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श्रीदेवी की जिंदगी लेने के लिए मैं भगवान से नफरत करता हूं और मरने के लिए मैं श्रीदेवी से नफरत करता हूं: राम गोपाल वर्मा

राम गोपाल वर्मा ने श्रीदेवी को सिनेमाई अभिनय का प्रतीक करार दिया है. वर्मा के मुताबिक जब उन्होंने श्रीदेवी के साथ काम किया तब उन्होंने बेहद बारीकी से उनको ऑबजर्व किया. उनकी एक्टिंग की तकनीक से परफॉर्मेंस और चरित्र चित्रण की बारीकी को समझा.

नई दिल्ली: बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा श्रीदेवी के निधन से पूरा देश सदमे में है. उनके गुज़रने की खबर जिस किसी को भी मिली उसने पहली दफा में इसे झूठा कह दिया. उनके चाहने वाले उनकी मौत की खबर से सन्न हैं. सभी उनको याद कर रहे हैं. ऐसा ही कुछ हाल फिल्ममेकर राम गोपाल वर्मा का हुआ जब उन्हें ये मनहूस खबर मिली. राम गोपाल वर्मा ने भी पहली दफा में इस खबर पर यकीन नहीं किया.

श्रीदेवी का निधन दिल का दौरा पड़ने से दुबई में हुआ. वो वहां एक शादी अटेंड करने गई थीं. कौन जानता था कि वो आखिरी बार अपने देश से जा रही हैं और अब कभी लौट कर नहीं आएंगी. राम गोपाल वर्मा ने अपने फेसबुक पेज पर श्रीदेवी की याद में एक लंबा लेख लिखा है. जिसमें उन्होंने भगवान से नाराजगी जताई है साथ ही इतनी जल्दी दुनिया को छोड़कर चली जाने की वजह से वो अपनी चहिती हिरोइन श्रीदेवी से भी खफा हैं.

तस्वीर: RGV Twitter तस्वीर: RGV Twitter

राम गोपाल वर्मा के लेख का शीर्षक है, “श्रीदेवी की जिंदगी लेने के लिए मैं भगवान से नफरत करता हूं और मरने के लिए मैं श्रीदेवी से नफरत करता हूं.” श्रीदेवी की मौत से राम गोपाल वर्मा को बड़ा गहरा दुख पहुंचा है. यही वजह है कि भावनाओं के तूफान में बहकर उन्होंने श्रीदेवी से नफरत करने तक की बात कह दी.

 

वर्मा ने अपने लेख में लिखा, “मुझे सपने देखने की और रात में कुछ कुछ देर पर जागकर अपने फोन को चेक करते रहने की आदत है. जब मैंने रात में अपना सेलफोन चेक किया तो अचानक मुझे ये संदेश मिला कि श्रीदेवी नहीं रहीं. मैंने सोचा या तो ये कोई बुरा सपना है या फिर कोई मजाक और मैं फिर सो गया. एक घंटे बाद जब मैं चेक करने के लिए दोबारा जागा तो मुझे इस खबर की जानकारी देने के लिए करीब 50 मैसेज आए हुए थे.”

राम गोपाल वर्मा ने अपने जमाने को याद करते हुए लिखा, “जब मैं विजयवाड़ा में इंजीनियरिंग कॉलेज में था, तब मैंने पहली बार उनकी (श्रीदेवी) तेलुगू फिल्म ‘padaharella vayasu’ देखी थी. मैं उनकी खूबसूरती देखकर हैरान था. मैं थिएटर से बाहर निकला और सोचने लगा कि ये कोई असली इंसान नहीं हो सकती, ये किसी कि कल्पना है जिसने उन्हें इंसानी आकार दे दिया है. उसके बाद मैंने उनकी कई और फिल्में देखीं. उनकी सभी फिल्मों ने उनके टैलेंट और खूबसूरती का शानदार बेंचमार्क कायम किया.”

तस्वीर: RGV Twitter तस्वीर: RGV Twitter

राम गोपाल वर्मा कहते हैं, “मेरे लिए वो ऐसी थीं जैसे वो किसी और दुनिया से हमारी दुनिया में सिर्फ इसीलिए आईं हों ताकि वो हमें अपनी दुआओं से नवाज सकें, उन अच्छाईयों के लिए जो शायद हमने इस दुनिया में किए हैं.” वर्मा के मुताबिक श्रीदेवी को भगवान ने तब बनाया होगा जब वो अच्छे मूड में रहे होंगे. उन्होंने श्रीदेवी को मानवता के लिए भगवान की तरफ से एक तोहफा बताया.

