Rang Barse Song Story: होली का त्योहार यानी मस्ती के साथ रंगों में सराबोर होकर नाचने-गाने का त्योहार. वैसे भी होली पर अगर बॉलीवुड के मस्ती भरे गाने ना मजे तो रंग कहां जमता है. फिर फिल्म ‘सिलसिला’ का अमिताभ बच्चन और रेखा पर फिल्माया गया ‘रंग बरसे सॉन्ग’ तो आइकॉनिक गाना है इसके बिना शायद ही होली की महफिल जमती हो. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रंगे बसरे गाना कैसे बना था. इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है.
‘रंग बरसे’ सॉन्ग भजन पर बेस्ड है
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक कंपोजर देबज्योति मिश्रा ने रंग बरसे की मेकिंग का किस्सा बताया था. मिश्रा ने कहा था, “टॉलीगंज में, जहां मैं रहा करता था, एक जगह थी जहां नॉन-बंगाली लोग गाना गाने और होली मनाने के लिए इकट्ठा होते थे. उनके गाने मेरे दिमाग पर प्रभाव छोड़ते थे.” देबज्योति मिश्रा ने कहा कि जब उन्होंने बाद में गाना सुना ‘रंग बरसे भीगे चुनर वाली’ और सिलसिला में पिक्चराइजेशन देखा तो वह उस समय कॉलेज में थे.
उन्होंने कहा, “मैंने फिल्म को साउथ कोलकाता में सिंगल स्क्रीन पर देखा और जो मैंने देखा वह मुझे पसंद आया. गाना बहुत हिट हुआ था, लेकिन मुझे पता था कि यह एक भजन पर बेस्ड है जिसे लोग होली पर गाया करते थे. बाद में जब कंपोजर ने सौविक मित्रा की कर्ज़नर कलोम में इसी तरह की धुन का इस्तेमाल करना चाहा, तो उन्होंने कहा कि कॉपीराइट इश्यू थे.
‘रंग बरसे’ के लिरिक्स हरिवंश राय बच्चन के थे
उन्होंने आगे कहा था, “तभी यह पता चला कि यह सॉन्ग रियल में 15वीं सदी की एक कवि मीरा के एक पारंपरिक भजन पर आधारित था. भले ही लिरिक्स कवि हरिवंश राय बच्चन के थे और सॉन्ग शिव-हरि ने कंपोज किया था. ओरिजनल भजन रंग बरसे ओ मीरा, भवन में रंग बरसे / कुन ए मीरा तेरो मंदिर चिनायो, कुन चिनायो तेरो देवरो / रंग बरसे ओ मीरा भवन में रंग बरसे. फिल्म के नंबर को स्क्रिप्ट में फिट करने के लिए बदल दिया गया था. लेकिन भजन पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों के बीच पॉपुलर था. ” देबज्योति को धुन का इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई और कंपोजर ने कहा, "आज तक, धुन पॉपुलर है और मैं भी इसका बड़ा फैन हूं."