'बेटी को भेजो नहीं तो मरा मुंह देखोगी', Guru Dutt की आखिरी रात की कहानी
Guru Dutt Birth Anniversary: गुरु दत्त कम उम्र में इस दुनिया से चले गए थे. उन्होंने जिंदगी से तंग आकर सुसाइड कर लिया था. आइए जानते है कि उनकी आखिरी रात कैसी रही थी.
Guru Dutt Birth Anniversary: 'रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई...तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई'. मशहूर शायर कैफी आजमी की यह कविता दिवंगत एक्टर गुरु दत्त साहब को समर्पित थी. यह बात सच है कि जिस तरह से गुरु दत्त इस दुनिया से गए वो सभी के लिए एक बड़ा सदमा था.
गुरु दत्त साहब एक बेहतरीन एक्टर होने के साथ ही डायरेक्टर भी थे. अपने दौर में उन्होंने खूब नाम कमाया. छोटी उम्र में ही उन्होंने काफी पॉपुलैरिटी हासिल कर ली थी. लेकिन उनका बहुत जल्दी दुनिया से चले जाना फैंस को एक बड़ा सदमा देकर गया था. गुरु दत्त का जन्म 9 जुलाई 1925 को कर्नाटक के पदुकोने में हुआ था. आइए आपको गुरु दत्त की लाइफ से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं.
गुरु दत्त की शानदार फिल्में
गुरु दत्त एक्टर और डायरेक्टर होने के अलावा राइटर और फिल्म प्रोड्यूसर भी थे. उन्होंने अपने छोटे करियर में 'जाल', 'मिस्टर एंड मिसेज 55', 'साहिब बीबी और गुलाम' 'बाज', 'कागज के फूल', और 'प्यासा' सहित कई बेहतरीन फिल्में दी थी.
गीता दत्त से की थी शादी
गुरु दत्त की एक फिल्म के सिलसिले में गीता दत्त से मुलाकात हुई. दोनों के बीच बातचीत बढ़ी और आगे जाकर दोनों ने शादी कर ली थी. गुरु और गीता की शादी 1953 में हुई थी. लेकिन बाद में गुरु दत्त साहब का बॉलीवुड की एक दिग्गज एक्ट्रेस पर दिल आ गया था
वहीदा रहमान से चला अफेयर
गुरु दत्त शादीशुदा होने के बावजूद मशहूर एक्ट्रेस वहीदा रहमान के प्यार में पड़ चुके थे. इस बात की भनक गीता को भी लग चुकी थी. अक्सर ही गुरु दत्त और गीता दत्त के बीच इस बात को लेकर अनबन होती थी. ऐसे में दोनों ने अपने रास्ते अलग कर लिए और साल 1957 में दोनों अलग-अलग रहने लगे. लेकिन दोनों का तलाक नहीं हुआ था. गुरु और गीता के तीन बच्चे हुए. जिनके नाम तरुण दत्त, नीना दत्त और अरुण दत्त है. गुरु दत्त के दोनों ही बेटे इस दुनिया में नहीं है.
गुरु दत्त की आखिर रात को क्या हुआ था?
गुरु दत्त साहब ने इस दुनिया को बहुत जल्दी अलविदा कह दिया था. 10 अक्टूबर 1964 को महज 39 साल की उम्र में गुरु दत्त ने दुनिया छोड़ दी थी. उन्होंने सुसाइड किया था. उनकी आखिरी रात को क्या हुआ था. इस बात का जिक्र गुरु दत्त के दोस्त और उनकी कई फिल्मों के लेखक अबरार अल्वी ने अपनी बुक 'टेन ईयर्स विद गुरु दत्त' में किया है.
गुरु दत्त ने जब सुसाइड किया था उससे ठीक एक दिन पहले वे शराब के नशे में डूबे हुए थे. उन दिनों गुरु दत्त की पर्सनल लाइफ भी ठीक नहीं चल रही थी. वे डिप्रेशन में थे. वे अपनी पत्नी से अलग रह रहे थे और गीता अपनी बेटी से भी गुरु दत्त को मिलने नहीं देती थी. एक बार फोन पर गुरु दत्त और गीता दत्त की लड़ाई हो गई थी. तब गुस्से में गुरु दत्त ने गीता से कहा था कि, 'अगर मैंने बेटी का मुंह नहीं देखा तो तुम मेरा पार्थिव शरीर देखोगी.'
मौत से ठीक पहले की कहानी बताते हुए अबरार ने अपनी किताब में लिखा है कि, 'गुरु दत्त कितना भी नशा कर लें कंट्रोल नहीं खोते थे. उन्होंने एक और पेग पीने की ख्वाहिश जताई और खाना नहीं खाया. रात एक बजे ये सब बात हो गई. मैंने उनसे बात करनी चाही लेकिन उन्होंने कहा कि वो सोना चाहते हैं. मैंने उनसे पूछा- पर मेरा लेखन, सीन नहीं देखेंगे, अक्सर लेखन खत्म होने के बाद गुरु दत्त मुझसे उसके बारे में पूछते थे, लेकिन उस दिन उन्होंने मना कर दिया और अपने कमरे में चले गए'.
रात 3 बजे मांगी व्हिस्की
अपने जीवन के आखिरी कुछ घंटों में भी गुरु दत्त ने शराब नहीं छोड़ी. रात तीन बजे उन्होंने अपने असिस्टेंट रतन से अबरार के बारे में पूछा था. रतन ने कहा कि वे जा चुके हैं. उन्हें बुलाऊ क्या. गुरु दत्त ने मना कर दिया. इसके बाद गुरु दत्त ने व्हिस्की मांगी. लेकिन रतन ने कहा कि व्हिस्की नहीं है. हालांकि गुरु दत्त व्हिस्की लेकर ही माने. इसके बाद वे अपने कमरे में चले गए.
फिर गुरु दत्त ने कर ली आत्महत्या
गुरु दत्त उस रात आखिर बार सोए थे. वे फिर नहीं उठे. कमरे का दरवाजा तोड़कर गुरु दत्त को निकाला गया था. वहीं जब अबरार सुबह गुरु दत्त के घर पहुंचे तो उनकी नजर एक शीशी पर पड़ी. अबरार ने तब कहा कि, मृत्यु नहीं आत्महत्या, उन्होंने अपने आप को मार डाला. कैफी आजमी ने अपनी कविता में यह लाइन भी लिखी थी कि, 'साकी से गिला था तुम्हे, मैखाने से शिकवा अब जहर से भी प्यास बुझाता नहीं कोई'.
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