साल 1988 को रिलीज़ हुई माधुरी दीक्षित और अनिल कपूर की आइकॉनिक फिल्म ‘तेज़ाब’ को आज भी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की कुछ बेहतरीन फिल्मों में से एक माना जाता है, ये वो फिल्म थी जिसने रातों रात माधुरी दीक्षित को सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया था. माधुरी ने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत फिल्म 'अबोध' से की थी जिसके बाद उन्होंने 'आवारा बाप' नाम की फिल्म में भी काम किया, लेकिन इन दोनों फिल्मों से उन्हें इंडस्ट्री में पहचान नहीं मिल पाई. लेकिन सुभाष घाई की फिल्म तेजाब ने उनकी किस्मत ऐसी पलटी कि लोग उनकी खूबसूरती के साथ-साथ उनकी अदाओं और एक्टिंग के भी दीवाने हो गए.



'तेजाब' अनिल कपूर से ज़्यादा माधुरी दीक्षित के करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई. फिल्म ‘तेज़ाब’ की रिलीज के बाद भी माधुरी को इस बात का एहसास ही नहीं था कि लोग उन्हें कितना पसंद करने लगे हैं. दरअसल, जब ये फिल्म रिलीज़ हुई उस वक्त माधुरी अमेरिका में अपनी बहन की शादी में हिस्सा लेने पहुंची थी, जब वो वापस भारत आईं तो एयरपोर्ट से निकलकर वो अपनी कार की तरफ जा रही थीं, तभी वहां सड़क पर कार साफ करने वाले बच्चों ने उन्हें देख लिया, फिर क्या था माधुरी को देखते ही वो बच्चे चिल्लाने लगे और दौड़कर माधुरी के पास आए, उन्होंने माधुरी से ऑटोग्राफ मांगा तो उन्होंने अपना नाम का अक्क्षर पेपर पर लिख दिया, पेपर पर एम लिखा देखकर वो बच्चे और जोर से चिल्लाने लगे जिनमें से एक कहने लगा कि-'मैंने बोला था ना, ये मोहिनी है’.



आपको बता दें कि फिल्म 'तेज़ाब' में माधुरी के किरदार का नाम मोहिनी था. इस बात का जिक्र माधुरी ने अपने एक इंटरव्यू में किया था और कहा था कि-वो पहली बार था, जब उनके किरदार की वजह से लोगों ने उन्हें पहचाना था.' इस फिल्म ने ना सिर्फ माधुरी बल्कि कई और लोगों का करियर बना दिया था. कोरियोग्राफर सरोज खान और सिंगर अलका याग्निक को भी इसी फिल्म ने बॉलीवुड में पहचान दिलाई थी, लेकिन सबसे ज्यादा फायदा माधुरी के करियर को पहुंचा, 'तेजाब' के बाद माधुरी ने कई फिल्में साइन की और दर्शकों ने भी उन्हें खूब प्यार दिया.


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