House Arrest Review: सब कुछ होकर भी कुछ नहीं है 'हाउस अरेस्ट' में
House Arrest Review: Netflix पर 15 नवंबर को अली फज़ल, श्रिया पिलगांवकर और जिम सर्भ की फिल्म 'हाउस अरेस्ट' रिलीज़ हुई है. ये फिल्म जापान में मशहूर हो रहे कॉन्सेप्ट Hikikomori पर आधारित है. इसमें नौजवान खुद को कई महीनों या कई सालों तक के लिए अपने घर में कैद कर लेते हैं और समाज से दूर हो जाते हैं.
नई दिल्ली: जापान में कुछ सालों से युवाओं में 'Hikikomori' यानी अकेले अपने घर में लंबे वक्त तक (कई बार तो कई सालों तक) बंद रहने का प्रचलन बढ़ रहा है. इसमें लोग अपने समाज से पूरी तरह दूर हो जाते हैं और अपने घर में बंद होकर ज़िंदगी गुज़ारते हैं. इसी कॉन्सेप्ट पर बनी फिल्म 'House Arrest' 15 नवंबर को ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई है.
इस नेटफ्लिक्स ओरिजिनल फिल्म में अली ज़फर, श्रिया पिलगांवकर और जिम सर्भ मुख्य भूमिका में हैं. फिल्म का निर्देशन समित बासु और शशांक घोष ने मिलकर किया है. फिल्म का लेखन भी समित बासु ने ही किया है.
फिल्म का जॉनरा कॉमेडी है, लेकिन बहुत कोशिशों को बाद भी मेकर्स दर्शक को हंसाने में कामयाब नहीं हो सके हैं. कुछ सीन्स को छोड़ दें तो पूरी फिल्म सिर्फ इसी इंतज़ार में खत्म हो जाती है, कि अब शायद कुछ बड़ा होगा और कहानी में ट्विस्ट आएगा. हालांकि कुछ ट्विस्ट आते हैं लेकिन इतने हल्के कि आपको कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा.
कहानी नेटफ्लिक्स ओरिजिनल फिल्म 'हाउस अरेस्ट' की कहानी में तीन पात्र हैं. पहला है करन (अली फज़ल) जिसके इर्द गिर्द पूरी कहानी बुनी गई है या यूं कहें कि फिल्म सिर्फ उसी के बारे में है. करन एक बैंकर था जो खुद के साथ हुई ट्रैजडी के बाद समाज, रिश्तेदार और बाकी लोगों से दूर होकर दिल्ली में एक शानदार फ्लैट में अकेला रह रहा है. वो दिनभर अपने घर में साफ सफाई करता है. उसका घर कई क्रिएटिव चीज़ों से भरा है, जिससे वो दिनभर अपना टाइम पास करता है. उसे बाहर निकलने से डर लगता है. वो अपनी सभी ज़रूरत के काम वॉचमैन और अन्य लोगों से करवा लेता है. यहां तक कि एटीएम कार्ड देकर पैसे भी निकलवा लेता है. इसी तरह उसने कई महीनों से अपने घर में खुद को कैद कर रखा है. ये पात्र काफी इंटेरेस्टिंग लगता है.
इसी बीच करन की शराफत का फायदा उठाकर उसकी पड़ोसी पिंकी (बरखा सिंह), जो एक डॉन की बेटी है, उसके घर में एक पैकेज छोड़ जाती है जिसमें एक ज़िंदा शख्स बंद है.
फिल्म का दूसरा पात्र है जेडी (जिम सर्भ). जो काफी अय्याश किस्म का है. लेकिन वो करन का 20 साल पुराना दोस्त है. वो बार-बार करन को फोन करके तंग करता रहता है. उसे बाहर आने को भी कहता है, लेकिन करन का कहना है कि वो घर में ही खुश है.
