जारी थीं. जिस दौरान मिथुन और श्रीदेवी का अफेयर ज़ोरो पर था, उन्ही दिनों श्रीदेवी ने निर्माता बोनी कपूर की फिल्म मिस्टर इंडिया साइन की थी. खबरें आईं कि श्रीदेवी बोनी कपूर के करीब होती जा रही हैं. जब मिथुन तक ये बात पहुंची तो वो बेहद नाराज़ हुए और इसके बाद मिथुन को यकीन दिलाने के लिए श्रीदेवी ने बोनी कपूर की कलाई पर राखी तक बांधी थी. ये बात बोनी कपूर की पहली पत्नी मोना कपूर ने खुद Savvy मैगजीन को दिए गए एक इंटर्व्यू में बताई थी. इस घटना का जिक्र फिल्म पत्रकार भारती प्रधान ने 14 जून, 2009 को अंग्रेजी अखबार दि टेलीग्राफ में छपे एक लेख में भी किया.
श्रीदेवी को थप्पड़ मारने की अफवाह को योगिता ने नकारा
योगिता बाली को मिथुन और श्रीदेवी के अफेयर की खबरें लगातार मिलती रहीं. खबरें तो ये भी आईं कि होटल के एक रूम में योगिता बाली ने मिथुन और श्रीदेवी को रंगे हाथों पकड़ा था, इतना ही नही गुस्से से लाल योगिता ने तो सबके सामने श्रीदेवी को थप्पड़ तक मार दिया था. हालांकि बाद में खुद योगिता बाली ने इन खबरों को महज अफवाह बताया. लेकिन श्रीदेवी और मिथुन के इश्क के चर्चे यहीं नहीं रुके.
श्रीदेवी-मिथुन ने रचाई शादी
अप्रैल 1990 में स्टारडस्ट मैगजीन की एडिटर रही पत्रकार निशि प्रेम के एक लेख ने हंगामा मचा दिया. इस लेख में छपा कि 19 फरवरी 1987 को मिथुन और श्रीदेवी ने मुंबई में शादी कर ली थी. ये शादी मिथुन के मड आईलैंड वाले कॉटेज पर बंगाली रीति-रिवाजों के मुताबिक हुई. मिथुन से शादी करके श्रीदेवी उनके मड आइलैंड वाले इसी कॉटेज में रहने लगीं. यहीं नहीं मिथुन के माता-पिता भी उनके साथ यहीं आकर रहने लगे.
उधर, मिथुन की पत्नी योगीता समझ नहीं पा रही थीं कि मिथुन अब घर क्यों नहीं आते और क्यों मिथुन के माता-पिता भी उनके साथ मड आयलैंड के कॉटेज में रहने लगे हैं. उन्होने पता लगाया तो सारा राज़ खुल गया. मिथुन-श्रीदेवी की शादी की बात सुनकर योगीता सन्न रह गईं. वो इस बात से भी हैरान थीं कि मिथुन के माता-पिता भी इस शादी में शामिल हुए हैं.
जब स्टार्स के बीच हुआ वॉर
श्रीदेवी मिथुन के साथ अपनी नई जिंदगी में खुश थीं लेकिन मिथुन को अब अपने बेटे मिमोह की याद सताने लगी थी और जब वो मिमोह से मिलने जाते थे तब श्रीदेवी को बुरा लगता था. ऐसे में एक दिन श्रीदेवी ने फिल्म पत्रिका स्टारडस्ट को एक इंटर्व्यू दे डाला जिसमें उन्होने बयान दिया, "मैं मिथुन से तभी शादी करूंगी जब वो योगीता को तलाक़ दे देंगे." लेकिन मिथुन भी कम नहीं थे. स्टारडस्ट मैगज़ीन में ही मिथुन ने श्रीदेवी के इस बयान का जवाब देते हुए कहा, "श्रीदेवी ऐसी बात कैसे कह सकती हैं? जबकि हमारे बीच कुछ है ही नहीं. हम तो बस दोस्त हैं और वैसे भी मैं योगीता को कभी नहीं छोड़ूंगा."
मिथुन के इस बयान से नाराज श्रीदेवी ने उनके सामने दोनों की शादी की बात जगजाहिर करने की शर्त रख दी और परिवार के साथ छुट्टियां मनाने अमेरिका चली गईं. मिथुन ने एक पार्टी मे शराब के नश में अचानक सारे मेहमानों के सामने ये एलान कर दिया, "श्रीदेवी मेरी पत्नी हैं. मेरी और श्रीदेवी की शादी 19 फरवरी को हो गई है." इस एलान के बाद मिथुन वहां से चले आए और फिर श्रीदेवी को अमेरिका फोन लगाया. मिथुन ने उन्हें बताया कि उन्होंने दुनिया के सामने अपनी शादी का एलान कर दिया है. श्रीदेवी ये सुनकर बेहद खुश हुईं.