राम गोपाल वर्मा ने बताया, “श्रीदेवी के लिए मेरा सफर तब शुरू हुआ था जब मैं अपनी डेब्यू फिल्म ‘शिवा’ की तैयारी कर रहा था. उस दौरान मैं चेन्नई में पैदल नागार्जुन के दफ्तर जाया करता था. उन्हीं के पड़ोस की गली में श्रीदेवी रहा करती थी. मैं जब भी वहां से गुजरता था तो श्रीदेवी के घर के बाहर खड़ा होकर मैं उनके घर को देखा करता था.”

इस दुख की घड़ी में वर्मा ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए दिल के जज्बातों को कुछ यूं बयां किया, “मैं इस बात पर यकीन नहीं कर पा रहा था कि हुस्न की मल्लिका इस फालतू से दिखने वाले घर में रहती हैं. फालतू मैंने इसलिए कहा क्योंकि मुझे लगता है कि कोई भी आदमी श्रीदेवी जैसी खूबसूरत अदाकारा के रहने के काबिल घर बना ही नहीं सकता. जब भी वो अपने घर से बाहर या अंदर जाया करती थीं तब मैं बेहद शिद्दत से ये उम्मीद करता था कि मुझे उनकी एक झलक मिल जाए. पर दुख की बात ये रही कि ऐसा कभी न हो सका.”

तस्वीर: RGV Twitter तस्वीर: RGV Twitter

राम गोपाल वर्मा अपनी इस शिद्दत भरी कहानी में आगे लिखते हैं, “और जब ‘शिवा’ रिलीज हुई और बड़ी हिट साबित हुई तो एक प्रोड्यूसर मेरे पास आए, उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं श्रीदेवी के साथ फिल्म बनाने में इंटरेस्टेड हूं. मैंने उनसे कहा- तुम पागल हो या कुछ और? मैं उनकी एक झलक के लिए मरा जा रहा हूं. उन्हें अकेले लेकर फिल्म बनाओ.” राम गोपाल वर्मा ने आगे लिखा है कि प्रोड्यूसर उन्हें श्रीदेवी से मुलाकात के लिए उसी घर में ले गए जिसके बाहर वो खड़े होकर उनकी राह ताका करते थे.

राम गोपाल वर्मा ने श्रीदेवी को परी बताते हुए आगे लिखा, “एक रात हम उनके घर गए, किस्मत से उनके घर में उस वक्त बिजली कट गई थी. मैं उनके लिविंग रूम में प्रोड्यूसर के साथ मोमबत्ती की रोशनी मैं बैठकर परी के आने का इंतजार कर था और मेरा दिल पागलों की तरह जबरदस्त तरीके से धड़क रहा था.” वर्मा ने आगे लिखा कि उनकी मां ने उन लोगों से कहा कि वो (श्रीदेवी) पैकिंग में बिजी है, क्योंकि उसे मुंबई जाने के लिए फ्लाइट पकड़नी है.

वर्मा ने उस रात का जिक्र करते हुए आगे लिखा, “हम लिविंग रूम में बैठे थे और थोड़ी थोड़ी देर में श्रीदेवी अपने लिविंग रूम से होते हुए दूसरे रूम के चक्कर लगा रही थीं, क्योंकि उन्हें अपनी पैकिंग पूरी करनी थी. इस दौरान वो देर होने के लिए हमारी तरफ देखकर माफी के भाव से मुस्कुरा भी रही थीं. हर बार जब वो थोड़ी सी रोशनी में दिखतीं और फिर गायब हो जाती तो मेरे अंदर का डायरेक्टर मेरे विजुअल के सुख के लिए उनको स्लो मोशन में कभी पीछे तो कभी आगे कर रहा था. आखिरकार वो आईं और लिविंग रूम में बैठ गईं. उन्होंने कुछ जरूरी बातें कहीं जैसै कि वो मेरे साथ काम करना काफी पसंद करेंगी और फिर वो मुंबई के लिए रवाना हो गईं.” वर्मा कहते हैं कि वो अपने घर वापस गए और उस वक्त अनको महसूस हो रहा था कि वो सातवें आसमान पर हैं.

