Hrishikesh Mukherjee Unknown Facts: सिनेमा की शुरुआत दादा साहेब फाल्के ने की थी, लेकिन उसमें जान हृषिकेश मुखर्जी ने फूंकी. उन्होंने समाज के हर संवेदनशील मसले को इतनी बखूबी उठाया कि आज भी हर कोई उनका कायल है. 30 सितंबर 1922 के दिन कोलकाता में जन्मे हृषिकेश मुखर्जी ने 27 अगस्त 2006 के दिन इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. आइए आपको उनकी जिंदगी के चंद किस्सों से रूबरू कराते हैं.
पढ़ाते-पढ़ाते थिएटर की तरफ मुड़ गए हृषिकेश मुखर्जी
ऋषिकेश मुखर्जी को भले ही बॉलीवुड में स्टार फिल्म मेकर के रूप में याद किया जाता है, लेकिन उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर टीचर की थी. दरअसल, कोलकाता विश्वविद्यालय से स्नातक के बाद वह गणित और विज्ञान के अध्यापक के रूप में काम करने लगे. इसके बावजूद उनका फोकस थिएटर की ओर रहा. हालांकि, उन्होंने अपने सिने करियर की शुरुआत बतौर कैमरामैन की.
इस फिल्म ने बदल दी किस्मत
हृषिकेश मुखर्जी की काबिलियत को मशहूर निर्माता-निर्देशक विमल राय ने निखारा. दरअसल, 1951 के दौरान रिलीज हुई फिल्म 'दो बीघा जमीन' में हृषिकेश मुखर्जी ने बतौर सहायक के रूप में विमल रॉय के साथ काम किया. इसके करीब छह साल बाद हृषिकेश मुखर्जी ने फिल्म मुसाफिर से बतौर निर्देशक अपने करियर की शुरुआत की. यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप हुई, लेकिन हृषिकेश मुखर्जी की काबिलियत दुनिया को नजर आने लगी थी. 1959 में हृषिकेश मुखर्जी ने फिल्म 'अनाड़ी' बनाई, जो बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही. 1960 के दौरान उन्होंने फिल्म 'अनुराधा' बनाई, जो कमाई तो नहीं कर पाई, लेकिन इस फिल्म ने राष्ट्रीय पुरस्कार और बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में भी अवॉर्ड हासिल किया.
जब धर्मेंद्र की वजह से रातभर जागे थे हृषिकेश मुखर्जी
बता दें कि हृषिकेश मुखर्जी की जिंदगी में एक दिन ऐसा भी रहा, जब वह धर्मेंद्र की वजह से बुरी तरह परेशान रहे. हुआ यूं था कि हृषिकेश मुखर्जी ने फिल्म आनंद की स्क्रिप्ट पहले धर्मेंद्र को सुनाई थी, लेकिन राजेश खन्ना को फिल्म में कास्ट कर लिया गया. इससे धर्मेंद्र भड़क गए और हृषिकेश मुखर्जी को रातभर कॉल करते रहे. ऐसे में हृषिकेश मुखर्जी पूरी रात सो नहीं पाए. इसके बाद ऋषिकेश और धर्मेंद्र ने फिल्म चुपके चुपके और गुड्डी में एक साथ काम किया.