Ghar Ki Murgi Review: कम समय में बड़ी कहानी कहती साक्षी तंवर की शॉर्ट फिल्म 'घर की मुर्गी'
Ghar Ki Murgi Review: महिला दिवस के मौके पर अश्विनी अय्यर तिवारी एक खूबसूरत शॉर्ट फिल्म लेकर आई हैं. इसका प्रीमियर 8 मार्च को महिला दिवस के मौके पर होगा. लेकिन इसके रिलीज होने से पहले हम आपके लिए इसका एक क्विक रिव्यू लेकर आए हैं.
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शॉर्ट फिल्म- घर की मुर्गी
निर्देशक- अश्विनी अय्यर तिवारी
स्टारकास्ट - साक्षी तंवर
'पंगा' और 'बरेली की बर्फी' जैसी सुपरहिट फिल्में देने के बाद अब निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी एक बेहद खूबसूरत शॉर्ट फिल्म लेकर आई हैं. अश्विनी ने ये फिल्म खासतौर पर महिला दिवस के मौके पर रिलीज करने का फैसला लिया है. फिल्म में छोटे पर्दे की लाडली बहू और अब फिल्मों में भी अपनी एक अलग पहचान बना चुकीं साक्षी तंवर मुख्य भूमिका में नजर आ रही हैं. अश्विनी और साक्षी ने इस शॉर्ट फिल्म को खासतौर पर हाउसवाइव्स को डेडिकेट किया है.
इस शॉर्ट फिल्म की एक और खास बात ये है कि इसकी कहानी और स्क्रिप्टिंग किसी और ने नहीं बल्कि अश्विनी के पति और जाने माने निर्देशक नीतीश तिवारी ने लिखी है. फिल्म भारतीय समाज की एक ऐसी तस्वीर को पेश करती है जहां एक परिवार में महिला के योगदान को हमेशा नकारा या नजरअंदाज किया जाता है. इस शॉर्ट फिल्म को सोनी एंटरटेनमेंट के साथ मिलकर रिलीज किया जा रहा है जिसका प्रीमियर 8 मार्च को महिला दिवस के मौके पर होगा. लेकिन इसके रिलीज होने से पहले हम आपके लिए इसका एक क्विक रिव्यू लेकर आए हैं.
क्या कहती है कहानी?
फिल्म की कहानी सीमा बत्रा की है जो कि एक हाउस वाइफ है. घर के साथ-साथ वो परिवार चलाने के लिए ब्यूटी पार्लर में भी काम करती है और वहां जो भी कमाई होती है उसे घर चलाने में खर्च कर देती है. घर खर्च चलाने में हाथ बटाने के साथ-साथ वो बूरे बत्रा परिवार का ध्यान भी रखती है. सीमा के साथ उसके दो बच्चे पति और बीमार सास-ससुर भी रहते हैं.
सुबह सबसे पहले उठने से लेकर शाम को सबसे बाद में सोने तक सीमा परिवार के हर सदस्य की जरूरत का ध्यान रखती है. लेकिन जब बात घर में उसके योगदान की आती है तो उसे सिरे से नकार दिया जाता है. घरवालों के इस बर्ताव से सीमा थोड़ी आहत है और वो मन बना लेती है कि उसे एक महीने की छुट्टी पर गोवा जाना है. सीमा अपने पति को इस बारे में बताती है तो उसका पति पूछता है कि वो तो घर पर ही रहती हैं ऐसे में उसे छुट्टी की क्या जरूरत है?
इसके बाद सीमा के सब्र का बांध टूट जाता है और वो अपनी भावनाएं जाहिर कर देती है. सीमा के गुस्से को देखने के बाद पूरे परिवार को इस बात का एहसास होता है कि सीमा भी घर में अहम है और वो पूरे परिवार के लिए बिना किसी शिकायत के काम करती रहती है. अब इसके बाद सीमा का परिवार उसे कैसे मनाता है? और वो गोवा छुट्टियों पर जा पाती है या नहीं इसके लिए आपको 8 मार्च तक का इंतजार करना होगा और पूरी शॉर्ट फिल्म देखनी होगी.
रिव्यू
फिल्म की कहानी नितेश तिवारी ने लिखी है और इसका निर्देशन अश्विनी अय्यर ने किया है. ये दोनों ही अपने काम में माहिर हैं और उन्होंने अपनी इस शॉर्ट फिल्म से एक बार फिर खुद को साबित किया है. अपनी कहानी कहने और उस कहानी से एक प्रभावशाली संदेश देने के लिए तीन घंटे की फिल्म ही बनाई जाए ऐसा जरूरी नहीं है. कम शब्दों और कम समय में भी एक खूबसूरत कहानी को बयां किया जा सकता है. निर्देशन के अलावा अगर अभिनय की बात करें तो साक्षी तंवर एक बार स्क्रीन पर अपनी सादगी से दर्शकों को लुभाती नजर आएंगी. फिल्म में साक्षी अपने किरदार में बेहद सहज लगती हैं. स्क्रीन पर उन्हें देखने के बाद ऐसा लगता है मानो वो अभिनय नहीं कर रहीं बल्कि वह स्वयं ही सीमा बत्रा हैं. महिला दिवस के मौके पर रिलीज किए जाने के लिए एक पर्फेक्ट शॉर्ट फिल्म है.
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