शादी के ऐलान के बाद अब मिथुन को लगने लगा कि उनकी जिंदगी की टेंशन कम हो जाएगी और वो श्रीदेवी के साथ सबके सामने खुशी से रह सकेंगे. लेकिन श्रीदेवी जब छुट्टियों मना कर भारत लौटी तो उन्होंने मिथुन को बताया तक नहीं. श्रीदेवी अब मिथुन से दूरी बनाने लगीं थीं और फिर जब उनके बर्दाश्त की हद पार हो गई तब एक रात वो मुंबई के उस फाइव स्टार होटल पहुंच गए जहां श्रीदेवी अपनी मम्मी के साथ रहती थीं.
दोनों के बीच काफी बहसबाजी हुई और आखिरकार दोनों का रिश्ता टूट गया. दरअसल श्रीदेवी ये समझ चुकी थीं कि मिथुन अपनी पत्नी योगिता को छोड़कर कभी भी पूरी तरह से उनके नहीं हो पाएंगे और इसलिए उन्होंने इस रिश्ते को तोड़ना ही बेहतर समझा. यही नहीं, इन दोनों ने बाद में कभी अपनी शादी की बात को कभी दुनिया के सामने नहीं कबूला.
अमिताभ से भी जुड़ा नाम
मिथुन से पहले श्रीदेवी का नाम अमिताभ बच्चन से भी जोड़ा गया था. ये वो वक्त था जब श्रीदेवी स्टार नहीं बनीं थीं और रेखा के बेहद करीब थीं. कहते हैं कि श्रीदेवी और अमिताभ की पहली मुलाकात रेखा के धर पर ही हुई थी. जिसके बाद फिल्म आखिरी रास्ता में श्रीदेवी को अमिताभ के साथ काम करने का मौका मिला और यहीं से दोनों के अफेयर की खबरें आने लगी.
उन दिनों रेखा और अमिताभ के अफेयर के चर्चे भी जोरों पर थे और कहते हैं इसी वजह से रेखा ने तो श्रीदेवी से दोस्ती तक तोड़ ली थी. हालांकि बाद में अमिताभ और श्रीदेवी के इश्क के चर्चे पूरी तरह से खत्म ही हो गए.
बोनी कपूर के बाद आया रिश्तों में ठहराव
बोनी कपूर से श्रीदेवी का रिश्ता भी कम दिलचस्प नहीं रहा. बोनी कपूर श्रीदेवी की तमिल फिल्म देखने के बाद उनके दीवाने हो गए थे और वो हर हाल में श्रीदेवी के साथ काम करना चाहते थे. कहते हैं जब श्रीदेवी की मम्मी उनके लिए 10 लाख फीस मांगा करती थीं तो बोनी कपूर 11 लाख दिया करते थे.
उन दिनों वैनिटी वैन भी नहीं होते थे. लेकिन बोनी कपूर श्रीदेवी के लिए खासतौर पर मेकअप रूप का इंतजाम करते थे. इसी वजह से श्रीदेवी ने बोनी कपूर के साथ काम करना शुरू किया. लेकिन जब श्रीदेवी मिथुन की करीब चली गई तो बोनी ने कदम पीछे खींच लिए और मोना कपूर के शादी कर ली.
साल 1995 में दोनों फिर करीब आए. साल 1995 में श्रीदेवी की मां का न्यूयॉर्क के मेनहटन के एक हॉस्पिटल में ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन हुआ था. लेकिन ये ऑपरेशन ब्रेन की गलत साइड पर कर दिया गया. उन दिनों श्रीदेवी अपनी मम्मी की वजह से काफी परेशान थी. श्रीदेवी की मां की मौत के बाद उनकी बहन श्रीलता की भी शादी हो गई और फिर दोनों बहनों की बीच प्रॉपर्टी के लेकर भी विवाद हो गया.
उन दिनों श्रीदेवी काफी अकेली हो गई थीं और मुश्किल के इस दौर में बोनी कपूर ने श्रीदेवी का साथ दिया. दोनों करीब आ गए और फिर साल 1996 में श्रीदेवी ने बोनी कपूर से शादी कर ली.
'जुदाई' के 15 साल बाद आई इंग्लिश-विंग्लिश और मॉम
शादी के बाद 1997 में फिल्म जुदाई में काम करने के बाद श्रीदेवी ने फिल्मों से ब्रेक ले लिया और घर परिवार में मशगूल हो गईं. तकरीबन 15 साल बाद साल 2012 में श्रीदेवी ने एक बार फिर बॉलीवुड का रुख किया और फिल्म इंग्लिश-विंग्लिश में एक दमदार हाउस वाइफ के किरदार में नजर आईं. इसके बाद पिछले साल फिल्म मॉम में उनके अभिनय की हर तरफ तारीफ हुई.
श्रीदेवी और बोनी कपूर की दो बेटियां हैं खुशी और जाह्न्वी. जान्ह्वी की पहली फिल्म धड़क जुलाई में रिलीज़ होगी मगर अफसोस इस बात का है कि श्रीदेवी का उन्हें बड़े पर्दे पर देखने का सपना अधूरा रह गया. उन्होंने कहा था, "मैं चाहती हूं कि जल्दी अपनी बेटियों की शादी कर दूं." अपनी बेटियों की शादी का अरमान भी अपने दिल में ही लिए श्रीदेवी सबको रोता छोड़कर हमेशा के लिए चली गयीं.