बेटे की मौत के बाद सिर पटक-पटककर रोए थे शेखर सुमन, खत्म हो गई थी जीने की इच्छा
Shekhar Suman Shared Profound Grief Of Losing Son: हीरामंडी एक्टर शेखर सुमन ने अपने बड़े बेटे आयुष के बारे में बात की. उन्होंने बताया कि बेटे की मौत के बाद जीने का बिल्कुल भी मन नहीं था.
Shekhar Suman Shared Profound Grief Of Losing Son: संजय लीला भंसाली की 'हीरामंडी' पिछले काफी समय से चर्चा में बनी हुई है. इसमें शेखर सुमन भी अहम भूमिका में नजर आने वाले हैं. हाल ही में शेखर सुमन ने इस बात का जिक्र किया जब वह पहली बार अपनी जिंदगी में रोए थे. एक्टर के बेटे आयुष के निधन के बाद वह पूरी तरह से टूट गए थे. बातचीत के दौरान शेखर सुमन ने अपने बेटे को याद किया और वह भावुक हो गए.
जीने की इच्छा खत्म हो गई थी
सिद्धार्थ कन्नन को दिए एक इंटरव्यू में शेखर सुमन ने अपने उस असहनीय दर्द का खुलासा किया जिस वक्त उनके 10 साल के बेटे आयुष का निधन हो गया था. उन्होंने बताया कि जिगर के टुकड़े को खोने के बाद वह जीना नहीं चाहते थे और वह बुरी तरह टूट चुके थे. शेखर ने बताया कि उस वक्त उनको कुछ समझ में नहीं आ रहा था और वह अपना सिर जमीन में पटक-पटक कर रोने लगे थे.
बेटे के निधन के बाद सुध-बुध खो बैठे थे शेखर सुमन
बातचीत के वक्त शेखर सुमन भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि बेटे के निधन के बाद उन्होंने सक्सेज और पैसा कमाने की कोई इच्छा नहीं बची थी. वह खुद को पूरी तरह से खत्म महसूस कर रहे थे, केवल परिवार को पालने आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए वह काम कर रहे थे, लेकिन उनमें जीने की इच्छा बिल्कुल नहीं बची थी.
बेटे की तारीफ सुन आंखों में आए आंसू
शेखर सुमन ने आगे कहा कि जब हीरामंडी में संजय लीला भंसाली ने बेटे अध्ययन सुमन के अभिनय की तारीफ की तो मेरी आंखों में खुशी के आंसू थे. बता दें कि भंसाली की इस सीरीज में शेखर सुमन ने जुल्फिकार का किरदार निभाया है. वहीं अध्ययन सुमन जोरावर अली खान के रोल में हैं, जो कि बहुत अहंकारी और सेल्फिश है.
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कैसी होगी हीरामंडी
भंसाली की सीरीज हीरामंडी में वेश्याओं और उनके ग्राहकों की कहानी दिखाई जाएगी. यह एक ऐसे युग की कहानी है जिसमें दरबारियों और शासकों का बोलबाला था. सीरीज में 1940 के दशक में स्वतंत्रता के लिए संघर्ष की कहानी भी दिखाई जाएगी.
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