Mohammed Rafi Trivia: मोहम्मद रफी की आवाज़ का जादू किस पर नहीं चला, जिसने उन्हें सुना वो हमेशा के लिए उनका दीवाना हो गया. उन्होंने अपने फिल्मी करियर (Career) में एक से बढ़कर एक सुपर हिट गाने (Songs) गाए हैं. रफी अपने दौर के हर बड़े अभिनेता की आवाज बने, लेकिन एक वक्त ऐसा भी था, जब रफी साहब एक एक पैसे के लिए मोहताज थे. उस बुरे वक्त में संगीतकार (Music Director) नौशाद (Naushad) ने रफी को ब्रेक देकर उनको फिल्म इंडस्ट्री (Film Industry) में एंट्री दिलवाई. नौशाद के दिए हुए उस मौके के बाद रफी ने फिर कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा.


रफी की तंगहाली और नौशाद की मदद


रफी साहब को सिनेमा में पहली बार एक कोरस गायक के तौर पर केएल सहगल की फिल्म शाहजहां में काम मिला. रिकॉर्डिंग पूरी करने के बाद वो फिल्म के सेट पर बैठ गए. उस बैठे हुए इंसान पर संगीतकार नौशाद की नजर पड़ी. नौशाद ने रफी से घर जाने के बारे में पूछा. इसके जवाब में रफी ने बताया कल भी काम करना है और जाकर वापस आने के पैसे नहीं हैं तो बैठ गया. नौशाद ने कहा कि पैसे ले लेते तो रफी ने जवाब दिया कि बिना पूरा काम किए पैसे कैसे लेता. रफी के इस उत्तर से नौशाद बहुत इम्प्रेस हुए उन्होंने उनको पैसों के साथ अपनी एक फिल्म में गाना गाने का मौका भी दे दिया. रफी के फिल्मी करियर का पहला हिट गाना 'दिल हो काबू में तो दिलदार की ऐसी तैसी गाया' नौशाद का दिया हुआ ही था.




जब गले से आ गया था खून


इसके बाद नौशाद (Naushad) ने कई और फिल्मों में मोहम्मद रफी (Mohammed Rafi) से गाने गवाए. इसके बाद फिल्म बैजू बावरा (Baiju Bawra) में गाए हुए गानों से मोहम्मद रफी हिंदी सिनेमा के महान गायक (Great Singer) बन गये. बैजू बावरा में रफी ने इतनी मेहनत की कि उनके गले से खून तक आ गया था. मोहम्मद रफी की ये मेहनत रंग लाई और आज भी गायकी की दुनिया में उनका नाम बहुत ही इज्जत के साथ लिया जाता है. वो अपने गानों के माध्यम से आज तक हमारे बीच जिंदा है.


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