नई दिल्ली: 'दीवार' फिल्म का वो सीन भला कौन भूल सकता है. जिसमें एक पुल के नीचे अमिताभ बच्चन शशि कपूर से पूछते कि तुम्हारे पास क्या है. शशि कपूर जवाब देते हैं मेरे पास मां है. आज इसी मां का जन्मदिन है. इस फिल्म में मां का किरदार निभाया था निरूपा रॉय ने, जिन्हें बॉलीवुड की 'मां' का कहा जाता है.
निरूपा रॉय अपने फिल्मी करियर में करीब 200 से अधिक फिल्मों मां का किरदार निभाया. जो एक रिकार्ड है. बॉलीवुड में उनके द्वारा निभाए गए मां के कई किरदार तो अमर हो गए. जिसमें उनकी एक दीवार फिल्म भी शामिल है. सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की वे कई फिल्मों में मां बनी हैं. बॉलीवुड में मां के किरदार को निरूपा रॉय जीवंत बना देती थीं. जब वे पर्दे पर आती थीं तो सिनेमा हॉल में बैठे दर्शक अपने आंसुओं पर काबू नही कर पाते थे.
पर्दे पर आते ही दर्शकों की आंखों से बहने लगते थे आंसू
हिंदी सिनेमा की बे एक दुखियारी और बेबस मां थीं. जो समाज, सिस्टम, शोषण और गरीबी से जुझती रहती हैं. पर्दे पर जितनी दुश्वरियां मां के रूप में निरूपा रॉय ने उठाई हैं इतनी शायद ही किसी अन्य चरित्र अभिनेत्री ने उठाई हैं. पर्दे पर उनके आते ही करूणा, बेबसी और दुख का एक ऐसा माहौल बन जाता है था, जो फिल्म की कहानी का रूख ही मोड़ देता था. मां के रूप में निरूपा रॉय ने फिल्मों अपने सशक्त अभिनय प्रतिभा का लोहा मनवाया है. उनकी इस छवि को मनमोहन देसाई जैसे निर्देशकों ने उन्हें एक अलग ही मुकाम पर पहुंचा दिया.
अमर अकबर एंथोनी का वो सीन जो बन गया यादगार
'अमर अकबर एंथनी' उनकी एक ऐसी ही यादगार फिल्म हैं. इस फिल्म में कैसे वे अपने तीन बच्चों से बिछुड़ जाती हैं. उनकी आंखों की रोशनी चली जाती है. जरूरत पड़ने पर कैसे अमिताभ बच्चन,ऋषि कपूर और विनोद खन्ना अपना खून देते हैं इस सीन को याद करते हुए आज भी अच्छे अच्छे निर्देशक हैरत में पड़ जाते हैं. आज कोई चाह कर भी ऐसे सीन के बारे में सोच भी नहीं सकता है. क्योंकि न तो मां के रूप में आज निरूपा रॉय है और न हीं मनमोहन देसाई जैसे दिग्गज निर्देशक.
विमल रॉय की दो बीघा जमीन से मिली अंतर्राष्ट्रीय पहचान
निरूपा रॉय का असली नाम कोकिला बेन था. उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत 1946 में गुजराती फिल्म 'गणसुंदरी' से की थी. उनकी पहली हिन्दी फिल्म 'हमारी मंजिल' थी जो 1949 में आई थी. 1953 में विमल रॉय की 'दो बीघा जमीन' के लिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया. निरूपा राय ने 300 से अधिक फिल्मों में काम किया जिसमें वे 200 के करीब फिल्मों में मां बनी है. अमिताभ बच्चन की मां के रूप में उन्हें अधिक पसंद किया गया. 'मुकद्दर का सिकंदर', 'अमर अकबर एंथनी', 'सुहाग', 'इंकलाब', 'गिरफ्तार', 'मर्द' और 'गंगा जमुना सरस्वती' जैसी फिल्मों में उन्होने अमिताभ बच्चन की मां की भूमिका निभाई. वर्ष 1999 में प्रदर्शित फिल्म 'लाल बादशाह' में वह अंतिम बार अमिताभ बच्चन की मां की भूमिका में दिखाई दी थीं. 13 अक्टूबर 2004 को निरूपा रॉय का निधन हो गया.
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