(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
'गैंग्स ऑफ वासेपुर' ने बदल दी थी हुमा कुरैशी की दुनिया, लेकिन मिली थी सिर्फ इतनी फीस, सालों बाद एक्ट्रेस ने किया खुलासा
Huma Qureshi On Gangs Of Wasseypur: हुमा कुरैशी ने अपने करियर के शुरुआती दौर में आने वाली परेशानियों को लेकर बात की है. उन्होंने बताया कि 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' के लिए उन्हें सिर्फ 75 हजार रुपए मिले थे.
Huma Qureshi On Gangs Of Wasseypur: हुमा कुरैशी इन दिनों अपनी हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'तरला' को लेकर चर्चा में हैं. साल 2012 में उन्होंने फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' से अपना बॉलीवुड डेब्यू किया था. हुमा ने अब इतने सालों बाद अपनी डेब्यू मूवी को लेकर बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि फिल्म की रिलीज के बाद उन्होंने खुद को खोया हुआ महसूस किया था.
'गैंग्स ऑफ वासेपुर' के लिए हुमा को कितनी मिली थी फीस
मोजो स्टोरी के लिए बरखा दत्त को दिए एक इंटरव्यू में हुमा ने अपने करियर के शुरुआती दौर में आने वाली परेशानियों को लेकर बात की. उन्होंने बताया कि इस फिल्म के लिए उन्हें सिर्फ 75 हजार रुपए मिले थे. हुमा कहती हैं, 'मुझे बहुत पहले ही कामयाबी मिल गई थी. 2010 तक मैं मुंबई चली गई और 2012 में फिल्म रिलीज हो गई और यह भारत में बड़ी हिट बन गई लेकिन मेरी दुनिया ही उजड़ गई.'
फीस के तौर पर मिले थे 75000 रुपए
'तरला' एक्ट्रेस ने आगे बताया, 'यह एक ऐसी फिल्म थी जिसके लिए मुझे 75,000 रुपए फीस दी गई थी बस... मैं उनके (वायाकॉम 18) साथ काम कर रही हूं, वे मेरे मेकर हैं... लेकिन वह मेरी पहली फिल्म थी और कुछ फैंसी नहीं था... वहां कोई पांच सितारा होटल, वैनिटी वैन की गद्दी या लोगों की फौज आपके पीछे नहीं थी.. बस एक ग्रुप था, जो तीन महीने के लिए वाराणसी गया और शूटिंग करके वापस आ गया...'
'गैंग्स ऑफ वासेपुर' ने बदल दी जिंदगी
हुमा बताती हैं कि जब फिल्म रिलीज हुई और हिट हो गई तो किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर हो क्या रहा है... 'फिर मैंने कहा, 'वाह! मैं फिल्म में लीड रोल में हूं? मेरा चेहरा होर्डिंग पर है?! क्या मुझे इसके लिए ज्यादा फीस मिलनी चाहिए थी? क्या फिल्में इसी तरह बनती हैं?' उन्होंने आगे बताया कि 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' एक खास एक्सपीरियंस था और ये एक ऐसी फिल्म थी जिसने उनकी जिंदगी बदल दी थी क्योंकि उसके बाद 'वो खो गई थी.'
खुद को तलाशने में जुट गई थीं हुमा
हुमा बताती हैं कि इसके बाद वे मुंबई आईं, यहां लोगों से मिली, ऑडिशन दिए और उनके लिए फिल्म मिलना बहुत जल्दी हो गया था. वे सिलेक्शन में उलझ गईं और खुद को तलाशने लगी थीं कि वो कौन हैं और क्या करना चाहती हैं. वे बेहद असुरक्षित महसूस कर रही थीं.
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