इसके बाद नंबर आता है तीसरे पात्र सायरा (श्रिया पिलगांवकर) फिल्म की हिरोईन का, फिल्म में जिसकी एंट्री एक पत्रकार के तौर पर होती है. वो करन के पास केस स्टडी के लिए आती है. सायरा जापान में प्रचलित Hikikomori पर स्टोरी करना चाहती है, जिसके लिए वो करन का इंटरव्यू लेने उसके घर पहुंचती है. लेकिन सायरा और करन को एक दूसरे से प्यार हो जाता है. अब सायरा घर में है, एक ज़िंदा शख्स पैकेज में बंद है और करन का अय्याश दोस्त जेडी उसे बार-बार फोन करता रहता है. इन्हीं सब में लेखक-निर्देशक समित बासु ने कॉमेडी, रोमांस और सस्पेंस का कॉकटेल दर्शकों के सामने पेश करने की कोशिश की है. लेकिन वो कॉन्सेप्ट के अलावा लगभग हर मोर्चे पर नाकाम रहे हैं.
अभिनय और निर्देशन अली फज़ल ने फिल्म में शरीफ किस्म के लड़के का किरदार निभाया. घर से बाहर निकलने का उसका डर तभी ज्यादा नज़र आता है, जब वो अपने पैरों को दरवाज़े से बाहर निकालने कि कोशिश करता है, घर में ऐसा कुछ नहीं लगता. जिस ट्रैजडी की वजह से उसने घर में खुद को कैद कर लिया और बाहरी दुनिया से दूर बनाई है, उसका अक्स वो अपने अभिनय में नहीं ला पाए हैं. हालांकि उन्होंने अपने किरदार को बहुत हद तक अच्छे से निभाया है, लेकिन इंटेरेस्टिंग कॉन्सेप्ट और ठीक ठाक अभिनय के बावजूद फिल्म बोझिल ही लगती है. इसका कारण खराब निर्देशन और कमज़ोर स्क्रीनप्ले है.
श्रिया पिलगांवकर ने अच्छा अभिनय किया है. इमोशनल सीन्स में उनके अभिनय की काबिलियत दिखती है. जिम सर्भ का अभिनय देखकर फिल्म 'संजू' और वेब सीरीज़ 'मेड इन हेवन' की यादें ताज़ा हो जाएंगी. उन्होंने अपने किरदार के हिसाब से काफी अच्छा अभिनय किया है, लेकिन ऐसा लगता है कि वो एक तरह के अभिनय के जाल में फंसते जा रहे हैं.
'House Arrest' के लगभग सभी सीन्स एक ही फ्लैट में फिल्माए गए हैं. इसके स्क्रीनप्ले में कुछ भी ऐसा नहीं है, जिसका ज़िक्र अलग से किया जाए. हालांकि एक ही फ्लैट में 100 मिनट से ज्यादा की फिल्म को फिल्माना इतना आसान भी नहीं रहा होगा. दो सीन एक दूसरे से मिलते जुलते न हों इसका खयाल रखने की कोशिश की गई है. समित बसु का ये पहला प्रोजेक्ट था, लेकिन शशांक घोष ने इससे पहले फिल्म 'वीरे दी वेडिंग' जैसे हिट फिल्म बनाई है. हालांकि उन्होंने 'खूबसूरत' जैसी फ्लॉप फिल्म भी निर्देशित की है.
इस फिल्म को देखने के बाद इस बात की चिंता होती है कि, जहां नेटफ्लिक्स जैसे बड़े प्लेटफॉर्म पर हॉलीवुड समेत दुनिया की कई फिल्में समीक्षकों की तारीफ बटोर रही है, वहीं इस प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ हो रहीं हिंदी फिल्में इसका कुछ खास फायदा नहीं उठा पा रही हैं. सेंसरशिप से परे प्लेटफॉर्म होने के बावजूद इसपर अब तक कोई भी ऐसी हिंदी फिल्म रिलीज़ नहीं हुई है, जिसने दर्शकों के दिलों में जगह बनाई हो. इससे पहले करण जौहर की फिल्म 'ड्राइव' को लोगों ने नापसंद कर दिया था. समीक्षकों ने इसे देखना वक्त की बरबादी बताया था.