श्रीदेवी की झलिकयां याद करते हुए वर्मा ने लिखा, “जिस तरह से श्रीदेवी मोमबत्ती की रोशनी में मेरे साथ बैठी वो मेरे दिमाग में एक बेहद खूबसूरत पेंटिंग की तरह छप गईं और उनकी तस्वीर मेरे दिल और दिमाग दोनों में बस गई. मैंने Kshana Kshanam लिखना शुरू कर दिया. मैंने Kshana Kshanam सिर्फ इसलिए लिखी क्योंकि मैं श्रीदेवी को प्रभावित करना चाहता था.” वर्मा ने कहा कि Kshana Kshanam श्रीदेवी के लिए उनकी तरफ से एक लव लेटर के जैसा था. Kshana Kshanam बनाने के दौरान राम गोपाल वर्मा श्रीदेवी के चार्म, उनकी खूबसूरती, उनके व्यक्तित्व और उनके व्यवहार से अपनी आंखें नहीं हटा सकें. उन्होंने कहा कि वो उनके लिए एक नई खोज थीं.

राम गोपाल वर्मा ने श्रीदेवी को सिनेमाई अभिनय का प्रतीक करार दिया है. वर्मा के मुताबिक जब उन्होंने श्रीदेवी के साथ काम किया तब उन्होंने बेहद बारीकी से उनको ऑबजर्व किया. उनकी एक्टिंग की तकनीक से परफॉर्मेंस और चरित्र चित्रण की बारीकी को समझा. उन्होंने लिखा है कि श्रीदेवी के इर्द गिर्द के अदृश्य दीवार थी जिसे वो किसी और को कभी पार नहीं करने देती थीं. उस दीवार के बाहर वो अपनी मर्यादा और अपनी सेल्फ रेस्पेक्ट का ख्याल रखा करती थी.

तस्वीर: RGV Twitter तस्वीर: RGV Twitter

उन दिनों श्रीदेवी का स्टारडम कैसा था इसका हाल राम गोपाल वर्मा ने बताया है उनके मुताबिक श्रीदेवी की लोकप्रियता और स्टारडम का आलम ये था कि जब नंदयाल में वो लोग Kshana Kshanam का क्लाइमैक्स शूट करने गए थे तो पूरा शहर जैसे ठहर गया था, जब उन्हें पता लगा था कि श्रीदेवी शहर में हैं. बैंक, सरकारी दफ्तर, स्कूल, कॉलेज सबकुछ बंद हो गया था. सभी लोग बस श्रीदेवी को देखना चाहते थे.

वर्मा ने बताया, “श्रीदेवी नंदयाल के एक ट्रैवलर बंगले में रुकी थी. कुछ ही दूरी पर एक दूसरे बंगले में मैं ठहरा हुआ था. वहां पूरी रात करीब 20 हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ उनके बंगले के बाहर खड़ी थी. उनकी सुरक्षा के लिए 100 पुलिसवाले और 50 मजबूत लोग लगातार लगे हुए थे.

राम गोपाल वर्मा ने श्रीदेवी को सबसे खूबसूरत महिला कहा है. उनके मुताबिक 1000 सालों में भगवान ऐसी खास और खूबसरत चीजें बनाता है. उन्होंने कहा कि हमारी सिनेमाई परी अब बस एक दिव्य परी बन गई हैं. राम गोपाल वर्मा ने अपने लेख के आखिर में श्रीदेवी को बनाने के लिए भगवान का शुक्रिया अदा किया है. इसके साथ ही उन्होंने कैमरा के आविष्कारक Louis Lumiere का भी शुक्रिया अदा किया जिनकी वजह से हम उन्हें हमेशा के लिए संभाल कर रख पाएंगे.

राम गोपाल वर्मा ने कहा कि मुझे तो अब भी यकीन नहीं हो रहा है कि श्रीदेवी अब नहीं रहीं और वो अपने बिस्तर पर लेटकर उनकी यादों को लिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैं अब भी उम्मीद कर रहा हूं कि काश ये कोई सपना हो लेकिन मुझे पता है, ये हकीकत है, मैं कोई सपना नहीं देख रहा.

उन्होंने लिखा, “मैं श्रीदेवी से नफरत करता हूं. मैं नफरत करता हूं कि उनका दिल भी जीने के लिए धड़कता था. मैं नफरत करता हूं कि उनके पास भी वैसा दिल था जिसने सभी की तरह धड़कना बंद कर दिया. मुझे नफरत है कि मैं उनकी मौत के संदेश के लिए जिंदा रहा. मैं श्रीदेवी की जिंदगी लेने के लिए मैं भगवान से नफरत करता हूं और मैं मरने के लिए श्रीदेवी मैं से नफरत करता हूं.”

श्री मैं तुमसे प्यार करूंगा तुम जहां भी रहो... और मैं तुम्हें हमेशा प्यार करूंगा.

राम गोपाल वर्मा

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