नई दिल्ली: हिंदी सिनेमा की अपने ज़माने की मशहूर अदाकारा आशा पारेख एक वक्त पर लाखों दिलों की धड़कन हुआ करती थीं. उनकी सादगी और चंचलता के लोग दीवाने थे. लाखों चाहने वाले होने के बावजूद उन्होंने अपनी ज़िंदगी में किसी को हमसफर नहीं बनाया. उन्होंने अकेले ही ज़िंदगी गुज़ारने का फैसला किया. जिस दौर में शादी के बिना लड़की के रहने के बारे में लोग सोच भी नहीं सकते थे उस दौर में आशा पारेख ने बिना शादी के ही ज़िंदगी गुज़ारने का फैसला किया.


हालांकि आशा पारेख ने क्यों शादी नहीं की इसकी वजह लोगों को शायद ही मालूम हो. हाल ही में आशा पारेख न वर्व मैग़जीन के एक इंटरव्यू दिया है, जिसमें उन्होंने अपनी ज़िंदगी के बारे में खुलकर बात की है. आशा पारेख ने शादी क्यों नहीं की इसको लेकर उन्होंने कहा, "मैंने जितने फैसले लिए उनमें अकेले रहने का मेरा फैसला शायद सबसे अच्छा था. मैं एक शादीशुदा शख्स से प्यार करती थी. मैं नहीं चाहती थी कि मैं किसी के घर टूटने की वजह बनूं. जिस तरह मैं जीना चाहती थी, उसके हिसाब से मेरे पास बस यही एक रास्ता था."



आपको बता दें कि 77 साल की आशा पारेख ने अपनी बायोग्राफी 'द हिट गर्ल' में इस बात का खुलासा किया है कि वो उस दौर के मशहूर निर्देशक नासिर हुसैन से प्यार करती थीं. लेकिन क्योंकि वो पहले से शीदशुदा थे, इसलिए वो उनसे दूर ही रहीं.


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करीब 80 हिंदी फिल्मों में काम करने वाली आशा पारेख की पैदाइश 2 अक्टूबर 1942 को मुंबई में हुई थी. आशा पारेख को साल 1992 में पद्म श्री से भी नवाज़ा जा चुका है. उन्होंने नासिर हुसैन के निर्देशन में बनी करीब सात फिल्मों में काम किया, जिनमें 'दिल देके देखो' (1959),'जब प्यार किसी से होता है' (1961), 'फिर वही दिल लाया हूं' (1963), 'तीसरी मंजिल' (1966), 'बहारों के सपने' (1967), 'प्यार का मौसम' (1969) और 'कारवां' (1971) जैसी फिल्में शामिल हैं.