I want to talk से हाल में ही दर्शकों के सामने एक बेहतरीन अदाकारी के साथ पेश हुए अभिषेक बच्चन अपनी मां के बेहद करीब हैं. बावजूद इसके कि उनकी तुलना हमेशा उनके पापा अमिताभ बच्चन से की जाती है. ऐसी तुलना के बावजूद वो हमेशा खुद को साबित करते रहे हैं. शुजित सरकार की फिल्म 'आई वॉन्ट टू टॉक' में उन्होंने फिर से कमाल की एक्टिंग स्किल का परिचय दिया है.
ईटाइम्स से बातचीत में उन्होंने अपनी मां जया बच्चन से जुड़े एक किस्सा शेयर किया है. उन्होंने इस सवाल का जवाब दिया कि किसी किरदार के लिए एक्टर्स को क्या-क्या करना पड़ता है.
अभिषेक बच्चन ने याद किया मां जया बच्चन का एक किस्सा
अभिषेक ने मां जया बच्चन के बारे में बात करते हुए बताया कि- मेरी मां ने 90 के दशक में गोविंद निहलानी के साथ 'हजार चौरासी की मां' फिल्म में काम किया था. उस दौरान में असिस्टेंट डायरेक्टर था वो वापस आईं और वो बुहत ज्यादा परेशान दिख रही थीं, तो मैंने उनसे पूछ लिया कि क्या हुआ.
अभिषेक आगे बताते हैं कि मां ने बताया - ''मुझे एक सीन करना है जिसमें मुझे अपने बेटे की बॉडी की पहचान करनी है. मुझे समझ नहीं आया.'' इसके बाद गोविंद जी ने मां को बहुत ही इंट्रेस्टिंग और खास तरह से सीन शूट करने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि आप ऐसा मानिए कि आपका बेटा अभिषेक वहां लेटा हुआ है.
अभिषेक आगे कहते हैं- ये सच में बहुत ही कठिन लगता है, लेकिन एक्टर्स को इससे गुजरना पड़ता है. हो सकता था कि वो ऐसा न भी कहते तब भी मां को उस इमोशन को रियल बनाने के लिए ऐसा ही इमैजिन करना पड़ता. एक्टर को अपने काम में बहुत सी निजी चीजें भी लानी पड़ती हैं.
डायरेक्टर पर निर्भर करता है एक्टर का परफॉर्मेंस
एक्टर ने ईटाइम्स से बातचीत में ये भी बताया कि एक्टर की परफॉर्मेंस उसके डायरेक्टर बहुत ज्यादा निर्भर करती है. उन्होंने उनकी हालिया रिलीज फिल्म के डायरेक्टर शुजित सरकार की ओर इशारा करते हुए कहा कि हम एक्टर्स सिर्फ अच्छे पैसे पाने वाली पपेट्स की तरह हैं, जबकि लेकिन रियल ग्रैंडमास्टर तो उन पपेट्स को नचाने वाला डायरेक्टर ही होता है.
साल 2024 की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक है 'आई वॉन्ट टू टॉक'
शुजित सरकार की ये फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है. जिसमें जिंदगी को देखने और उसे जीने को लेकर कई लेयर्स में बेहद पॉजिटिव नजरिया पेश किया गया है. शुजित सरकार ने इस बारे में एबीपी न्यूज से बातचीत में बताया है कि ये फिल्म सिर्फ फिल्म नहीं, बल्कि एक दर्शन है.