फिल्म- हेलीकॉप्टर ईला


स्टारकास्ट- काजोल , रिद्धी सेन, नेहा धूपिया


निर्देशक - प्रदीप सरकार


रेटिंग - 3 (***)


अक्सर हमने ऐसी कहानियां देखी और सुनीं हैं जिनमें मां-बाप अपने बच्चों को कामयाब बनाने और उनके सपनों को पूरा करने के लिए जी जान लगा देते हैं. लेकिन ऐसी कहानियां कम ही होती हैं जिनमें बच्चे अपने पेरेंट्स के सपनों की परवाह करते हैं. 21वीं सदी के बदलते पेरेंट्स ही नहीं बल्कि बदलते बच्चों की कहानी को बयां करती है काजोल की फिल्म ''हेलीकॉप्टर ईला''. प्रदीप सरकार के निर्देशन में बनी इस फिल्म में काजोल मेन रोल में नजर आ रही हैं. जो कि एक सिंगल मदर का रोल प्ले करती नजर आ रही हैं.


फिल्म की कहानी यूं तो एक साथ कई खूबसूरत संदेश देती नजर आती है. लेकिन इन सोशल मैसेजेस के अलावा काजोल को पर्दे पर देखना भी बेहद खास है. फिल्म में एक साथ दो जेनरेशन्स का एक बेहद खूबसूरत मिश्रण देखने को मिलेगा. इसके अलावा फिल्म का म्यूजिक भी थोड़ा अलग किस्म का है. काजोल पिछली बार शाहरुख खान के साथ 'दिलवाले' में नजर आईं थी. अब करीब 3 साल बाद इस फिल्म के साथ वापस पर्दे पर लौट रही हैं और वो अपनी परफॉर्मेंस से किसी को भी निराश करती नजर नहीं आएंगी.



कहानी


फिल्म की कहानी एक ऐसी लड़की की है जो अपने सपनों को पूरा करना चाहती है और अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहती है. वो अपने सपनों की उड़ान में एक बेहद खूबसूरत साथी से मिलती है जो उसके इन सपनों को पूरा करने में उसकी मदद करता है. ईला सिंगर बनना चाहती है और उसे इसमें पहचान भी मिलनी शुरू हो जाती है. दोनों की जिंदगी बेहद अच्छी चल रही होती है, दोनोंं साथ में सारी जिंदगी बिताने का मन बना लेते हैं और शादी कर लेते हैं.


शादी के कुछ वक्त बाद दोनों के घर में एक बेटे का जन्म होता है. यूं तो अभी तक कहानी में सब ठीक चलता है लेकिन फिर एक दिन कुछ ऐसा होता है जिससे ईला की जिंदगी पलट जाती है. इसके बाद ईला की पूरी जिंदगी सिर्फ और सिर्फ उसके इकलौते बेटे के इर्द-गिर्द घूमने लग जाती है. ईला अपने बेटे की देखभाल में कुछ उलझ जाती है कि वो अपना पैशन और पहचान ही खो बैठती है. वो अपने बेटे को खोने के डर से इस हद तक प्रभावित होती है कि उसके स्कूल से लेकर उसके कॉलेज तक उसका पीछा करती है.


एक दिन वो अपने बेटे के कॉलेज में ही एडमिशन ले लेती है. दोनों साथ में एक ही कॉलेज में पढ़ने लगते हैं. ईला भले ही इस बात से खुश होती है लेकिन उसका बेटा इस बात से परेशान हो जाता है और एक दिन वो कह देता है कि उनका ये प्यार उसके लिए अब घुटन बनता जा रहा है. इसके बाद ईला की जिंदगी की ये दूसरी जंग शुरू हो जाती है. ईला का बेटा उसके सामने एक शर्त रख देता है जिसकी वजह से ईला अपने सपनों की ओर फिर कदम बढ़ाने लगती है. लेकिन इसके बाद कहानी में दो बड़े ट्विस्ट्स आते हैं जो कहानी को नया मोड़ देते हैं, अब ये ट्विस्ट्स क्या हैं ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.



निर्देशन


फिल्म का निर्देशन काफी सधा हुआ नजर आता है. निर्देशक प्रदीप सरकार ने बिना किसी जोड़-तोड़ के दो अलग-अलग ईरा और जेनरेशन के लोगों के एक साथ बेहद खूबसूरती से दिखाया है. फिल्म में कहीं आपको ऐसा नहीं लगता कि अरे! ये कैसे हो गया या इसका क्या लॉजिक है. अलग सोच, अलग उम्र और हालातों की मार तीनों ही चीजों को निर्देशक ने बेहद अच्छे तरीके से निभाया है.


एक्टिंग


काजोल तीन साल बाद फिल्म में नजर आ रही हैं और उन्होंने अपना रोल निभाने में कहीं कोई कमी नहीं छोड़ी है. फिल्म देखकर आपको कई बाद ऑफस्क्रीन काजोल ऑनस्क्रीन ईला बनी हुई नजर आ रही हैं. वहीं, काजोल के बेटे का रोल प्ले कर रिद्धी सेन भी फिल्म में बेहद बढ़िया काम किया है. इसके अलावा सपोर्टिंग एक्टर्स भी फिल्म को आगे बढ़ने और फिल्म को एक अच्छी फिल्म बनाने मदद करते दिखते हैं.


संगीत


वहीं, अगर फिल्म के संगीत की बात करें तो यूं तो फिल्म की थीम के हिसाब से गाने जरा कम ही हैं. लेकिन ये सही है कि फिल्म में जो भी गाने रखे गए हैं वो सभी बेहद खास . फिल्म में 'रुक रुक' गाने को रिमेक किया गया है. ऑरिजनली तो ये गाना तबु और अजय देवगन पर फिल्माया गया है लेकिन फिल्म में इसका रिमेक काफी अच्छे तरीके से किया गया है . इसके अलावा यादों की अलमारी भी ऐसे गानों में से है जो फैंस के दिलों को लंबे समय तक याद रहेगा. फिल्म का संगीत अमित त्रिवेदी और राघव सच्चर ने दिया है.


क्यों देखें


  • फिल्म में काजोल की स्क्रीन प्रेसेंस जबरदस्त की है. आपको एक पल के लिए स्क्रीन से नजरें हटाने का मन नहीं करेगा.

  • ये एक लाइट हार्टेड फिल्म है जिसे देखकर इंजॉय किया जा सकता है साथ ही इसे आप अपने परिवार के किसी भी सदस्य के साथ देख सकते हैं.

  • फिल्म में आपको 90 की काजोल और आज की काजोल दोनों को एक साथ देखने का मौका मिलता है.