अपनी बेटियों को खेल में भेजें : गीता, बबिता
नई दिल्ली: कुश्ती की शुरुआत के लिए में समाज से विरोध का सामना करने वाली बेटियां गीता और बबिता के संघर्ष को बड़े पर्दे पर 'दंगल' फिल्म के जरिए समझा और जाना जा सकता है. गीता और बबिबा दोनों को आशा है कि 'दंगल' जैसी फिल्मों के जरिए ज्यादा से ज्यादा भारतीयों को प्रेरणा मिलेगी और वे अपनी बेटियों को खेलों में प्रवेश के लिए प्रेरित करेंगे.
हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'दंगल' में दिग्गज पहलवान महावीर सिंह फोगाट के संघर्ष को दर्शाया गया है, जिन्होंने अपनी पत्नी और गांव के खिलाफ जाकर अपनी बेटियों को कुश्ती की कोचिंग दी.
वैसे तो गीता और बबिता फोगाट को किसी पहचान की जरूरत नहीं है, लेकिन दोनों बहनों का कहना है कि नितेश तिवारी की निर्देशित फिल्म के जरिए उनकी छवि में थोड़ा बदलाव आया है. सुपरस्टार आमिर खान ने महावीर फोगाट का किरदार निभाया है. गीता का कहना है कि, "निश्चित तौर पर जीवन में बदलाव आया है. मैं अब भारत में खेल को उस पहचान को हासिल करते देख सकती हूं, जिसका खेल जगत हकदार है. लोग हमें पहचानने लगे हैं और यह एक अलग एहसास है."
बबिता भी 'दंगल' की सफलता का भरपूर आनंद उठा रही हैं. उन्हें आशा है कि इस फिल्म के जरिए ज्यादा से ज्यादा माता-पिता अपनी बेटियों को खेलों की ओर प्रेरित करेंगे. बबिता ने कहा कि, "आपके परिवार ने कितना संघर्ष किया है, इसे फिल्म के जरिए देखा जाना बेहद खास है. सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि लोगों को हमारे संघर्षो के बारे में जानकारी है और आशा है कि ज्यादा से ज्यादा लोग अपनी बेटियों को खेलों में प्रवेश के लिए प्रेरित करें."
गीता ने दिल्ली में वर्ष 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में महिला कुश्ती के 55 किलोवर्ग में स्वर्ण पदक जीता था. इसके बाद कनाडा में आयोजित हुई 2012 विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में दोनों बहनों ने अपने-अपने वर्ग में कांस्य पदक जीता. बबिता ने 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में महिलाओं की 55 किलोवर्ग कुश्ती प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता.
गीता ने कहा, "हमारे जीवन पर फिल्म बनने की खबर से मेरा परिवार बेहद खुश था. कुश्ती मेरे पिता का जुनून था. मैंने कभी भी पहलवान बनने की नहीं सोची थी. 12 साल की उम्र मेरे पिता ने मुझे इसके लिए प्रेरित किया. थोड़े समय बाद मेरी इसमें रुचि जागी और इसे अपना जुनून बना लिया."
इस फिल्म में दिखाया गया कि महावीर राष्ट्रमंडल खेलों में गीता के फाइनल मुकाबले को लाइव नहीं देख पाए थे, क्योंकि गीता के कोच ने उन्हें कमरे में बंद कर दिया था. इस दृश्य की सच्चाई के बारे में गीता ने कहा कि उनके पिता ने राष्ट्रमंडल खेलों में शुरुआत का कोई भी मुकाबला नहीं देखा था.
बेटियों की सफलता में मां के योगदान के बारे में बबिता ने कहा, "उन्होंने भी बड़ा योगदान दिया है. वह हमारे साथ सुबह 4.30 बजे उठ जाती थीं." गीता का मानना है कि भारत सरकार बेहतर रूप से खेल का प्रचार कर रही है और यह खेल पर बनीं कई फिल्मों के कारण हो पाया है, जिसमें 'भाग मिल्खा भाग' और 'मैरी कॉम' जैसी फिल्में शामिल हैं.