Bollywood Buzz: किराने की दुकान से सिनेमा की दुनिया तक कैसे पहुंचे कल्याणजी-आनंदजी? दिलचस्प है दोनों भाइयों की कहानी
KalyanJi AnandJi Trivia: अपने शानदार संगीत से फैंस को अपना कायल करने वाले कल्याणजी और आनंदजी फिल्मों में आने पहले किराने की दुकान पर काम करते थे.
Kalyan Ji Anand Ji Trivia: गुजरात (Gujrat) के कच्छ के रहने वाले कल्याणजी और आनंदजी ने अपने करियर (Career) में एक से बढ़कर एक शानदार फिल्मों को अपने बेहतरीन संगीत से सजाया. लोग उनके संगीत (Music) के दीवाने हुआ करते थे. उनके संगीत को फैंस का बहुत प्यार मिलता था. इस जोड़ी के फिल्मों में एंट्री करने की दास्तान किसी फिल्म से कम नहीं है. आइए जानते हैं कि किस तरह से इस संगीतकारों की इस जोड़ी ने फिल्मों में कदम रखा.
फिल्मों से पहले
फिल्मों में आने से पहले इस कल्याणजी और आनंदजी अपने पिता की किराने की दुकान पर बैठते थे. वो दुकान के कामों में लगे रहते थे. पिता की दुकान से एक व्यक्ति सामान लिया करता था, लेकिन वो किसी वजह से उधार के पैसे नहीं चुका पा रहा था.
जब उनके पिता वीरजी शाह ने रुपये देने के लिए कहा तो उसने वीरजी शाह से कहा कि वो पैसों के बदले उनके बेटों को म्यूजिक की शिक्षा दे सकते हैं. उनके पिता इस बात पर राजी हो गए. इसके बाद उस व्यक्ति ने उनके बेटों को संगीत में ट्रेन्ड कर दिया.
संगीत की शिक्षा लेने के बाद कल्याणजी ने अपने भाई आनंदजी के साथ 'कल्याणजी वीरजी एंड पार्टी' के नाम से एक आर्केस्ट्रा बनाया. इसके बाद दोनों भाई शहर से बाहर भी प्रोग्राम किया करते थे.
फिल्मों में कदम
इसके कुछ वक्त के बाद इस जोड़ी ने फिल्मों में कदम रखने का फैसला किया. कल्याणजी और आनंदजी (Kalyan Ji Anand Ji) को पहली बार साल 1959 में आई फिल्म सम्राट चंद्रगुप्त में संगीत देने का मौका मिला. इस फिल्म के बाद फिर कभी इस जोड़ी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. कल्याणजी और आनंदजी ने अपने करियर में डॉन (Don), कोरा कागज (Kora Kagaz) और मुकद्दर का सिकन्दर (Muqaddar Ka Sikandar) जैसी बहुत सी शानदार फिल्मों में अपने संगीत का कमाल दिखाया.
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