Exclusive: 'स्त्री 2' के गाने 'काटी रात मैंने खेतों में' में पवन सिंह के साथ दिव्य कुमार की आवाज ने जो जादू बिखेरा वो अब डांस फ्लोर पर लोगों को थिरकने में मजबूर कर रहा है.


बदलापुर का गाना 'आज मेरा जी करदा' हो या शुद्ध देसी रोमांस का शाम 'चंचल मन', ऐसे तमाम गानों को आवाज दे चुके सिंगर दिव्य कुमार ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत में कई अलग-अलग सवालों के इंट्रेस्टिंग जवाब दिए.


तो चलिए जानते हैं उन्होंने क्या कुछ बताया बॉलीवुड वर्क कल्चर के बारे में. साथ ही, सिंगर्स की कमाई से जुड़े सवालों पर भी उन्होंने क्या-क्या बताया?




सिंगर्स को कितना मेहनताना मिलता है?
इसके जवाब में दिव्य कुमार कहते हैं कि ये बहुत अलग-अलग होता है. अगर आप सोचते हैं कि हजार करोड़ या 500 करोड़ वाली फिल्म में ढेर सारे आर्टिस्ट को ढेर सारा पैसा मिलता है, तो ऐसा नहीं है. उसमें से बड़ा अमाउंट तो बड़े एक्टर्स-डायरेक्टर ले जाते हैं.


दिव्य आगे कहते हैं- जब कॉस्टकटिंग की बात होती है तो सबसे पहले सिंगर्स और म्यूजिशियन्स का रुपया ही कम किया जाता है. ये एक बहुत बड़ी दुविधा है कि आर्टिस्ट के लिए. भले आप एक बड़े नाम हैं और अच्छा पैसा मांगते हैं तो हो सकता है मिल जाए, लेकिन कई बार बड़ी आसानी से मना भी कर दिया जाता है. ये कहके कि हम इतना पैसा नहीं दे पाएंगे, हम किसी और से गवा लेंगे. 


उन्होंने आगे ये पॉजिटिव पॉइंट भी बताया कि बॉलीवुड में ऐसे अच्छे लोग भी हैं जो हमारा ख्याल रखते हैं, भले ही वो बेहद कम हैं लेकिन उनकी मौजूदगी है. ये लोग आपको अच्छा पैसा देते हैं क्योंकि वो क्वॉलिटी में कॉम्प्रोमाइज नहीं करते. अगर उन्हें अरिजीत या मैं चाहिए तो वो हमसे ही गवाएंगे. और अच्छा मेहनाताना भी देंगे.


दिव्य कुमार आगे कहते हैं कि फिर भी हम एक सर्टेन अमाउंट दिमाग में लेकर चलते हैं कि हमें इतना चाहिए. हालांकि, उसमें भी मोल-तोल जरूर होता है. हालांकि, ये डिसक्लोज कभी नहीं होता कि कौन कितना पैसा मिलता है.






बड़े-बड़े ब्रांड्स भी नहीं देते कई बार सिंगर्स को पैसा
दिव्य कुमार ने एक और बात बताई. उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे बड़े ब्रांड्स भी हैं जो सीधे मना कर देते हैं कि वो सिंगर्स को पैसे ही नहीं देते. उन्होंने बिना नाम लिए ये बताया कि ऐसा कई बार होता है.


सिंगर ने बताया कि आज भी बहुत से ऐसे सिंगर्स हैं जो बड़ा नाम होने के बावजूद 50 हजार से 1 लाख रुपया तक ही कमा पाते हैं. बॉलीवुड में पैसा कमाने के लिए गाना बहुत मुश्किल है, ये 90s के जमाने में होता था आज नहीं.


बहुत सारे ऑप्शन्स का फर्क पड़ता है
बहुत सारे ऑप्शन्स हो जाने की वजह से भी ऐसा हुआ है. और अगर आप लाइव परफॉर्मेंस नहीं करते हैं तो आपकी कमाई का रास्ता बहुत कम हो जाता है. 


ऐड फिल्मों की दुनिया में होती है ज्यादा कमाई
दिव्य कुमार ने एक बेहद इंट्रेस्टिंग बात ये भी बताई कि ऐड फिल्मों की दुनिया आज भी बॉलीवुड से बेहतर हैं. उन्हें देखकर लगता है कि बॉलीवुड को भी ऐसा होना चाहिए. छोटे-छोटे ऐड्स में एक लाइन की जिंगल गाने के लिए भी वो बहुत रिस्पेक्टफुली अच्छा अमाउंट पे करते हैं.


हालांकि, वहां का ड्रॉबैक ये जरूर है कि वहां पहचान नहीं मिलती. लेकिन कमाई जरूर होती है. ऐड फिल्म इसलिए मेरी फेवरिट इंडस्ट्री है. वहां 30 सेकेंड ये 1 मिनट के काम के लिए बहुत अच्छा पैसा मिल जाता है. 


दिव्य आगे कहते हैं कि अगर आपकी आवाज एक ब्रांड है जैसे श्रेया घोषाल या अरिजीत सिंह, तो आपको और भी ज्यादा पैसा मिलता है. सिर्फ सिंगर बनकर गुजारा करना डिफिकल्ट है, इसलिए मल्टीटैलेंटेड होना जरूरी है. आपको जिंगल्स से लेकर साउथ इंडियन या रीजनल लैंग्वेजेज में भी गानों के लिए जाना होगा.


म्यूजिशियन्स की फैमली से होने का कितना फायदा मिला?
दिव्य कुमार को म्यूजिक और गाने की समझ विरासत में मिली. उनके पिता और दादा जी उस जमाने से बॉलीवुड में अपना म्यूजिक देते आए हैं जब आरडी और एसडी बर्मन जैसे दिग्गज थे. ऐसे में जब हमने उनसे नेपोकिड होने के फायदों के बारे में पूछा तो उन्होंने इसका जवाब बेहद बेबाकी से दिया.


दिव्य कुमार कहते हैं, 'सिंगिंग एक ऐसी जीच है जो टैलेंट के दम पर ही आपको आगे ले जा सकती है. नेपोकिड होने का सिर्फ इतना फायदा मिलता है कि आपकी एंट्री आसानी से हो सकती है. लेकिन अगर आप में टैलेंट नहीं है  तो आप ज्यादा दिन टिक नहीं पाएंगे.


बता दें कि दिव्य कुमार के पिता भगवान शिवराम म्यूजिशियन हैं जिन्होंने आरडी बर्मन से लेकर हिमेश रेशमिया जैसे बड़े नामों के साथ काम किया है. और उनके दादा जी उनके दादा पंडित शिवराम ने कई रीजनल फिल्मों और वी. शांताराम की फिल्मों का म्यूजिक दिया था.


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