बीते रविवार बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या कर ली. कहा जा रहा है कि वह पिछले छह महीने से डिप्रेशन में थे. डिप्रेशन से निकलना आसान नहीं होता, इसके निकलने के लिए दवाइयों और डॉक्टर्स से ज्यादा किसी के साथ की जरूरत होती है, किसी के प्यार की जरूरत होती है. किसी का साथ और प्यार डिप्रेशन से कोसों दूर ले जाता है. ऐसा ही कुछ डायरेक्टर इम्तियाज अली ने अपनी फिल्मों में दिखाया है. आज उनका़ आज 49वां जन्मदिन है. उनका जन्म 16 जून 1971 को हुआ था.


इम्तियाज अली ने साल 2005 में आई फिल्म 'सोचा ना था' से बतौर डायरेक्टर बॉलीवुड में एंट्री की. ये फिल्म सुपरहिट हुई. इसके बाद साल 2007 में उनके निर्देशन में बनी फिल्म 'जब वी मेट' आई इस फिल्म ने लोगों ने प्यार के मायने बदल दिए. इम्तियाज की फिल्में प्यार के रास्ते एक खास तरह की आज़ादी को दिखाते हैं. इनकी फिल्मों में प्यार हर तनाव और समस्या का हल होता है. चाहे वो 'सोचा ना था' में आयशा टाकिया का किरदार हो या फिर 'जब भी मेट' में शाहिद कपूर का किरदार.


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प्यार डिप्रेशन और डर दोनों को खत्म कर देता है. साल 2009 में आई उनकी फिल्म 'लव आज कल' हो या साल 2011 में आई फिल्म 'रॉकस्टार'. इम्तियाज ने बखूबी दिखाया है कि धन-दौलत से ज्यादा शांति और सुख प्यार में मिलता है. साल 2015 में आई उनकी फिल्म 'तमाशा' को लोगों ने काफी पसंद किया. यह एक युवा वर्ग को ध्यान में रखकर बनाई गई फिल्म थी. जो काम और नौ से छह की शिफ्ट के बीच में दबा जा रहा था. फिल्म रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण की केमिस्ट्री भी कमाल की दिखाई दी.


फिल्म में रणबीर कपूर वेद वर्धन का किरदार निभाते हैं जबकि दीपिका पादुकोण तारा महेश्वरी का. जो पहले तो खूब मस्ती करते हैं और बाद में ऑफिस टाइमिंग के चक्कर में फंस के डिप्रेश हो जाते हैं. रणवीर अपने हुनर को मार देते हैं. वह एक कहानीकार बनना चाहते थे, बाद में तारा यानी दीपिका पादुकोण उनसे मिलती हैं, उसे हुनर का एहसास दिलाती है.


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