नई दिल्ली: एफसीएटी ने सेंसर बोर्ड को निर्देश दिया है कि फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माई बुरका’ को ‘ए’ प्रमाणपत्र दिया जाए. इस फिल्म को पहले प्रमाणपत्र देने से सेंसर बोर्ड ने मना कर दिया था.
एफसीएटी ने निर्देश दिया कि फिल्म को ‘स्वैच्छिक और कुछ अतिरिक्त कट के साथ’ प्रमाणपत्र दिया जाए. उन्होंने कहा कि फिल्म में गाली-गलौज वाली भाषा और अंतरंग दृश्य उसकी कहानी का अभिन्न हिस्सा हैं.
हालांकि न्यायाधिकरण ने फिल्म के निर्माताओं को कुछ दृश्यों से हिंदी के कुछ शब्दों को म्यूट करने का निर्देश दिया जिनमें तवायफों के लिए इस्तेमाल किए गए शब्द शामिल हैं.
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की अध्ययन और पुनर्विचार समिति ने फिल्म को प्रमाणपत्र देने से मना कर दिया था और कहा था, ‘‘फिल्म में महिलाओं को गलत तरह से दिखाया गया है और एक समुदाय की महिलाओं पर निशाना साधा गया है जिससे भावनाएं आहत हो सकती हैं.’’ सीबीएफसी के फैसले के बाद फिल्म निर्देशक अलंकृता श्रीवास्तव और निर्माता प्रकाश झा ने एफसीएटी में अपील दाखिल की थी.
उनका कहना है कि फिल्म चार महिलाओं की जिंदगी के इर्दगिर्द घूमती है जो छोटे छोटे साहसिक काम करके अपनी आकांक्षाओं, सपनों और इच्छाओं के लिए आजादी की मांग करती हैं.
दिल्ली के पूर्व लोकायुक्त न्यायमूर्ति मनमोहन सरीन की अध्यक्षता वाले एफसीएटी ने कहा कि सीबीएफसी ने महिला-केंद्रित फिल्म को प्रमाणपत्र नहीं देकर गलत किया.
कोंकणा सेन शर्मा, रत्ना पाठक शाह, अहाना कुमरा और प्लाबिता बोरठाकुर जैसे कलाकारों से सजी फिल्म ने तोक्यो अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में ‘स्पिरिट ऑफ एशिया अवार्ड’ और मुंबई फिल्म महोत्सव में लैंगिक समानता पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए ‘ऑक्सफेम अवार्ड’ जीत चुकी है.