रातों-रात स्टार बनी इस अभिनेत्री का ऐसा हुआ था अंजाम, मौत के बाद ठेले पर ले जाया गया था शव
बड़ी दुखभरी कहानी है एक्ट्रेस विमी की. ये नाम शायद ही किसी को याद होगा. 1943 में पैदा हुईं, 1967 में स्टार बनीं और 34 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गईं.
Humraaz Actress Vimi: फिल्म इंडस्ट्री में विमी (Actress Vimi) एक ऐसा नाम है, जिसने कम समय में शोहरत, दौलत और सफलता कमाई, लेकिन जितनी तेजी से उसने बुलंदियों को छुआ, उससे कहीं तेजी से वह सबकी नजरों से इस कदर ओझल हुईं कि आज शायद ही ये नाम किसी को याद होगा. एक समय था जब बॉलीवुड के गलियारों में विमी इस कदर छाईं कि हर कोई उनकी एक झलक पाने को बेकरार रहता था. आज हम बात करेंगे उस अदाकारा कि जिसने बेहद कम वक्त में स्टारडम पाया और फिर दूसरे ही पल में उनका स्टारडम ऐसा खोया कि वो हमेशा के लिए गुमनामी के अंधेरों में खो गईं.
विमी का सफर
किस तरह से ये खूबसूरत अदाकारा गुमनामी के पन्नों में खो गईं और कभी वापस ना लौट सकीं. एक शादीशुदा लड़की और दो बच्चों की मां किस तरह से रातों-रात बन गई बॉलीवुड की सुपरस्टार. एक समय ऐसा भी था, जब विमी बॉलीवुड की डिमांडिंग हिरोइनों में से एक थीं. विमी ने उस समय के सुपरस्टार सुनील दत्त, शशि कपूर और राज कुमार के साथ काम किया. विमी के लिए ये स्टारडम सिर्फ चार दिन की चांदनी बनकर आया और चला गया. बी आर चोपड़ा की सस्पेंस थ्रिलर फिल्म हमराज़ सुपर डुपर हिट साबित हुई. इस फिल्म में विमी के अपोजिट थे उस समय के सुपरस्टार सुनील दत्त, राज कुमार और बलराज साहनी. इस फिल्म के सभी गाने सुपरहिट रहे. इस फिल्म को नेशनल बेस्ट फीचर फिल्म का अवॉर्ड भी मिला.
कैसे मिली फिल्म हमराज
फिल्म हमराज के लिए बीआर चोपड़ा प्लानिंग कर रहे थे, एक ऐसे नए चेहरे की, जो बिल्कुल यूनीक और दिलकश हो. दरअसल, चोपड़ा साहब किसी न्यू कमर को अपनी फिल्म में लेना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने कई लड़कियों के ऑडिशंस भी लिए, लेकिन बात नहीं बनी. उनकी ये तलाश आकर विमी पर खत्म हुई. संगीतकार रवि ने चोपड़ा साहब को विमी के बारे में बताया. हैरानी की बात तो ये है कि विमी से मिलने के बाद वो एक ही नजर में चोपड़ा साहब को अपनी फिल्म के रोल के लिए समझ में आ गईं. उन्होंने बिना किसी देरी के विमी को फिल्म हमराज के लिए साइन कर लिया. फिल्म हमराज विमी के करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई और वो रातोंरात सुपरस्टार बन गईं.
विमी का स्टारडम
फिल्म हमराज के बाद हर तरफ केवल विमी के चर्चे होने लगे. आलम तो ये था कि विमी हर मैगज़ीन के कवर पेज पर छा गईं. उस समय फिल्म मैगज़ीन के कवर पेज पर आना ही बड़ी बात मानी जाती थी. विमी का यूं मैगज़ीन के कवर पेज पर आने का इशारा यही था कि वो एक स्टार बन गईं हैं. जिसे रातोंरात स्टाइल आइकॉन मान लिया गया है.
विमी का डाउनफॉल
फिल्म हमराज से विमी ने जितनी तेजी से एक ही दिन में स्टारडम हासिल किया, उतनी ही तेजी से उन्हें डाउनफॉल का सामना करना पड़ा. यूं कह सकते हैं कि विमी एक ही फिल्म के लिए बॉलीवुड में आईं और फिर हमेशा के लिए गुमनामी के अंधेरों में गुम हो गईं. ऐसा नहीं है कि उन्होंने फिल्म हमराज के बाद काम नहीं किया. दरअसल, फिल्म हमराज के बाद उन्होंने तीन और फिल्में कीं, जिनमें आबरू, वचन और पतंगा शामिल थी. लेकिन अफसोस की बात ये कि सभी फिल्में विमी के करियर के लिए डाउनफॉल ही साबित हुई. फिल्म आबरू में उनके साथ न्यू कमर दीपक कुमार थे, मगर यह फिल्म नहीं चली. इसके बाद विमी ने दो फिल्में शशि कपूर के साथ भी कीं, एक थी पतंगा और दूसरी थी वचन. ये दोनों फिल्में भी बाक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाईं.
विमी का करियर कैसे हुआ खत्म ?
विमी की फिल्में जैसे ही फ्लॉप होने लगी, उन्हें फिल्मों के ऑफर आने भी बंद हो गए. यहां तक कि बीआर चोपड़ा साहब ने भी उनको आगे अपनी किसी भी फिल्म में चांस नहीं दिया.
पति से हुईं अलग
जब विमी का डाउनफॉल चल रहा था तो उसी दौरान विमी अपने पति शिव अग्रवाल से अलग हो गईं. शिव कलकत्ता के बिजनेसमैन थे. अपने पति शिव से अलग होने के बाद विमी जॉली नाम के शख्स के साथ रहने लगी. कहा जाता है कि जॉली एक ब्रोकर थे. अपने पति को छोड़कर जॉली के साथ रहना उनकी सबसे बड़ी भूल थी.
विमी की लाइफ की सबसे बड़ी गलती
विमी के जीवन में जॉली का आना एक भूचाल साबित हुआ. जॉली ने विमी को इस कदर बरबाद कर दिया कि वो फिर दोबारा संभल न सकीं. जॉली के कारण बिजनेस, प्रॉपर्टी के अलावा विमी की टैक्सटाइल मिल भी बंद हो गई. हालात इतने खराब हो गए कि जिंदगी की परेशानियों से जूझने के लिए विमी ने शराब का सहारा ले लिया.
शराब की लत
शराब की लत उन्हें अंत तक ले गई. 1943 में पंजाबी परिवार में जन्मी विमी सिर्फ 34 साल की उम्र में इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गईं. आलम तो ये था कि उनकी मौत के समय उनके पास उनका कोई अपना नहीं था, ना ही पति और ना ही बच्चे. विमी की मौत की खबर किसी अखबार में आना तो दूर की बात बल्कि उनके रिश्तेदारों तक उनकी मौत की खबर तक ना पहुंची. उनके मृत शरीर को एक ठेले पर ले जाया गया था.