स्टार कास्ट: ऋचा चड्ढा, पुलकित सम्राट, अली फज़ल, मनजोत सिंह, पंकज त्रिपाठी, मकरंद देशपांडे
डायरेक्टर: मृगदीप सिंह लांबा
रेटिंग: 3 स्टार

क्या आपको पास कोई ऐसा दोस्त है जो डेटिंग के लिए चिड़िया घर जाता है. लड़की के बड़े नाखून देखकर इतना खुश हो जाता है उसे पीठ खुजलाने को कहता है. सुनकर थोड़ा अजीब लग रहा है ना... लेकिन जब आप ऐसा होते बड़े पर्दे पर देखेंगे तो अजीब नहीं लगेगा बल्कि हंसी आएगी. ऐसी हरकतें कोई और नहीं बल्कि 'चूचा' करता है जो कि 'फुकरे रिटर्न्स' के जरिए आपको फिर गुदगुदाने आ गया है.


ये फिल्म 2013 में रिलीज हुई 'फुकरे' का सीक्वल है. ऐसी फिल्मों के साथ यही परेशानी होती है कि दर्शक हमेंशा एक उम्मीद लिए सिनेमाहॉल में जाता है कि ये पहली वाली फिल्म से अच्छी है या खराब. लेकिन आज रिलीज हुई ये फिल्म दर्शकों की उम्मीद पर खरी उतरती है और हंसाने में कामयाब होती है. फिल्म का सेकेंड हाफ काफी लंबा होने के बावजूद ये फिल्म इंटरटेन करती है.


कहानी-

फुकरों की वजह से भोली पंजाबन (ऋचा चड्डा) को जेल की हवा खानी पड़ती है. वो किसी तरह जेल से बाहर आती है और अपने नुकसान की भरपाई के लिए फुकरों को ही पकड़ती है. चूचा (वरुण शर्मा) प्रीमनिशन का शिकार है, यानि उसे आगे क्या होने वाला है इस बात के सपने आते हैं. उसके दोस्त हनी (पुलकित सम्राट), लाली (मनजोत सिंह) और जफर (अली फजल) चूचा की वजह से सोचते हैं कि अगर वो लॉटरी का धंधा शुरू करें तो जल्दी से जल्दी पैसा कमाकर भोली पंजाबन को वापस कर सकते हैं. ये टीम लोगों से पैसे लेकर लॉटरी पर लगाती है. लेकिन इनकी वजह से एक जाने माने लीडर को नुकसान होता है और लॉटरी में कुछ ऐसा करता है कि ये लोग हार जाते हैं.



फिर क्या जिनके पैसे लगे हैं वो लोग इन्हें दौड़ा-दौड़ाकर मारते हैं. फनी ये है कि ये मारने वाला सपना भी चूचा पहले ही देखकर बता चुका होता है.


लोग तो ठीक हैं लेकिन भोली पंजाबन को तो आप जानते हैं कि वो कितना टॉर्चर करती है. अब ये लोग उसे कैसे कर्ज चुकाते हैं, ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी. इतना ही नहीं इस चक्कर में ये चारों बड़ी मुसीबत में फंस जाते हैं और उनके साथ भोली पंजाबन भी. ये चारों दोस्त कैसे उस मुसीबत से बाहर निकलते हैं और साथ ही अपने ऊपर लगे बदनामी से वे खुद को परिवार को कैसे बचाते हैं. यही कहानी है.


इस फिल्म का क्लाइमैक्स तो ऐसा है कि चूचा की तरह आप भी 'प्रीमनिशन' (क्या होने वाला है) के शिकार हो जाते हैं. फिल्म का सेकेंड हाफ बहुत ही लंबा है लेकिन गनीमत ये है कि पंकज त्रिपाठी और वरूण शर्मा की बदौलत आप इस फिल्म को देख जाएंगे.

डायरेक्शन

इस फिल्म के डायरेक्टर मृगदीप सिंह लांबा ने ही पिछली फिल्म को भी डायरेक्ट किया था. उन्होंने इस फिल्म में कुछ गंभीर बातें भी बहुत ही हल्के-फुल्के में दिखाई हैं जो कि गहरा असर छोड़ती हैं. इसमें दिखाया गया है कि चिड़िया घर में जानवरों का हक कैसे मारा जाता है. उन्हें खाना खिलाने उन जानवरों के साथ कैसे गलत व्यवहार करते हैं. उनके बच्चों की तस्करी कर दी जाती है...इत्यादि. बस एक बात खलती है कि ये फिल्म बहुत ही लंबी है. 2.15 मिनट की इस फिल्म का फर्स्ट हाफ बहुत ही मजबूत है लेकिन सेकेंड हाफ को खींच दिया गया है जिसकी ज्यादा कुछ जरूरत थी नहीं.


एक्टिंग

इस फिल्म की कहानी ऐसी है कि अगर आप लॉजिक लगाएंगे तो कुछ समझ नहीं आएगा. कहानी में ही ये फिल्म मात खा जाती है जो अक्सर ही कॉमेडी फिल्मों के साथ होता है. इस फिल्म में जो हो रहा है उसका वास्तविक दुनिया से ज्यादा कुछ लेना देना नहीं है. लेकिन इन सब कमियों के बावजूद वरूण शर्मा और पंकज त्रिपाठी ने देखने लायक बना दिया है. फिल्म में अगर हंसी आती है तो चूचा की वजह से, उसकी उलूल जुलूल हरकतों की वजह से और उसके चेहरे की भाव को देखकर... उसके बाद जब पंकज त्रिपाठी की फिल्म में एंट्री होती है तो ये फिल्म और भी फनी हो जाती है.


इसके बाद भोली पंजाबन का नंबर आता है जिन्होंने अच्छा किया है. एक तेज तर्रार और बोल्ड किरदार को ऋचा चड्ढा से अच्छा कोई नहीं निभा  सकता. पुलकित सम्राट तो हीरो की तरह है. उन्होंने एक्टिंग पर कम और अपने लुक पर ज्यादा ध्यान दिया है. अली फजल भी इऩ सभी में कहीं खो जाते हैं.


म्यूजिक

फिल्म का गाना 'महबूबा-महबूबा' काफी अच्छा है और बहुत ही खूबसूरत तरीके से फिल्माया भी गया है लेकिन ये गाना फिल्म देखने के बाद तक याद नहीं रह जाता है. एक गाना जो आप काफी दिनों तक याद रखने वाले हैं वो है- 'तु मेरा भाई नहीं है..'. ये गाना पूरी फिल्म के बैकग्राउंड में भी चलता रहता है. ये गाना ऐसा है जो हर किसी को पसंद आएगा क्योंकि सबकी जिंदगी में एक ना एक चूचा जैसा दोस्त होता ही है.


क्यों देखें

पिछले हफ्ते बॉक्स ऑफिस पर दो फिल्में फिरंगी और तेरा इंतजार रिलीज हुईं., दोनों ही फिल्में इतनी बेकार थीं कि उन्हें बर्दाश्त करना दर्शकों के लिए मुश्किल हो गया है. ऐसे में अब फुकरे वापस आपको हंसाने और इंटरटेन करने आए हैं. ये फिल्म फनी है, साफ सुथरी है और इंटरटेनिंग है जिसे आप परिवार के साथ देख सकते हैं.